साल 2021 के शुरुआत में ही एक साथ देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनमें पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल शामिल हैं. भले ही पांच राज्यों में चुनाव होने हों, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा पश्चिम बंगाल चुनाव की है. यहां ममता बनर्जी की टीएमसी और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला होने की संभावना है. इन दोनों दलों के अलावा लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन के साथ-साथ अलग-अलग राज्यों की छोटी पार्टियों ने भी बंगाल की चुनाव रणभूमि में किस्मत आजमाने का दांव चला है जबकि बाकी चार राज्यों के चुनाव को लेकर उत्सुकता नहीं दिख रही है.
JMM-AJSU की नजर बंगाल पर
पश्चिम बंगाल से सटे हुए झारखंड की सत्ता पर काबिज झारंखड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के प्रमुख हेमंत सोरेन ने बंगाल चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऐलान किया है कि पश्चिम बंगाल चुनाव में जेएमएम न सिर्फ प्रत्याशी खड़ी करेगी बल्कि पूरे दमखम से चुनाव लड़ेगी. जीएमएम का टारगेट बंगाल में 25 से भी अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का है. इसके अलावा झारखंड की दूसरी क्षेत्रीय पार्टी आजसू ने भी बंगाल के सियासी रण में उतरने का निर्णय किया है.
झारखंड की यह दोनों पार्टियां राज्य से सटे हुए पुरुलिया, बांकुड़ा और मिदनापुर जैसे बंगाल के आदिवासी इलाके की विधानसभा सीटों पर नजर गढ़ाए हुए हैं. 2016 के विधानसभा चुनाव में भी जेएमएम और आजसू बंगाल में किस्मत आजमा चुके हैं. जेएमएम 20 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जबकि आजसू ने 12 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन कोई भी सीट नहीं जीत सकी थी. ऐसे में देखना है कि इस बार यह दोनों दल अपना खाता खोल पाते हैं कि नहीं.
जेडीयू बंगाल में लड़ेगी चुनाव
बिहार में बीजेपी के सहयोग से एनडीए की सरकार चला रहे नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने पश्चिम बंगाल चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. माना जा रहा है कि बंगाल की 294 सीटों में से 75 सीटों पर जेडीयू अपना प्रत्याशी उतार सकती है. जेडीयू बंगाल की उन सीटों पर नजर लगाए हुए है, जो बिहार से सटे हुए इलाके में आती हैं. जेडीयू ने मालदा, सिलीगुड़ी, मुर्शिदाबाद, पुरुलिया, बांकुरा और नंदीग्राम जैसे जिलों की सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है. हालांकि, जेडीयू बंगाल में किस पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी, इसके पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं.
बंगाल चुनाव में जेडीयू पहली बार चुनाव मैदान में नहीं उतरने जा रही है. इससे पहले जेडीयू ने साल 2011 के बंगाल विधानसभा चुनाव में 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और सभी को हार का मुंह देखना पड़ा था. वहीं, साल 2016 में कांग्रेस और लेफ्ट के गठबंधन के साथ जेडीयू सिर्फ 2 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, क्योंकि बिहार में जेडीयू उस समय महागठबंधन का हिस्सा थी. अब जेडीयू बिहार में बीजेपी के साथ है. ऐसे में वो अकेले या किस पार्टी के साथ चुनाव लड़ेगी. इस पर दिसंबर के आखिरी में पार्टी फैसला लेगी. वहीं, बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी आरजेडी बंगाल में ममता बनर्जी के समर्थन में है.
ओवैसी का मिशन बंगाल
बिहार चुनाव के बाद ही AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ेना का ऐलान कर दिया था. इसके लिए ओवैसी ने हाल ही में बंगाल नेताओं के साथ बैठक भी की है और जल्द ही राज्य का दौरा करने वाले हैं. ओवैसी की नजर बंगाल के मुस्लिम बहुल इलाके की विधानसभा सीटों पर है. माना जा रहा AIMIM बिहार के सीमांचल से सटे हुए बंगाल के इलाके की विधानसभा सीटों पर काफी मजबूती के साथ चुनावी किस्मत आजमा सकती है. बंगाल की मुस्लिम आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार 27 फीसदी थी, जो अब बढ़कर करीब 30 फीसदी होने की संभावना है. माना जा रहा है कि बंगाल की 100 सीटें हैं, जहां मुस्लिम मतदाता काफी निर्णायक भूमिका में हैं, जिसके जरिए ओवैसी बंगाल की सियासत में एंट्री करना चाहते हैं.
बसपा भी बंगाल में करेगी दो-दो हाथ
उत्तर प्रदेश की सत्ता पर चार बार काबिज रहीं बसपा सुप्रीमो मायावती भी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतार सकती है. बसपा बंगाल में चुनाव में पहले भी लड़ती रही है, जिसके चलते इस बार भी चुनाव लड़ने की पूरी संभावना है. 2016 में बसपा ने बंगाल की कुल 294 सीटों में से 160 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन एक भी सीट वो जीत नहीं सकी. इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा लड़ चुकी है और मायावती वहां प्रचार करने भी गई थी. इस बार भी बसपा करीब डेढ़ सौ सीटों पर चुनावी किस्मत आजमा सकती है. वहीं, उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा ने बंगाल में चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है और ममता बनर्जी का समर्थन किया है. इससे पहले सपा बंगाल में चुनाव लड़ती रही है.