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इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया ने एग्जिट पोल जारी किया है. 292 सीटों पर बीजेपी और टीएमसी के बीच कांटे की टक्कर है. अनुमान लगाया गया है कि बीजेपी+ को 134- 160 सीटें, टीएमसी+ को 130-156, लेफ्ट- 0-2 और अन्य 0-1 सीटें मिलने का अनुमान है.
एग्जिट पोल के मुताबिक पहले चरण में 30 सीटों पर बीजेपी+ को 19 सीटें मिलने के आसार हैं. वहीं टीएमसी+ को 10 व अन्य को एक सीट पर जीत मिलने का अनुमान जताया गया है. लेफ्ट+ का पहले चरण में खाता खुलता नजर नहीं आ रहा है. दूसरे चरण में बीजेपी+ को 17 सीटें, टीएमसी+ को 13 सीटें व अन्य का खाता नहीं खुलने का अनुमान लगाया गया है. तीसरे चरण में टीएमसी+ को 20 सीटें और बीजेपी+11 सीटें मिलने का अनुमान है.
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चौथे चरण में बीजेपी+ को 24 सीटें, टीएमसी+ को 19 सीटें और लेफ्ट+ को एक सीट मिल सकती है. वहीं इस चरण के चुनाव में अन्य के खाते में एक भी सीट नहीं जाने का अनुमान जताया गया है. पांचवें चरण में बीजेपी+ को 25 , टीएमसी+ को 20 सीटें मिल सकती हैं. वहीं लेफ्ट और उसके सहयोगियों का खाता खुलता नजर नहीं आ रहा है. छठे चरण में बीजेपी+ को 22, टीएमसी+ को 21 और लेफ्ट+ के खाते में एक भी सीटें मिलती नजर नहीं आ रही हैं.
सातवें चरण में टीएमसी+ को 18, बीजेपी+ को 16 सीटें और अन्य के खाते में एक भी सीटें नहीं जाने के आसार जताए गए हैं.सातवें चरण तक बीजेपी+ को 134, टीएमसी+ को 121 और लेफ्ट+ को एक व अन्य को भी एक ही सीट से संतोष करना पड़ सकता है.
आठवें चरण में बीजेपी+ को 13 सीटें और टीएमसी + को 22 सीटें मिलने के अनुमान हैं. लेफ्ट+ को यहां भी शून्य सीटें मिलने के अनुमान है. आठवें चरण तक यानी कुल 292 सीटें के एग्जिट पोल्स में दीदी और बीजेपी के बीच कांटे के मुकाबले का अनुमान लगाया गया है.
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बता दें कि पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चला, साथ-साथ नेता मतदाताओं को लुभाने के लिए तमाम वादे करते नजर आए. बंगाल में ममता बनर्जी के खेला होबे और मोदी के विकास होबे और आसोल परिवर्तन के नारे के बीच राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस के तमाम बड़े नेता चुनाव प्रचार में नजर आए. ऐसे में देखना होगा कि बंगाल में दीदी की फिर से वापसी होती है या इस बार आसोल परिवर्तन का वादा करने वाली बीजेपी के हाथ सत्ता लगेगी.
टीएमसी- बीजेपी में कांटे की टक्कर
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर इस बार सभी की निगाहें लगी हुई है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है जबकि कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन के सामने अपने सियासी वजूद बचाए रखने की चुनौती है. हालांकि, यह देखना है कि ममता इस पर सत्ता की हैट्रिक लगाएगी या फिर बंगाल में पहली बार बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रहेगा.
292 सीटों पर हुआ मतदान
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की कुल 294 में से 292 सीटों पर 8 अलग-अलग चरणों में चुनाव हुए हैं. कोरोना संक्रमण के चलते सातवें चरण की दो सीटों पर प्रत्याशी के निधन के चलते चुनाव रद्द हो गए हैं और अब इन दोनों सीटों पर 13 मई को चुनाव होंगे. ऐसे में 292 सीटों पर ही वोटिंग हुई है.
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एक सीट पर एजेएसयू ने प्रत्याशी उतारा
बंगाल के चुनावी रण में बीजेपी और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (एजेएसजू) मिलकर चुनावी मैदान में उतरी हैं. बीजेपी ने 291 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं जबकि एक सीट पर एजेएसयू ने प्रत्याशी उतारा है. वहीं, ममता बनर्जी की अगुवाई वाले गठबंधन में टीएमसी और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीओजेएएम) मिलकर चुनावी मैदान में उतरी है. टीएमसी 288 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि तीन सीटों पर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने उम्मीदवार उतारे हैं और एक सीट पर निर्दलीय को टीएमसी समर्थन कर रही है.
कांग्रेस-लेफ्ट मिलकर चुनावी मैदान में एक बार फिर किस्मत आजमा रही हैं. लेफ्ट के तहत सीपीआई (एम) 138, ऑल इंडिया फार्वर्ड ब्लाक 21, आरएसपी 10 और सीपीआई 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि कांग्रेस 91, इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) 32 सीटों पर चुनावी मैदान में है.
पश्चिम बंगाल विधानसभा में 294 सीट
बंगाल की सत्ता पर पिछले एक दशक से ममता बनर्जी का कब्जा है. 2016 के विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल 294 सीटों में से टीएमसी ने सबसे ज्यादा 211 सीटें जीतकर सत्ता पर काबिज हुई थी. कांग्रेस को 44 सीटें, लेफ्ट को 26 सीटें और बीजेपी को महज तीन सीटें हासिल हुई थी. वहीं अन्य ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी. 294 सीटों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा में बहुमत के लिए 148 सीटों की जरूरत होती है.