देश के अन्य राज्यों की तरह कोरोना वायरस के मामले पश्चिम बंगाल में भी तेजी से बढ़ रहे हैं. कोरोना संकट के बीच बंगाल में हो रहे चुनाव प्रचार में काफी भीड़ जुट रही है, जिसे राज्य में हालात चिंताजनक हो गई है. कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच चुनाव आयोग ने बंगाल में शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इस बैठक में राज्य के बाकी 3 चरणों के लिए चुनाव प्रचार से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. साथ ही आयोग सभी दलों से कोरोना गाइडलाइन के पालन को लेकर सख्त दिशा निर्देश जारी कर सकता है.
बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान भारी संख्या में जुट रही भीड़ और कोरोना गाइडलाइंस के घोर उल्लंघन हो रहा है. ऐसे में चुनाव आयोग सर्वदलीय बैठक में चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रख सकता है. संविधान के अनुच्छेद-324 के तहत शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए उसके पास यह अधिकार है. ऐसे में चुनाव आयोग राज्य में बड़ी रैलियों, रोड शो और जनसभाओं के बजाय वह सियासी पार्टियों को कुछ संख्या में कार्यकर्ताओं के समूहों में सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए डोर-टू-डोर प्रचार करने का प्रस्ताव रख सकता है.
बता दें कि कोरोना संकट के चलते मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग से अपील किया था कि बंगाल के बाकी बचे चार चरणों के चुनाव एक साथ कराए जाएं. लेकिन चुनाव आयोग ने साफ मना कर दिया है कि बाकी बचे चरणों के चुनाव को एक साथ नहीं कराया जा सकता है. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि नामांकन वापस लेने की आखिरी तिथि और मतदान की तारीख के बीच कम से कम 14 दिन का अंतर होना चाहिए.
हालांकि, अंतिम चरण के चुनाव के लिए नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 12 अप्रैल थी. इसलिए उसका मतदान 26 अप्रैल से पहले नहीं हो सकता, इसीलिए मतदान पीछे तो खिसकाया जा सकता है लेकिन आगे नहीं लाया जा सकता. चुनाव आयोग की सर्वदलीय बैठक में राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) जग मोहन और राज्य के स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम भी बैठक में मौजूद रहेंगे.
हाईकोर्ट के भी निर्देश
कोरोना संक्रमण के मामले के देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीबी एन राधाकृष्णन की पीठ ने दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को निर्देश दिया था कि कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों के प्रचार के संबंध में स्वास्थ्य संबंधी सभी निर्देशों का कड़ाई से पालन होना चाहिए. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए जिला अधिकारी धारा 144 लागू कर दें.