scorecardresearch
 

बंगाल चुनाव: दूसरे चरण के कड़े मुकाबले, दागी और करोड़पति प्रत्याशी समेत हर अहम जानकारी

2016 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो दूसरे चरण की इन 30 सीटों में से पिछली बार तृणमूल कांग्रेस ने 21 पर जीत दर्ज की थी. जबकि बीजेपी महज एक सीट पर जीत पाई थी. लेफ्ट को 5 और कांग्रेस को तीन सीटों पर जीत मिली थी. 

Advertisement
X
बंगाल में 1 अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान
बंगाल में 1 अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बंगाल चुनाव में एक अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान
  • नंदीग्राम सीट पर ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी में टक्कर

पश्चिम बंगाल की चुनावी सीरीज का कल दूसरा और सबसे अहम मुकाबला होने जा रहा है. दूसरे चरण के तहत 30 विधानसभा सीटों पर मतदान होने जा रहा है, जिसमें राज्य की सबसे हॉट सीट नंदीग्राम भी शामिल है. इस सीट से सूबे की मुखिया और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी हुंकार भर रही हैं और कभी उनके सहयोगी रहे शुभेंदु अधिकारी अब बीजेपी के टिकट पर ममता को चुनौती दे रहे हैं. नंदीग्राम के अलावा भी कई सीटें ऐसी हैं जहां कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है. 

Advertisement

2016 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो दूसरे चरण की इन 30 सीटों में से पिछली बार तृणमूल कांग्रेस ने 21 पर जीत दर्ज की थी. जबकि बीजेपी महज एक सीट पर जीत पाई थी. लेफ्ट को 5 और कांग्रेस को तीन सीटों पर जीत मिली थी. 

2016 के चुनाव में सीट शेयर
2016 के चुनाव में वोट शेयर

नंदीग्राम

ये वो नाम है जो बंगाल चुनाव के केंद्र में है. हर किसी की नजर नंदीग्राम विधानसभा सीट पर है. ईस्ट मेदिनीपुर जिले की ये सीट तामलुक लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. इस सीट पर टीएमसी से ममता बनर्जी, बीजेपी से शुभेंदु अधिकारी और संयुक्त मोर्च की उम्मीदवार के रूप में सीपीएम की मीनाक्षी मुखर्जी चुनावी मैदान में हैं. 

2016 के विधानसभा चुनाव में शुभेंदु अधिकारी यहां से टीएमसी के टिकट पर लड़े थे और उस वक्त ममता बनर्जी कोलकाता की भवानीपुर सीट से चुनाव जीती थीं. जबकि शुभेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम सीट पर 67% वोट हासिल करते हुए एकतरफा जीत हासिल की थी. लेफ्ट प्रत्याशी को 27% वोट मिले थे, जबकि बीजेपी महज 5% के आसपास सिमट गई थी. 

Advertisement
नंदीग्राम सीट पर ममता बनाम शुभेंदु

हालांकि, तीन साल बाद ही जब 2019 में लोकसभा चुनाव का नंबर आया तो समीकरण एकदम बदल गए. बीजेपी को तामलुक लोकसभा सीट पर 37% वोट मिले और दूसरे नंबर पर लेफ्ट रहा. टीएमसी उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी के भाई दिव्येंदु ने यहां से जीत दर्ज की और उन्हें 50% से ज्यादा वोट मिला, जबकि लेफ्ट महज 9% पर रह गया. 
अब हालात ये हैं कि शुभेंदु अधिकारी बीजेपी में आ गए हैं और सिर्फ शुभेंदु ही नहीं, उनके भाई दिव्येंदु और इसी जिले की कांथी लोकसभा सीट से सांसद शिशिर अधिकारी समेत लगभग पूरा ही अधिकारी परिवार बीजेपी के पाले में आ गया है. 

हल्दिया

ये सीट भी ईस्ट मेदिनीपुर जिले में तामलुक लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही आती है. 2016 में इस सीट से सीपीएम प्रत्याशी तापसी मंडल ने 50% से ज्यादा वोटों के साथ जीत दर्ज की थी. तापसी ने टीएमसी की मधुरिमा मंडल को 21 हजार से ज्यादा मतों से हराया था. जबकि बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप कुमार बिजाली को सिर्फ 13000 वोट मिले थे और वो तीसरे नंबर पर रहे थे. यहां भी पाला बदल गया है और तापसी मंडल बीजेपी में आ गई हैं और अब कमल के निशान पर ही चुनाव लड़ रही हैं. जबकि उनके सामने टीएमसी से स्वपन नस्कर और सीपीएम से मणिक कर पाईक हैं. 

Advertisement

तामलुक

2016 के विधानसभा चुनाव में तामलुक विधानसभा सीट पर पूर्व भारतीय क्रिकेटर अशोक डिंडा ने सीपीआई के टिकट पर जीत दर्ज की थी. डिंडा ने टीएमसी प्रत्यासी निर्बेद रे को हराया था. इस बार सीपीआई ने गौतम पांडा को मैदान में उतारा है और उनके सामने टीएमसी से सौमेन कुमार महापात्रा और बीजेपी से हरे कृष्णा बेरा हैं. जबकि अशोक डिंडा इसी जिले की दूसरी सीट मोइना से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. 

दूसरे चरण की 5 खास सीटें

बांकुड़ा

बांकुड़ा सीट से तृणमूल कांग्रेस ने फिल्म एक्ट्रेस सायंतिका बनर्जी को उतारा है. सायंतिका के सामने बीजेपी के टिकट पर निलाद्री शेखर दाना और कांग्रेस से राधा रानी बनर्जी हैं. 2016 में ये सीट कांग्रेस ने जीती थी और उसे 42.45% वोट हासिल हुए थे. टीएमसी के सामने इस बार चुनौती पेश आ सकती है, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बांकुड़ा सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. 

खड़गपुर सदर

ये सीट मेदिनीपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है जहां बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष सांसद हैं. खड़गपुर सदर से फिलहाल तृणमूल कांग्रेस के प्रदीप सरकार विधायक हैं और उन्होंने 2019 के उपचुनाव में ये सीट जीती थी. दरअसल, इस सीट से दिलीप घोष ही विधायक थे, लेकिन जब 2019 का लोकसभा चुनाव जीते तो यह सीट खाली हो गई और उपचुनाव में टीएमसी ने जीत हासिल कर ली. 

Advertisement
कांटे की टक्कर वाली सीटें

इन अहम सीटों के अलावा अगर जिक्र ऐसी सीटों का किया जाए जहां बहुत ही नजदीकी फाइट देखने को मिली थी तो उनमें भी कई नाम आते हैं. तामलुक, बरजोरा, विष्णुपुर, बांकुड़ा, पंसकुड़ा पश्चिम और पंसकुड़ा पूर्व ऐसी सीटें हैं जहां 2016 के विधानसभा चुनाव में जीत का अंतर काफी कम रहा था. 

तामलुक और बरजोरा में जीत का अंतर एक हजार वोट रहा था. तामलुक सीट पर सीपीआई के अशोक डिंडा ने टीएमसी के निर्बेद रे को 520 वोटों से हराया था. बरजोरा में सीपीएम के सुजीत चक्रवर्ती ने टीएमसी उम्मीदवार सोहम चक्रवर्ती को 616 मतों से हराया था. 

आपराधिक रिकॉर्ड वाले और करोड़पति प्रत्याशी

कल यानी 1 अप्रैल को होने जा रहे दूसरे चरण के मतदान में 30 सीटों पर प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी. हालांकि, प्रत्याशियों के क्रिमिनल रिकॉर्ड की बात की जाए तो हर चौथे प्रत्याशी का क्रिमिनल रिकॉर्ड है. ADR के मुताबिक, प्रत्याशियों के हलफनामे के अनुसार 25 फीसदी प्रत्याशियों का क्रिमिनल रिकॉर्ड है. 

6 प्रत्याशियों के खिलाफ तीन या उससे ज्यादा क्रिमिनल केस हैं. पंसकुड़ा पश्चिम सीट पर चार प्रत्याशी ऐसे हैं जिनके रिकॉर्ड क्रिमिनल हैं. जबकि गोसाबा, नंदीग्राम और नारायणगढ़ सीट पर तीन-तीन प्रत्याशी क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले हैं. 

Advertisement

 

दूसरे चरण के दागी उम्मीदवार

ADR के मुताबिक, 171 प्रत्याशियों में 43 ने पेंडिंग क्रिमिनल केस की जानकारी दी है. इनमें से 17 बीजेपी, 8 टीएमसी, 7 सीपीएम, 3 SUCI(C), कांग्रेस और बीएसपी से 2-2 और एक प्रत्याशी सीपीआई से है. करीब 36 प्रत्याशियों ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक केस की घोषणी की है, जो नॉन-बेलेबल केस हैं और जिनमें 5 साल से अधिक कैद की सजा का भी प्रावधान है. 

कुल 171 प्रत्याशियों में 26 यानी 15 फीसदी करोड़पति हैं, जबकि चार प्रत्याशियों ने जीरो संपत्ति घोषित की है. TMC के 11 करोड़पति प्रत्याशी (37%) हैं, जबकि बीजेपी के 10 (33%) प्रत्याशी करोड़पति हैं. 
 

 

Advertisement
Advertisement