scorecardresearch
 
Advertisement
बिहार विधानसभा चुनाव

बिहार के सबसे चर्चित नेता लालू प्रसाद यादव का कैसा रहा है सफर

लालू पर हैं सबकी निगाहें
  • 1/5

बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है. नेताओं का दल बदलना जारी है तो गठबंधनों में भी नाराजगी देखने को मिल रही है. बिहार की राजनीति का सबसे चर्चित चेहरा रहे आरजेडी प्रमुख लालू यादव रांची के रिम्स में चारा घोटाले की सजा काट रहे हैं. इसके बावजूद लोगों की निगाहें लालू की रणनीति पर हैं. आइए जाते हैं कि कैसा रहा है लालू का राजनीतिक सफर-

4 दशक से ज्यादा अनुभव है लालू के पास
  • 2/5

बिहार की सियासत में लालू से ज्यादा जमीनी पकड़ और लंबा अनुभव किसी के पास नहीं रहा है. छात्र राजनीति के बाद 1977 में लालू यादव पहली बार चुनाव लड़े थे. उसके बाद चारा घोटाले में सजा सुनाए जाने के बाद 2014 से लालू चुनाव में नहीं उतर सके. 4 दशकों से अधिक वक्त के सियासी सफर में लालू ने छात्र यूनियन, संसद, विधानसभा, विधान परिषद समेत कई चुनाव लड़े. 

29 साल की उम्र में हासिल की बड़ी जीत
  • 3/5

इमरजेंसी खत्म होने के बाद 1977 में 6th लोकसभा चुनाव हुए तो लालू छपरा सीट (वर्तमान सारण सीट) से उतरे. तब सिर्फ 29 साल की उम्र में लालू चुनाव में उतरे थे. लालू भारतीय लोकदल के टिकट पर उतरे. लालू के सामने चुनावी मैदान में कांग्रेस के राम शेखर प्रसाद सिंह थे. इसके अलावा सीपीआई और कई निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में थे. इस चुनाव में छपरा सीट पर 6,58,829 वोटर्स थे. छपरा लोकसभा सीट पर 73.89% वोटिंग हुई और कुल 4,83,198 वोट पड़े. इसमें से लालू को 4,15,409 वोट मिले. बाकी उम्मीदवार कुल मिलाकर सिर्फ 14 फीसदी वोट ही हासिल कर पाए. कांग्रेस के उम्मीदवार राम शेखर प्रसाद सिंह को सिर्फ 8.61 % वोट मिले. जबकि सीपीआई के शिवबचन सिंह को 4.39% वोट.

Advertisement
MY समीकरण से बनाई बिहार में पैठ
  • 4/5

लालू 1980 में जनता पार्टी से अलग हो गए और वीपी सिंह की अगुवाई वाले जनता दल की राजनीति शुरू हुई. इसके बाद लालू ने MY समीकरण यानी मुस्लिम-यादव वोटों पर ध्यान दिया. 1990 के चुनाव में जनता दल को बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली और लालू सीएम बने. लालू 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. चारा घोटाले में घिरने पर लालू ने जनता दल से अलग होकर अपनी पार्टी आरजेडी बना ली और पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बनवा दिया. बाद में 2004 से 2009 तक केंद्र की यूपीए सरकार में लालू रेल मंत्री भी रहे.

आगामी चुनावों पर रहेगी नजर
  • 5/5

लालू ने 2009 में आखिरी बार लोकसभा चुनाव लड़ा था. लालू दो लोकसभा सीटों से उतरे थे. सारण से लालू जीत गए लेकिन पाटलीपुत्र से अपने पुराने साथी रंजन यादव से हार गए. 2013 में चारा घोटाले में सजा होने के बाद लालू के चुनाव लड़ने पर 11 साल के लिए रोक लग गई. इसके बाद, 2015 में लालू-नीतीश आए और महागठबंधन को बिहार में बड़ी जीत मिली लेकिन बाद में नीतीश के एनडीए में जाने के बाद फिर आरजेडी विपक्ष में आ गई. इस बार भले ही RJD की कमान लालू के पुत्र तेजस्वी यादव के हाथों में है, लेकिन दूसरे दल मान रहे हैं कि लालू भी चुनावों पर नजर रखे हुए हैं. 

Advertisement
Advertisement