बिहार चुनाव में प्रचार अभियान जोरों पर है. इसी बीच बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार चुनाव पर आज तक के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने स्कूल के दिनों को याद किया. उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई के दिनों का भी जिक्र किया. जेपी नड्डा ने विपक्षी नेता तेजस्वी और चिराग पासवान पर भी पार्टी का पक्ष रखा.
दरअसल, पटना में दिए गए इस इंटरव्यू में जेपी नड्डा ने अपने स्कूल, कॉलेज, गंगा किनारे की स्मृतियों को याद किया साथ ही लिट्टी चोखा का भी आनंद लिया. उन्होंने कहा कि अगर चुनाव जीते तो एनडीए की ओर सीएम नीतीश कुमार ही होंगे. हालांकि चिराग पासवान पर उन्होंने खुलकर नहीं कहा, लेकिन यह जरूर कहा कि इस चुनाव में एलजेपी से उनका संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि एनडीए की सीधी लड़ाई तेजस्वी यादव और महागठबंधन से है.
नड्डा ने कहा कि बिहार की जनता स्थायित्व और विकास चाहती है. यह नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में और यहां पर नीतीश जी के नेतृत्व में ही हो सकता है. लोग नीतीश जी को सपोर्ट करना चाहते हैं. मुझे एंटी इनकमबेंसी नहीं दिखती है. हां लोगों में आशाएं हैं और उन्हें अगर कुछ कमी लगती भी है तो उसे पूरा करने का भरोसा भी नीतीश जी पर ही है. जैसे मोदी दुनिया और देश में सबसे भरोसेमंद नेता हैं. उसी तरह से नीतीश जी ही बिहार में सबसे भरोसेमंद नेता हैं.
लालू पर हमला बोलते हुए नड्डा ने कहा कि लालू जी के आने के बाद शिक्षा में बहुत गिरावट आई. सिस्टम खराब हो गया, प्रोफेसर की नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद आ गया. पहले यहां से 15-15 आईएसएस-आईपीएस निकलते थे. आपको इंडो-अमेरिकन रिलेशनशिप का हू इज हू की एक पुस्तिका में 20 से 25 बायोडाटा पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के मिलेंगे. जेपी आंदोलन के बाद लालू जी के राज में चरवाहा विश्वविद्यालय बना और बाद में वही चारा घोटाले तक पहुंच गया.
उन्होंने कहा कि तेजस्वी अभी विपक्ष के नेता रहे. 2019 के बजट सेशन में उनकी हाजिरी देख लीजिए, कोरोना के समय में देख लीजिए, बाढ़ के समय में देख लीजिए. वह किसी को नहीं मिले. नीतीश जी हमेशा यहीं थे. सारे प्रशासन ने अच्छा काम किया है. उसकी वजह से ही कोरोना इतना कंट्रोल हुआ है.
इंटरव्यू के दौरान जेपी नड्डा ने अपने स्कूल के दिनों से लेकर छात्र राजनीति की भी बात की. नड्डा ने कहा, "मेरी पढ़ाई और खेल में रुचि थी. राजनीति के लिए कोई विचार नहीं रखता था. लेकिन बिहार में 1972-73 में राजनीतिक उथपुथल हुई. मेरे पिताजी प्रोफेसर थे और यूनिवर्सिटी उस आंदोलन का केंद्र था. मैं तब यूनिवर्सिटी में ही था. साथियों में राजनीतिक चेतना थी और मैं भी उसमें आ गया. 1974 में जब मैं 10वीं का छात्र था तो मैं भी उसमें शामिल हुआ. मुझे याद है कि 18 मार्च 1974 के आंदोलन ने आगे चलकर एक विराट रूप ले लिया. 5 लाख लोगों ने सिग्नेचर कैंपेन चलाया था. मैं तब से ही उसमें शामिल था."
अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए जेपी नड्डा ने कहा, "स्कूल के दिनों में मैं हाउस कैप्टन था और लॉन्ग रेस और स्प्रिंट दोनों का चैंपियन था. ऐसा देखने को बहुत कम मिलता है कि दोनों रेस में कोई एक ही शख्स चैंपियन हो. मैं स्विमिंग भी करता था. मैं जूनियर कैटिगरी में बिहार में चौथे नंबर पर रहा था. मेरे क्लास में लोग कहते थे कि नड्डा या तो क्लास में मिलेगा या स्विमिंग पूल में मिलेगा. मुझे प्रिंसिपल ने इजाजत दी थी कि मैं जब चाहूं यहां आकर स्विमिंग कर सकता हूं."