छपरा के तरैया प्रखंड के आसपास के 66 गांव बाढ़ से ग्रस्त हैं. पहले बाढ़ फिर लगातार बारिश और फिर बाढ़ के आने से ग्रामीणों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. जब पहली बाढ़ आई तो लोग अपना घर-बार को छोड़कर ऊंचे स्थानों पर गए. बाढ़ पीड़ित अपने घरों को लौटने लगे थे. अभी जिंदगी सामान्य हो ही रही थी कि एक हफ्ते में दोबारा बाढ़ आ गई. (रिपोर्ट- आलोक कुमार जायसवाल)
फिर ग्रामीणों को अपने घर बार छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ी. तरैया प्रखण्ड के 9 पंचायतों के 66 गांव बाढ़ में पूरी तरह डूबे हुए हैं. इन गांवों में 1.35 लाख आबादी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है. प्रत्येक गांवों का संपर्क एक-दूसरे से टूट गया है.
अधिकांश लोगों के घरों में भी पानी घुस गया है. ग्रामीण सड़कों पर लगभग तीन-चार फीट पानी बहने के कारण आवागमन बाधित है. घरों में इकट्ठा किया गया राशन भी बर्बाद हो गया है. खाने-पीने की परेशानी हो गई है. पशुओं के लिए हरे चारे की भी दिक्कत है.
स्कूलों में भी पानी प्रवेश कर गया है, इस विद्यालय में आगामी विधानसभा चुनाव में वोट भी डाला जाना है. विडम्बना यह है कि अपने घर बार को छोड़कर बाढ़ पीड़ित जिस जगह पर जाकर रह रहे है, उस जगह पर भी पानी भर गया है.
फिलहाल बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 25 नावों का परिचालन सरकारी स्तर पर किया जा रहा है. 9 पंचायत के 66 गांव पानी से पूरी तरह घिर गये हैं. जिनमें 01 लाख 35 हजार की आबादी प्रभावित है. जबकि 04 पंचायतों में 15 हजार की आबादी आंशिक रूप से प्रभावित है.
ग्रामीण सड़कों पर लगभग तीन फिट पानी में चलकर ही अपनी जरूरत की सामग्री खरीदने तरैया बाजार रहे हैं.
पंचायतों में बाढ़ प्रभावित गांवः डुमरी पंचायत के चाँदपुरा, चकिया, उसरी, शितलपुर, हरपुर फरीदन, मुकुन्दपुर, फरीदनपुर, डुमरी, हरदासचक. पोखड़ेरा पंचायत के पोखड़ेरा, पिपरा, लौवा, बगही. चैनपुर पंचायत के चैनपुर, शीतलपटी, सिरमी, सानी खराटी, अंधरबाड़ी, गलिमापुर.
माधोपुर पंचायत के माधोपुर, राजवाड़ा, शामपुर, राजवाड़ा मोकिम, सगुनी, माधोपुर छोटा, अरदेवा, जिमदहा, हसनपुर बनिया, बनिया. तरैया पंचायत के हरखपुरा, रामकोला, गाई हरखपुरा, खराटी, तरैया, मुरलीपुर, गंडार. पचभिण्डा पंचायत के पचभिण्डा, शाहनेवाजपुर, देवरिया, बगही हरखपुर, किशुनपुरा. चंचलिया पंचायत के चंचलिया, भलुआ भिखारी, बलुआ मर्दन, राजधानी, भलुआ शंकरडीह, कोरर.