बिहार के कई जिलों में बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई कि लोगों का रोजगार खत्म हो गया. उनके आगे रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे लोगों ने अब घोंघा (जलीय जीव) को अपना रोजगार बना लिया है. बाढ़ के पानी से ये लोग घोंघा चुनते हैं. इसे सब्जी के रूप में बाजार में बेचा जाता है. वहीं ये लोग खुद भी घोंघा खाकर अपना पेट भरते हैं. ( इनपुट- सुनील कुमार तिवारी)
गोपालगंज जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर माझा प्रखंड के गांव धामापाकड और गौसिया में हजारों एकड़ में बाढ़ का पानी फैला हुआ है. यहां पर बड़ी संख्या में लोग पानी में घोंघा चुनने के लिए आते हैं. दरअसल लॉकडाउन में पहले से ही बेरोजगार हुए यहां के लोगों के सामने बाढ़ ने रोजी रोटी का संकट खड़ा कर दिया.
इसलिए अब ये लोग घोंघा बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि बाढ़ के चलते सब्जियों की फसल तबाह हो गई. पेट भरने के लिए खाना तो चाहिये. जब कुछ नहीं मिला, तो घोंघा खाना शुरू कर दिया.
लोगों का कहना है कि उन्होंने घोंघा को रोजगार भी बना लिया है. बाढ़ के पानी से घोंघा चुनने के बाद उसे बाजार में बिक्री के लिए ले जाया जाता है. बाजार में घोंघा की बिक्री 50 रुपये प्रतिकिलो तक हो जाती है. इससे परिवार की अन्य जरूरत भी पूरी की जा रही हैं.
बरौली, सिधवलिया और बैकुंठपुर प्रखंड के क्षेत्रों में मजदूर वर्ग के युवाओं ने इसे अपना मुख्य रोजगार बना लिया है. सहलादपुर गांव के मंटू कुमार का कहना है कि जीवन चलाने के लिए किसी भी खतरे से टकराने के लिए कोई भी तैयार हो जाएगा. इसलिए बिना किसी डर के बाढ़ के पानी में उतरकर घोंघा निकालते हैं और उसे बाजार ले जाकर बेचते हैं.