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बिहार विधानसभा चुनाव

Vaishali: ऐतिहासिक अशोक स्तंभ पर संकट, बाढ़ के पानी की वजह से झुका!

अशोक स्तंभ.
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बिहार के जिला वैशाली की सीमा पर मुजफ्फरपुर के सरैया प्रखंड स्थित ऐतिहासिक अशोक स्तंभ और बौद्ध स्तूप परिसर में बाढ़ का पानी फैला हुआ है. कोल्हुआ में बने इस प्रांगण में गुप्त, शुंग और कुशान साम्राज्य के चिन्ह मिलते हैं. पुरातत्व विभाग की मानें तो बाढ़ का पानी अंदर तक भर जाने से कई सारे महत्वपूर्ण खंभों पर उसका असर साफ देखा जा सकता है. पानी से इन खंभों को नुकसान पहुंच रहा है. 

अशोक स्तंभ.
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इसलिए हो रही परेशानी 

कोल्हुआ बौद्ध स्तूप परिसर की अपेक्षा आसपास की जमीन ऊंची है. इस वजह से बारिश में चारों ओर का पानी अशोक स्तंभ- बौद्ध स्तूप परिसर में चला आता है. बाढ़ के पानी से यहां स्थित तालाब और छोटे-छोटे स्तूप तक पानी में डूब गए हैं. 

अशोक स्तंभ.
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जल निकासी के लिए ह्यूम पाइप लगाकर तालाब को निकटवर्ती नहर से जोड़ा गया है, लेकिन नहर में बेहिसाब पानी आ जाने से जल निकासी ठप है. बता दें कि अशोक स्तंभ परिसर आर्किलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधीन है, जहां हर वर्ष विश्व के लाखों पर्यटक आते हैं. 
 

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अशोक स्तंभ.
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सम्राट अशोक ने कराया था निर्माण 

माना जाता है कि सम्राट अशोक कलिंग विजय के बाद बौद्ध धर्म के अनुयायी बन गए थे और वैशाली में एक अशोक स्तंभ बनवाया था. चूंकि भगवान बुद्ध ने वैशाली में अपना अंतिम उपदेश दिया था. उसी की याद में यह स्तंभ बनवाया गया था. वैशाली स्थित अशोक स्तंभ अन्य स्तंभों से काफी अलग है. स्तंभ के शीर्ष पर त्रुटिपूर्ण तरीके से एक सिंह की आकृति बनी है, जिसका मुंह उत्तर दिशा में है. इसे भगवान बुद्ध की अंतिम यात्रा की दिशा माना जाता है.

अशोक स्तंभ.
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स्तंभ के बगल में ईंट का बना एक स्तूप और एक तालाब है, जिसे रामकुंड के नाम से जाना जाता है. यह बौद्धों के लिए एक पवित्र स्थान है. कोरोना संकट से पहले तक यहां जापान, चीन, श्रीलंका, इंडोनेशिया, कनाडा एवं नेपाल समेत कई देशों से हर साल डेढ़ से दो लाख पर्यटक आते रहे हैं.

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