नगर पालिका में चपरासी की नौकरी से लेकर विधानसभा तक का सफर जिनकी पहचान है. जो एक समय लालबत्ती कल्चर के खिलाफ अपनी राजदूत मोटरसाइकिल पर लालबत्ती लगाकर घूमा करते थे. वह नेता जो आरएसएस के अनुशासन को अपना मूलधर्म मानते हैं. पांच बार विधायक भी रहे हैं. अपने ऐसे कद्दावर नेता को भाजपा ने ही क्षेत्र भ्रमण से रोक रखा है. जी हां, ये सच है बिहार के सासाराम विधानसभा के पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद के बारे में. लेकिन सवाल ये भी है कि पार्टी ने ऐसा किया ही क्यों?
पार्टी का आदेश है तो मानूंगा ही
दी लल्लनटॉप की टीम चुनाव यात्रा में सासाराम पहुंची तो यहां जवाहर प्रसाद से एक्सक्लूसिव बात हुई. सासाराम सीट पर बदले हुए राजनीतिक समीकरणों पर वो क्या कर रहे हैं, इस सवाल पर उन्होंने बताया कि मैं तो घर में बैठा हूं. कहीं नहीं निकलता हूं. वजह पूछने पर उन्होंने बताया कि ऐसा पार्टी का आदेश है. पार्टी ने कहा है कि आपको गांव क्षेत्र में नहीं घूमना है. जब पार्टी की तरफ से आदेश होगा तब आप निकलिएगा. ऐसा आदेश क्यों मिला, इस पर जवाहर ने कुछ भी स्पष्ट नहीं किया.
सीट गई है जेडीयू के खाते में
बता दें कि सासाराम की सीट इस बार एनडीए की सीट शेयरिंग के तहत जेडीयू के खाते में हैं. मजेदार ये है कि 2015 में आरजेडी के टिकट से विधायक बने डॉ. अशोक कुमार इस बार जेडीयू के टिकट से मैदान में हैं. उन्होंने पाला बदल दिया है. जबकि एलजेपी ने यहां बगल की सीट के भाजपा विधायक रामेश्वर प्रसाद को चुनाव मैदान उतार रखा है. रामेश्वर प्रसाद खुद भाजपा के पुराने और बड़े नेताओं में एक थे लेकिन उनकी सीट जेडीयू के खाते में गई तो उन्होंने बागवत करते हुए एलजेपी का दामन थाम लिया है. अब सासाराम सीट पर लड़ाई अजीब है. पिछले चुनाव में जब जवाहर प्रसाद भाजपा के प्रत्याशी थे तब कार्यकर्ताओं ने आरजेडी के प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी डॉ. अशोक के खिलाफ प्रचार किया. लेकिन अब बदले हुए राजनीतिक समीकरण में कार्यकर्ता गठबंधन के जेडीयू प्रत्याशी अशोक कुमार के पक्ष में प्रचार को मजबूर हैं.
सब कोई संघी नहीं न हो जाएगा
बातचीत में जवाहर प्रसाद से पूछा गया कि पार्टी से नाराज होकर रामेश्वर प्रसाद की दूसरी पार्टी में चले गए. आप ने क्यों नहीं ऐसा किया. इस पर उन्होंने कहा कि मैं आरएसएस का कार्यकर्ता रहा हूं. संघ का अनुशासन मुझे ये नहीं सिखाता है. मुझे जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी मैं वही करुंगा. अब सब कोई तो संघी तो नहीं न हो जाएगा. आपने ये भी बताया मैं गलत चीजें बर्दाश्त भी नहीं कर पाता. लालू के राज में लाल बत्ती से क्राइम होता था. सब नेता लोग लालबत्ती लगा कर घूमते थे. इसलिए मैंने भी अपने मोटरसाइकिल पर लालबत्ती लगा लिया. सु्प्रीम कोर्ट ने इसको संज्ञान लिया और विधायक लोगों के लालबत्ती लगाने पर रोक लगी तो मैंने भी उतार दिया.
उठा चुका हूं खनन के लिए आवाज
जवाहर प्रसाद ने कहा कि सासाराम एरिया में पहाड़ खनन को बहुत काम था. इसमें करीब एक लाख लोग काम करते थे. नीतीश कुमार ने रोक लगा दिया. सरकार का रेवेन्यू गया और एक लाख लोगों का रोजगार भी. उसके बाद भी गिट्टी आसानी से मिल रहा है. मैंने दो बार उनके साथ की सभा में उन्हीं के मंच क्रशर चालू कराने की मांग भी की. लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ.