बिहार के गोपालगंज में करीब दो माह से जारी बाढ़ की विनाशलीला ने इन परिवारों को भोजन के लिए भी दूसरों पर निर्भर बना दिया है. रेलवे स्टेशन पर पॉलीथिन शीट के नीचे गुजर बसर कर रहे बाढ़ पीड़ितों की दशा बहुत खराब है. भूख से बिलबिलाते बच्चे जब अपने मां-बाप से खाना मांगते हैं तो उन्हें पॉलीथिन शीट के नीचे रखा झोला नजर आता है. लेकिन इस झोले में इतना अन्न का दाना नहीं है कि वे अपना व अपने बच्चों का पेट पाल सकें. (रिपोर्टः सुनील कुमार तिवारी)
रतन सराय रेलवे स्टेशन का प्लेटफॉर्म इन दिनों बरौली प्रखंड के आधा दर्जन गांवों के बाढ़ पीड़ितों का ठिकाना बन गया है. गांवों में 4 से 5 फीट तक पानी भरने के कारण बाढ़ पीड़ित अब प्लेटफॉर्म पर ही शरण लिए हुए हैं.
बाढ़ के कारण खेतीबारी चौपट और फसल बर्बाद हो गई है. कई लोगों की झोपड़ी भी नदी की धारा में बह चुकी है. आज इनके सामने असली समस्या दो वक्त की रोटी की है. प्लेटफॉर्म पर शरण लिए रतनसराय धोबी टोला गांव की महिला ललिता देवी का कहना है कि 5 आदमी का परिवार है. झोली में जो समान है वही खाने के लायक है. न काम धंधा चल रहा है. क्योंकि दो महीने से बाढ़ में कुछ नहीं मिल रहा है.
वहीं इसी गांव के हरिकिशोर ने बताया कि लॉकडाउन से लेकर अबतक दो बार बाढ़ आई है. टेंट में मौजूद झोले में ही खाने का सामान है. तीन बच्चे हैं जिन्हें भूखा नहीं रख सकते. मजदूर आदमी हैं. सरकार से जो अनुदान राशि छह हजार रुपये मिलने वाली थी वो अभी तक नहीं मिली है.