यदि हम सभी ये मान लें कि बिहार में जाति की राजनीति का कभी अंत नहीं होगा, भ्रष्टाचार बिहार की परम्परा बना रहेगा, बिना छल प्रपंच और झूठ के राजनीति नहीं हो सकती. फिर तो हो चुका बदलाव. मैंने नौसेना की नौकरी में ये बिल्कुल नहीं सीखा कि किसी चीज को असंभव मान लो. हम कोशिश करते हैं और ये ठान कर करते हैं कि हार नहीं मानेंगे. मेरी राजनीतिक पारी मैं इसी सोच के साथ शुरू कर रहा हूं. ये कहना है भारतीय नौसेना के पूर्व कमोडोर विनय कुमार का, जो इस विधानसभा चुनाव में अपने गृह जनपद समस्तीपुर के वारिसपुर सीट से चुनाव मैदान में हैं.
राष्ट्रपति सम्मान भी पा चुके हैं
बिहार के पूर्व डीजीपी जब जदयू से अपनी राजनीतिक पारी के सपने देख रहे थे तब खूब चर्चा हुई. कुछ ऐसे ही भारतीय नौसेना के एक जांबाज अधिकारी भी रिटायमेंट के बाद बिहार चुनाव में अपनी नई पारी खेलने की शुरूआत कर चुके हैं. हालांकि कमोडोर विनय ज्यादा चर्चा में नहीं हैं. उन्हें नौसेना में विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है. भारतीय नौसेना के कई ऑपरेशंस को उन्होंने लीड भी किया है. अब वह अपने गांव और जिले में बदलाव की लड़ाई लड़ना चाहते हैं.
सिस्टम में रहकर लड़ना चाहता हूं
आपने बताया कि राजनीति में आना एक अचानक की सोच है. मेरे रिटायरमेंट के बाद मैं अपने घर वापस आया तो भारतीय सबलोक पार्टी ने मुझे टिकट ऑफर किया. मुझे लगा कि मुझे सिस्टम में रहकर आम लोगों की लड़ाई लड़नी चाहिए. जीत-हार मेरे लिए मायने नहीं रखता. मैं जीत गया तो विधानसभा में जनता की आवाज बनूंगा और हार भी गया तो क्षेत्र में रहते हुए जनता की ओर से आवाज उठाऊंगा.
ससुर भी थे खगडि़या के सांसद
विनय कुमार ने बताया कि उनके अपने परिवार में वह पहले व्यक्ति हैं जो राजनीति में कदम बढ़ा रहे हैं. लेकिन पत्नी रश्मि के पिता स्व. डा. चंद्रशेखर वर्मा खगडि़या के सांसद थे. परिवार में एक बेटी और बेटा हैं जो सैटेल्ड हैं. बेटा भी नेवी में है.