बिहार के मधुबनी जिले का गांव जितवारपुर एक बार फिर चर्चा में है. अंतर सिर्फ इतना है कि पहले ये गांव बिहार को गौरवान्वित करने के लिए चर्चा में था, तो वहीं बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में अपनी बदहाली के लिए चर्चा में है. इस गांव ने बिहार को तीन पद्म पुरस्कार दिए हैं, तो वहीं 25 राष्ट्रीय और 100 से अधिक राजकीय पुरस्कार भी इस गांव के लोगों के पास हैं. इसके बाद भी इस गांव का हाल बेहद बुरा है. आलम ये है कि गांव के बाहर विधायक और सांसद लापता होने के होर्डिंग लगा दिए गए हैं.
(इनपुट- अभिषेक कुमार झा)
मधुबनी जिला मुख्यालय से सटे गांव जितवारपुर को मधुबनी पेंटिंग के हब के रूप मे पहचाना जाता है. गांव मे अब तक मधुबनी पेंटिंग के क्षेत्र में तीन महिलाओं को पद्मश्री, पच्चीस से अधिक को नेशनल और सौ से अधिक को स्टेट अवॉर्ड मिल चुके हैं. गांव में दो हजार से अधिक कलाकार हैं.
गांव की ज्यादतर आबादी मधुबनी पेंटिंग बनाती है. यही इनका मुख्य व्यवसाय है. पिछले वर्ष इस गांव को क्राफ्ट विलेज बनाने की घोषणा की गई थी. तत्कालीन जिलाधिकारी कपिल अशोक ने इस दिशा में काफी प्रयास भी किया, जिसके बाद कुछ काम की शुरुआत भी हुई, लेकिन जिलाधिकारी के तबादले के साथ ही काम ठप हो गया.
गांव के लोगों का कहना है कि अब इस गांव में सारे विकास कार्य रुक गए हैं. आलम ये है कि मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं. सड़क, नाली जैसी छोटी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. इन समस्याओं को लेकर गांव के लोगों ने इस बार वोट बहिष्कार का फैसला लिया है. गांव के बाहर राजद विधायक फैयाज अहमद और बीजेपी सांसद अशोक यादव के लापता होने के होर्डिंग्स लगाए गए हैं.
इस गांव के स्टेट अवॉर्ड प्राप्त कर चुके रेमंत कुमार मिश्रा ने कहा हमारे साथ छल किया गया है. गांव में विकास के नाम पर कुछ भी काम नहीं हुआ. वहीं एक अन्य कलाकार ने कहा कि शुरुआत में बताया गया था कि अपने गांव को सजाइये, चाय नाश्ते का रुपया मिलेगा. कई महीनों तक काम किया, लेकिन पैसे देने कोई नहीं आया.