मुंगेर का बेली ब्रिज पिछले 15 सालों से चुनावी मुद्दा बना हुआ है. इस बार के चुनाव में भी ये बड़ा मुद्दा बनने वाला है. क्योंकि मुहाना सड़क पर स्थित बेली ब्रिज के नीचे मिट्टी धंसने से उसका एक ओर का हिस्सा धंस गया है. वहीं ब्रिज के बगल में बन रहा दूसरा पुल 15 सालों बाद भी अधूरा है. इसलिए अब लोगों को भागलपुर जाने के लिए 50 किलोमीटर लंबा सफर तय करना पड़ेगा. (इनपुट- गोविंद कुमार)
बेली ब्रिज के धंसने की वजह से रास्ते को रोक दिया गया है. इस कारण लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है. वे पिछले कई सालों से ब्रिज निर्माण की मांग कर रहे हैं. लेकिन वह अभी तक अधूरा है.
पिछले 15 सालों से अंतिम सांसें गिन रहा बेली ब्रिज ने आखिरकार अपना दम तोड़ ही दिया. 2007 में 2.65 करोड़ रुपए से बेली ब्रिज का निर्माण हुआ था. बगल में बन रहे घोरघट पुल का निर्माण 15 साल से ज्यादा बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया है.
नए ब्रिज के नहीं बनने की वजह से बड़े वाहनों का आना-जाना नहीं हो पा रहा है. घोरघट बेली ब्रिज का दूसरा छोर भागलपुर की तरफ है. उस छोर के दाहिने हिस्से पर बेली ब्रिज के नीचे मिट्टी का बड़ा हिस्सा धंस गया है. इस वजह से सड़क नीचे से पूरी तरह खोखली हो गई है.
गाड़ियों को दुर्घटना का शिकार होने से बचाने के लिए प्रशासन ने बेली ब्रिज को पूरी तरह सील कर आवागमन रोक दिया है. बेली ब्रिज के बगल में घोरघट पुल पिछले कई सालों से जमीन अधिग्रहण और हाई कोर्ट में मामला जाने के बाद फंसा है. अब तक निर्माणाधीन है.