बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में इस बार रिकॉर्ड संख्या में उम्मीदवार चुनाव मैदान में होते लेकिन नामांकन पत्र की त्रुटियों ने ये रिकॉर्ड बनने से रोक दिया. हालांकि एक नया रिकॉर्ड बन ही गया. ये रिकॉर्ड है नामांकन निरस्त होने का. यदि बिहार में 2015 से इस बार के नामांकन की तुलना करें तो कई दिलचस्प चीजें निकल कर सामने आती हैं.
साढ़े तीन गुना ज्यादा निरस्तीकरण: बिहार के पिछले चुनाव यानी 2015 के विधानसभा चुनाव में सभी चरणों की नामांकन प्रक्रिया में कुल 171 उम्मीदवारों के नामांकन निरस्त हुए थे. जबकि इस बार निरस्त हुए नामांकन की संख्या करीब साढ़े तीन गुना बढ़ी है. इस बार तीन चरणों के लिए हुए नामांकन में कुल 629 उम्मीदवारों के पर्चे रद्द हुए हैं. पहले चरण में 264, दूसरे चरण में 203 तथा तीसरे चरण में 162 उम्मीदवारों के पर्चे रद्द हुए हैं.
इस बार 8 प्रतिशत ज्यादा प्रत्याशी: इस बार के विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्रों की जांच तथा नाम वापसी के बाद 243 सीटों के लिए कुल 3738 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. पिछले चुनाव में ये संख्या 3450 थी. इस तरह 2015 के चुनावों से तुलना करके देखें तो इस बार प्रत्याशियों की संख्या में 8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. इसमें पहले चरण के लिए 1066, दूसरे चरण के लिए 1464 तथा तीसरे व अंतिम चरण के लिए 1208 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं.
तब 26 प्रतिशत ज्यादा होते प्रत्याशी: आंकड़ों पर गौर करें तो यदि इस बार रिकॉर्ड संख्या में उम्मीदवारों के नामांकन निरस्त नहीं हुए होते तो चुनाव मैदान में कुल 4367 प्रत्याशी मैदान में होते. पिछले चुनाव की तुलना में ये संख्या 26 प्रतिशत ज्यादा होती जो एक अलग ही रिकॉर्ड होता.