बिहार की राजधानी पटना का जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट बेहद खतरनाक है. ये खुलासा हुआ इंडिया टुडे द्वारा एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को डाली गई आरटीआई से. इस एयरपोर्ट का रनवे कोझिकोड हवाई अड्डे से भी छोटा है. पिछले पांच वर्षों में न तो इसकी लंबाई को बढ़ाया गया है. न ही इसकी लंबाई को लेकर कोई सुरक्षा ऑडिट किया गया है.
राजधानी पटना के जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट पर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार है. इस एयरपोर्ट का रनवे कोझिकोड एयरपोर्ट से भी छोटा है, जहां 7 अगस्त को एक विमान हादसा हुआ था. इसमें 17 लोगों की मौत हो गई थी. एक रिपोर्ट के अनुसार कोझिकोड एयरपोर्ट के लैडिंग पाइंट से प्लेन आगे निकल गया था, जिसकी वजह से ये हादसा हुआ.
इस हादसे के बाद भारत के तमाम एयरपोर्ट के रनवे नजर में आए, जिनकी लंबाई कम है. इस हादसे के बाद जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट पटना के रनवे को लेकर इंडिया टुडे ने आरटीआई डाली, जिसमें एयरपोर्ट के ट्रैफिक, लंबाई और सुरक्षा से संबंधित मामलों में जानकारी मांगी गई. इस आरटीआई में चौंकाने वाले खुलासे हुए.
पटना एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई एयरपोर्ट अथॉरिटी पटना ने 2072 मीटर बताई, साथ ही बताया कि पिछले पांच सालों में इसे बढ़ाया नहीं गया है. क्या बोइंग-737S और एयरबस A320S सामान्य यात्रीगण प्लेन जिनका पटना एयरपोर्ट पर सर्वाधिक आना जाना रहता है, इन विमानों की लैडिंग के लिए यहां के रनवे की लंबाई सही है? इस सवाल को नकारते हुए एएआई ने कहा कि इसका डेटा एयरलाइन ऑपरेटर और एजेंसी के पास रहता है.
बता दें कि Federal Aviation Administration, United States, के अनुसार ऐसे एयरवेज की सुरक्षित लैडिंग के लिए रनवे की लंबाई 2300 मीटर होनी चाहिए, जबकि पटना एयरपोर्ट का जो रनवे 2072 मीटर है, वो कितना सुरक्षित हो सकता है. वहीं कोझिकोड का टेबल टॉप रनवे 2700 मीटर है. पटना एयरपोर्ट की लंबाई को लेकर सुरक्षा ऑडिट हुआ कि नहीं, पर सवाल पूछा गया, तो एयपोर्ट अथॉरिटी ने कहा कि कोई ऑडिट नहीं हुआ है.
हकीकत ये है कि यदि पटना के लिए आप कहीं से फ्लाइट में सवार होकर आते हैं, तो यहां एयरपोर्ट पर लैडिंग के दौरान देखेंगे कि पायलट को अत्यधिक दबाव के साथ ब्रेक लगाना होता है. उनके लिए छोटे रनवे के कारण स्मूथ लैडिंग काफी कठिन हो जाती है.
इंडिया टुडे द्वारा पटना एयरपोर्ट को शिफ्ट करने के मामले में पूछे गए सवाल के जबाव में अथॉरिटी ने कहा कि हमें इस प्रकार की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन मीडिया में इस तरह की रिपोर्ट चल रही हैं कि पटना एयरपोर्ट बिहटा में स्थानांतरित किया जा रहा है.
पटना एयरपोर्ट पर पिछले पांच वर्ष में लैंड हुईं फ्लाइट्स का डेटा मांगा गया, तो बताया गया कि सिर्फ तीन वर्ष का डाटा सुरक्षित है, जो इस प्रकार है. साल 2019-2020 में 17269 लैंडिंग, साल 2018-2019 में 15958 लैडिंग और साल 2017-2018 में 12099 लैडिंग्स हुई हैं. एयरपोर्ट अथॉरिटी के इन आंकड़ों को देखा जाए तो पिछले दो साल में विमानों के आगमन की संख्या में वृद्धि हुई है.
पटना एयरपोर्ट पर लगातार ट्रैफिक बढ़ रहा है, मानक से भी छोटा यहां रनवे है, इसके बाद भी एयरपोर्ट को कहीं अन्य जगह स्थानांतरित करने का प्लान नहीं है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारियों को किसी हादसे का इंतजार है.