इस समय नेपाल के साथ भारत के संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं. सीमाओं की सुरक्षा का दायित्व हमारे जवानों के कंधे पर है जो दिन-रात किसी भी मौसम में तैनात रहते हैं. ऐसे में अगर उनके चेक पोस्ट पर ही खतरा मंडराने लगे तो सोचिए क्या होगा. ये खतरा नेपाल से नहीं बल्कि बाढ़ की वजह से नदी के बढ़ते जलस्तर से है. (रिपोर्टः गणेश शंकर)
बिहार में नेपाल सीमा के रक्सौल अनुमंडल की सुरक्षा का जिम्मा सीमा सुरक्षा बल (SSB) की 47वीं बटालियन पर है. कोरोना काल के दौरान अवैध आवाजाही रोकने के लिए इनकी तैनाती बढ़ा दी गई है. चीन के साथ तनावपूर्ण संबंध और उसकी नेपाल के साथ नजदीकी के चलते सीमा की सुरक्षा का जिम्मा इनके कंधों पर है. रक्सौल के सीमाई गांव पनटोका का 393 पिलर सिरिसवा नदी के तट पर है. यहां एसएसबी के जवान सीमा की सुरक्षा करते हैं.
इन दिनों बिहार के साथ नेपाल में भी तेज बारिश हो रही है. इससे नेपाल की पहाड़ी नदियां उफान पर हैं. इसका असर बिहार के जिलों पर दिखता है. ये नदियां बिहार के जिलों में अपना रौद्र रूप दिखा रही हैं. एक बार फिर से बिहार-नेपाल सीमा के रक्सौल और बीरगंज को जोड़ने वाली सिरिसवा नदी उफान पर है. ऐसे में नदियों के किनारे रहने वालों का जीना दूभर हो गया है. रक्सौल में बने एसएसबी के अस्थाई पोस्ट को भी नदी ने लगभग अपनी चपेट में ले लिया है. इन जवानों के रहने के लिए बनाया गया अस्थाई पोस्ट भी बाढ़ के पानी से घिर गया है.
कोविड-19 को देखते हुए बिहार-नेपाल सीमा को सील कर दिया गया है. इसके बावजूद अक्सर अवैध आवाजाही के साथ तस्करी की सूचना मिलती रहती है. बाढ़ और बारिश की इस स्थिति में पोस्ट की सुरक्षा करना इन जवानों के लिए चुनौती बन गई है.
इस संबंध में 47वीं बटालियन के कमांडेंट प्रियवर्त शर्मा ने बताया कि इनके अंतर्गत लगभग सभी पोस्ट नदी से घिरे हुए हैं. या फिर नदी पर ही बनाए गए हैं. क्योंकि सीमाओं का विभाजन ही उस तरह है. बाढ़ और बारिश में यहां सेवा देना मुश्किल हो जाता है. इसके बावजूद मुझे भरोसा है कि हमारे जवान एक किसी भी अवैध कार्यवाही नहीं होने देंगे. हमारी नजरों से गुजरे बिना कोई परिंदा भी देश में घुस नहीं सकता.