बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर नेताओं में नाराजगी देखने को मिल रही है. आमतौर पर नेता टिकट नहीं मिलने पर बागी हो जाते हैं या फिर दूसरी पार्टी ज्वॉइन कर लेते हैं. लेकिन गोपालगंज के नेता इस तरह कांग्रेस से नाराज हुए कि उन्होंने अपना कांग्रेस कार्यालय ही समाप्त कर दिया. यह कार्यालय कांग्रेस पिछड़ा प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष सुभाष सिंह कुशवाहा के निजी आवास में पिछले 15 साल से चल रहा था. सुभाष सिंह कुशवाहा को उम्मीद थी कि कांग्रेस उन्हें इस बार टिकट देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ( इनपुट : सुनील तिवारी )
दरअसल, गोपालगंज की छह विधानसभा में से महागठबंधन में दो सीटें कांग्रेस के पाले में गई हैं. कुचायकोट विधानसभा से पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडेय को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री स्व अब्दुल गफूर के पोते आशिफ गफूर को गोपालगंज से उम्मीदवार बनाया है. इन्हें उम्मीदवार बनाए जाने पर स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी देखने को मिली. ये नाराजगी यहां तक पहुंच गई कि जिला कार्यालय के बोर्ड को फेंक दिया गया. साथ ही कार्यालय में रखे गए पार्टी के पोस्टर, बैनर और झंडे आग के हवाले कर दिए गए.
निजी भवन में चल रहा था कार्यालय
सुभाष सिंह का कहना था कि वह 15 साल से कांग्रेस की सेवा कर रहे हैं. कांग्रेस का कार्यालय नहीं होने पर मैंने अपने निजी भवन में कार्यालय खोला था. जहां पर जिला कार्यालय संचालित था. जितने भी कांग्रेस नेता या पार्टी पदाधिकारी आते हैं उनको वह मैनेज करते रहे हैं.
सुभाष सिंह ने कांग्रेस पदाधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस की दोहरी नीति की वजह से पार्टी ने टिकट बेच दिया. मुझे टिकट नहीं मिला. इसलिए मैंने मकान से कांग्रेस जिला कार्यालय को हटा दिया है. साथ ही मैंने इस्तीफा दे दिया है. अब इसके बाद क्या करना है वह चुनाव के बाद निर्णय लेंगे. फिलहाल कांग्रेस को हराने का काम करेंगे.
सुभाष सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि पटना में बैठे प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, सदानंद सिंह और पार्टी के पर्यवेक्षक शक्ति सिंह गोयल ने बेईमानी की और रुपये लेकर टिकट बेचने के काम किया है. यहां तक कि हमसे भी दिल्ली में रुपये की मांग की गई थी. जब हमने रुपये नहीं दिए तो टिकट काट दिया गया. पार्टी में सेवा का अब कोई महत्व नहीं रह गया है.