पहले चरण में आपराधिक छवि वाले और अपने नेताओं के फैमिली मेंबर्स को लेकर आलोचना सुनने वाले राजद नेता तेजस्वी यादव यूं ही टिकट काट और बांट नहीं रहे. पार्टी लेवल पर ये चर्चा तेज हो गई है कि सिटिंग विधायकों और भावी प्रत्याशियों के बारे में गोपनीय रिपोर्ट कार्ड देखने के बाद ही उनका टिकट फाइनल किया जा रहा है. यही एक वजह है कि इस बार राजद के टिकट बंटवारे में कई अप्रत्याशित फेरबदल भी देखने को मिला है.
चुनाव के पूर्व का सर्वेक्षण
पार्टी सूत्रों के मुताबिक तेजस्वी ने चुनाव से पहले ही सभी 243 विधानसभा सीटों पर एक गोपनीय सर्वेक्षण को अंजाम दिया था. इसमें पार्टी सिटिंग विधायक, पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहने वाले प्रत्याशियों की रिपोर्ट कार्ड तैयार कराई गई. ये भी जानने का प्रयास हुआ कि भावी उम्मीदवारों में कौन कितने पानी में हैं. ओवरऑल उम्मीदवारों की छवि और क्षेत्र में उनका प्रभाव तथा जातीय समीकरण के हिसाब से पूर्वानुमान का प्रयास भी किया गया. किस व्यक्ति की जीत की संभावना सबसे ज्यादा है, इस पर रिसर्च हुआ था.
इन विधायकों का कटा टिकट
जिन सिटिंग विधायकों का तेजस्वी ने टिकट काटा है, उनमें हरसिद्धि के राजेंद्र कुमार, केसरिया के राजेश कुमार, मखदुमपुर के सूबेदार दास, बरौली के नेमतुल्लाह, गोरियाकोठी के सत्यदेव प्रसाद, तरैया के मुंद्रिका यादव, सहरसा के अरुण यादव, सिमरी बख्तियारपुर के जफर आलम प्रमुख हैं. गरखा के मुनेश्वर चौधरी राजद छोड़ अब जाप का दामन पकड़ चुके हैं. अतरी सीट पर मौजूदा विधायक कुंती देवी का टिकट काट कर उनके बेटे अजय यादव को दिया गया है जबकि संदेश के विधायक अरुण यादव का टिकट अब उनकी पत्नी किरण देवी के हाथ में है.
रिपोर्ट के आधार पर कटा टिकट
माना जा रहा है कि तेजस्वी ने इस सर्वे रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है और पार्टी के उन सीटिंग विधायकों का टिकट काटा है, जिनकी रिपोर्ट सबसे निगेटिव थी. जिन सीटों पर राजद कमजोर मिली, वो सीटें गठबंधन के अन्य दलों को दी गई हैं और वहां के जातीय समीकरणों के आधार पर प्रत्याशी उतारने का सुझाव दिया गया है. ताकि प्रत्येक विधानसभा सीट पर राजद के साथ गठबंधन के प्रत्याशी सीधे मुकाबले में रहें.
गठबंधन के हवाले जीत वाली ये सीटें
राजद ने अपनी सात ऐसी सीटें गठबंधन के सहयोगी दलों के हवाले की हैं. माना जा रहा है कि इन सीटों के चुनाव के पीछे भी सर्वे रिपोर्ट की महत्वपूर्ण भूमिका रही. इन सीटों पर विरोधी माहौल की आहट महसूस करते हुए तेजस्वी ने इन्हें सहयोगी दलों के खाते में डाल दिया है. इनमें से पांच सीटें माले को और दो सीपीआई को मिली हैं. इस वजह से आरा के विधायक अनवर आलम, काराकाट के संजय कुमार, अरवल के रविंदर सिंह, ओबरा से बीरेंद्र प्रसाद को टिकट की जगह मायूसी हाथ लगी है. पालीगंज सीट के राजद विधायक जयवर्धन यादव अब जदयू के साथ हैं. झंझारपुर के राजद विधायक गुलाब यादव और बखरी के विधायक उपेंद्र पासवान भी अब बेटिकट हैं.