कम्युनिटी ट्रांसमिशन… ये उन बहुत सारे शब्दों में से एक है जो हमने कोरोना काल में सुने. कई लोग लॉकडाउन के आख़िरी दिनों में कहने लगे थे कि कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो गया है. कई तो उसके भी पहले बोले थे लेकिन केंद्र सरकार ने कभी नहीं माना. फिर कुछ राज्य सरकारों ने माना कि उनके यहाँ कम्युनिटी ट्रांसमिशन के हालात हैं तो अब जाकर पहली बार केंद्र सरकार ने ये बात मानी कि भारत कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज में है. सबसे ताज़ा राज्य बंगाल है जिसने ये बात मानी. WHO के मुताबिक कम्युनिटी ट्रांसमिशन तब होता है जब ये नहीं बताया जा सकता कि किसे कोरोना कहां से हो गया? इसक एक मतलब ये भी है की वायरस का संक्रमण उन लोगों में भी हो रहा है, जो प्रभावित इलाके में नहीं गए हैं या इन्फेक्टेड लोगों से नहीं मिले हैं. इसके साथ कहा ये भी जा रहा है कि कोरोना का पीक स्टेज गुज़र गया है. तो क्या बिना कम्युनिटी ट्रांसमिशन के कोरोना का पीक आकर चला गया होगा? क्या ये पॉसिबल है? यही बता रहे हैं डॉ चंद्रकांत लहरिया.
बिहार में कोरोना को लेकर जो एहतियात बरतने चाहिए थे वो कोई नहीं बरत रहा. खूब रैली हो रही हैं, समर्थक जुट रहे हैं, सोशल डिस्टैंसिंग नाम की चीज़ नहीं है. ऐसा होना ही था. आख़िर राज्य में चुनाव है और लोकतंत्र में चुनाव से बढ़कर कहां कोई त्यौहार है.. एक तरफ़ लालू प्रसाद यादव जेल से ही बेटे तेजस्वी यादव की कप्तानी को बूस्ट कर रहे हैं…वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार की वर्षों से बनाई सुशासन बाबू की छवि है जिसे इस बार भाजपा के संगठन का साथ मिला हुआ है.. तीसरी तरफ चिराग पासवान ने ठान लिया है कि नीतीश कुमार को सत्ता में वापसी नहीं करने देंगे… तो चौथी तरफ़ एक तीसरा मोर्चा भी है जिसे मुसलमान और दलितों से बड़ी उम्मीदें हैं. तो कुल मिलाकर चुनाव दिलचस्प है, मोर्चे सजे हुए हैं और योद्धाओं की आस्तीनें चढ़ी हैं पर इन हज़ार रंगों में से एक एक रंग चुनकर आप तक लाना हमारा काम है और आज एक ऐसा ही रंग पेश है. आज बताएंगे इस चुनाव में महिला प्रत्याशियों के रोल के बारे में. प्रभाष दत्ता बता रहे हैं कि बिहार को महिला उम्मीदवार किस तरह प्रभावित कर रही हैं और किन चेहरों पर रहेगी सबकी नज़र.
देश में चुनाव की बात तो होती है लेकिन आज न्यूज़ीलैंड के चुनाव की भी बात होगी. इसकी बात किसलिए हो रही है? वो इसलिए क्योंकि न्यूज़ीलैंड में इतिहास रच दिया गया है. रचनेवाली हैं प्रधानमंत्री जैसिंडा आर्डर्न. जैसिंडा ने कोरोना के खिलाफ देश को जंग जिताई तो देश ने उन्हें बहुमत से चुनाव जिता दिया. देश के इतिहास में इतनी विशाल जीत किसी पार्टी को पहली बार मिली है. जैसिंडा की पार्टी को 87% वोट में से 48.9% वोट मिले हैं. इस जीत के बाद दुनिया की फ़ीमेल लीडर्स में जैसिंडा कहां जा खड़ी हुईं और इस जीत के मायने क्या हैं ये समझने के लिए हमारे सहयोगी रितुराज ने बात का पूर्व राजनियक अशोक सज्जनहार से.
और ये भी जानिए कि 20 अक्टूबर की तारीख इतिहास के लिहाज़ से अहम क्यों है.. क्या घटनाएं इस दिन घटी थीं. अख़बारों का हाल भी पांच मिनटों में सुनिए और खुद को अप टू डेट कीजिए. इतना कुछ महज़ आधे घंटे के न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में नितिन ठाकुर के साथ.