पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की एनडीए में वापसी के बाद गठबंधन के एक और सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी में हलचल तेज हो गई है. जीतन राम मांझी के दोबारा एनडीए में शामिल होने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी नाखुश है. इसकी मुख्य वजह यह है कि एनडीए में लोक जनशक्ति पार्टी मुख्यतः दलित राजनीति करती है. मगर अब मांझी के वापस एनडीए में शामिल होने से दलित वोट बैंक को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है.
सवाल उठने लगे हैं कि एनडीए में दलित राजनीति करने वाला बड़ा नेता कौन है? लोक जनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान या फिर जीतन राम मांझी. पूर्व में भी रामविलास पासवान और जीतन राम मांझी के बीच इस बात को लेकर हमेशा टकराव की स्थिति रही है कि आखिर बिहार में दलित का बड़ा नेता कौन है?
मांझी की एनडीए में एंट्री से परेशान लोक जनशक्ति पार्टी ने अब 7 सितंबर को प्रदेश संसदीय बोर्ड की दिल्ली में बैठक बुलाई है. जहां पर चुनाव को लेकर आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा. इस बारे में लोक जनशक्ति पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'दिनांक 7 सितम्बर को लोजपा बिहार संसदीय बोर्ड की बैठक दोपहर 2 बजे नई दिल्ली में रखी गई है. इस बैठक में लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के साथ बोर्ड के अध्यक्ष विधायक राजू तिवारी व बिहार प्रदेश अध्यक्ष सांसद प्रिन्स राज व अन्य सदस्य मौजूद रहेंगे.'
दिनांक 7 सितम्बर को लोजपा बिहार संसदीय बोर्ड की बैठक दोपहर 2 बजे नई दिल्ली में रखी गई है।इस बैठक में लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चिराग पासवान जी के साथ बोर्ड के अध्यक्ष विधायक श्री राजू तिवारी जी व बिहार प्रदेश अध्यक्ष सांसद श्री प्रिन्स राज जी व अन्य सदस्य मौजूद रहेंगे। pic.twitter.com/qiSKPKurIo
— Lok Janshakti Party (@LJP4India) September 2, 2020
सूत्रों के मुताबिक लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान इस बैठक में इस बात पर भी विचार करेंगे कि लोक जनशक्ति पार्टी जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे या नहीं? जाहिर है चिराग पासवान, लंबे समय से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज चल रहे हैं.