
बिहार विधानसभा चुनाव-2020 के नतीजे 10 नवंबर को आ रहे हैं. इस सीट से 30 नामांकन दाखिल हुए थे. इसमें 26 स्वीकार किया गया, जबकि 2 रिजेक्ट और 2 उम्मीदवारों ने नामांकन वापस ले लिया था. तीसरे चरण के तहत यहां 60.96% वोटिंग हुई है. इन उम्मीदवारों के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है.
1 - महबूब आलम- CPI (ML)(L)
2 - वरुण कुमार झा पार्टी- VIP
3 - संगीता देवी- LJP
कटिहार जिले की बलरामपुर विधानसभा सीट की बात की जाए तो यहां इससे पहले दो बार चुनाव हुए हैं. 2010 में यहां पहली बार चुनाव हुआ था, जिसमें निर्दलीय उम्मीदवार दुलाल चंद्र गोस्वामी की जीत हुई थी. 2015 के चुनाव में CPI-ML के महबूब आलम ने बीजेपी के वरुण कुमार झा को 20,419 वोटों से पटखनी दी थी.
इस सीट पर मुस्लिम निर्णायक भूमिका में हैं और यादव की संख्या भी अच्छी है. महानंदा नदी से घिरे इस क्षेत्र का कुछ हिस्सा पश्चिम बंगाल क्षेत्र में भी पड़ता है. इस कारण दोनों प्रदेशों की संस्कृति यहां पर मिली-जुली हुई है.
विधायक- महबूब आलम
पार्टी- CPI-ML
वोटरों की संख्या- 2,97,552
पुरुष वोटर - 1,58,619
महिला वोटर- 1,38,919
एग्जिट पोल में किसे कितनी सीट?
• महागठबंधन को 139 से 161 सीटें
• एनडीए को 69 से 91 सीटें
• लोजपा को 3 से 5 सीटें
• GDSF को 3 से 5 सीटें
• अन्य को 3 से 5 सीटें
कृषि आधारित उद्योग में से एक मखाना है
जिले में जीविका का प्रमुख स्रोत कृषि और कुछ उद्योग हैं. यहां उद्योग मुख्य रूप से कृषि आधारित है. कटिहार जिले के किसानों की मुख्य नकदी फसल केला, जूट, मक्का हैं. समूह में शामिल होने के लिए कृषि आधारित उद्योग में से एक मखाना है. मुख्य फसलें धान, जूट, केले, गेहूं, मक्का और दलहन हैं.
कटिहार जिले का इतिहास
कटिहार 1973 में पूर्णिया जिले से विभाजित होकर एक संपूर्ण जिला बना था. पूर्व में कटिहार जिले में चौधरी परिवार का प्रभुत्व था, जो कोसी क्षेत्र के सबसे बड़े जमींदार थे. चौधरी परिवार के संस्थापक खान बहादुर मोहम्मद बक्श थे, जिनके पास कटिहार जिले में लगभग 15000 एकड़ और 8500 एकड़ जमीन पूर्णिया जिले में थी.
ये भी पढ़ें