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बाढ़ विधानसभा सीट: क्या लगातार चौथी बार चलेगा ‘ज्ञानू बाबू’ का जादू?

कभी नीतीश कुमार के करीबी रहे ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी बदल दी थी. जब लालू-नीतीश साथ आए तो ज्ञानेंद्र ने भाजपा का दामन थाम लिया.

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बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र कुमार सिंह
बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र कुमार सिंह
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिहार में विधानसभा चुनाव की हलचल शुरू
  • बाढ़ विधानसभा सीट पर ज्ञानेंद्र सिंह का कब्जा
  • तीन बार से जीतते आए हैं चुनाव

बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है, अब दस नवंबर को नतीजों का इंतजार है. बिहार की बाढ़ विधानसभा सीट पर इस बार 28 अक्टूबर को वोट डाले गए, यहां कुल 53.75 फीसदी मतदान हुआ.

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बिहार की बाढ़ विधानसभा सीट जनता दल (U) और भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रही है. इस बार कोरोना संकट काल और बाढ़ के बीच जब राज्य में फिर से चुनाव हो रहे हैं तो एक बार फिर हर किसी की नजर यहां है. बाढ़ से विधायक भारतीय जनता पार्टी के ज्ञानेंद्र कुमार सिंह पहले जदयू में थे, लेकिन पिछले चुनाव में पार्टी बदल दी. पिछले कुछ वक्त में स्थानीय विधायक को यहां जनता का रोष झेलना पड़ा है, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल भी हुई थीं. 

कौन-कौन है मैदान में?
बीजेपी – ज्ञानेंद्र कुमार सिंह 
आरएलएसपी – राकेश कुमार
कांग्रेस – सत्येंद्र बहादुर 

कब होना है चुनाव? 
पहला चरण – 28 अक्टूबर
नतीजा – दस नवंबर

बाढ़ विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
मुंगेर लोकसभा सीट का हिस्सा बाढ़ शुरुआती वक्त में कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी. लेकिन 1990 के बाद से यहां जनता दल का दबदबा दिखना शुरू हुआ, उसके बाद जब जनता दल (यू) बनी और फिर एनडीए का हिस्सा रही, तब जनता ने इन्हीं पर ही भरोसा जताया. ये सीट भी 1951 से ही बन गई थी और शुरुआती तीन चुनावों में कांग्रेस ने बाजी मारी थी. हालांकि, अगर आखिरी तीन चुनाव की बात करें तो ज्ञानेंद्र सिंह ही जीतते आ रहे हैं.

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क्या कहता है सामाजिक तानाबाना?
मोकामा विधानसभा सीट की तरह भी यहां पर भूमिहार वोटरों का रुतबा है. यही कारण है कि हर पार्टी भूमिहार उम्मीदवार को ही उतारती रही है. हालांकि, यहां राजपूत सामज के वोटर भी इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में हैं. पिछली बार भाजपा ने ज्ञानेंद्र सिंह को मौका दिया और जीत गए. 2015 चुनाव के हिसाब से यहां करीब 2.46 लाख वोटर हैं, इनमें करीब 1.34 लाख पुरुष और 1.11 लाख महिला वोटर हैं. पूरी विधानसभा क्षेत्र में करीब चार पंचायत और तीन-चार ब्लॉक आते हैं, जो चुनावी नतीजा अपने हिसाब से मोड़ सकते हैं.

2015 में क्या रहा था नतीजा?
कभी नीतीश कुमार के करीबी रहे ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी बदल दी थी. जब लालू-नीतीश साथ आए तो ज्ञानेंद्र ने भाजपा का दामन थाम लिया. वो तीन बार ये यहां से विधायक चुने जा चुके हैं, इनमें से 2005, 2010 में जदयू की सीट से और 2015 में भाजपा की ओर से. पिछले चुनाव में ज्ञानेंद्र कुमार सिंह को 63 हजार के करीब वोट मिले थे, जबकि उनके सामने जदयू के मनोज कुमार थे जो 55 हजार वोटों पर थम गए थे. 

विधायक का रिपोर्ट कार्ड
ज्ञानेंद्र कुमार सिंह को नीतीश कुमार का करीबी माना जाता रहा, तमाम विरोधों के बावजूद वो यहां से चुनाव जीतते आए हैं. 2005, 2010 में उन्होंने जदयू में रहते हुए जीत हासिल की और 2015 में भाजपा में रहते हुए. हाल ही में कोरोना संकट कारण और बाढ़ की वजह से स्थिति कुछ अलग है, हाल ही में ज्ञानेंद्र सिंह का अपने क्षेत्र में काफी विरोध भी हुआ था. हजारीबाग से पढ़े हुए और लोगों में ज्ञानू बाबू के नाम से मशहूर ज्ञानेंद्र कुमार सिंह को क्षेत्र में कई छोटी-बड़ी योजना शुरू करने वाला माना जाता रहा है. 

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