बेतिया विधानसभा सीट की बिहार विधानसभा में सीट क्रम संख्या आठ है. यह विधानसभा क्षेत्र पश्चिम चंपारण जिले में पड़ता है और यह पश्चिम चंपारण संसदीय (लोकसभा) निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा भी है. 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद इस विधानसभा सीट में बदलाव किया गया और इसके तहत बेतिया सामुदायिक विकास ब्लॉक, मोहद्दीपुर, मझहौलिया, पारसा, बहुआरवास गुदारास बखरिया, राजभर और सेनुवरिया समेत कई क्षेत्रों को शामिल किया गया.
बेतिया विधानसभा सीट पहले बेतिया लोकसभा सीट का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन 2008 के बाद इसमें बदलाव कर दिया गया और इसे पश्चिम चंपारण संसदीय (लोकसभा) निर्वाचन क्षेत्र में शामिल कर दिया गया. बेतिया विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. लेकिन 2000 में बीजेपी ने इसे अपने कब्जे में ले लिया हालांकि 2015 में कांग्रेस ने फिर से जीत हासिल कर लिया.
1990 में बीजेपी को मिली पहली जीत
कांग्रेस ने 1951 से लेकर अब तक हए 18 चुनावों में 11 बार जीत हासिल की है. 1951 से लेकर 1962 तक कांग्रेस ने 5 चुनाव जीते. लेकिन 1967 में उसे निर्दलीय प्रत्याशी के हाथों हार मिली. 1969 के बाद से 1985 तक कांग्रेस का कब्जा रहा. 1990 में भारतीय जनता पार्टी को पहली जीत मिली लेकिन 1995 में उसे हार मिली. कांग्रेस के गौरी शंकर पांडे यहां से 4 बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे.
हालांकि 2000 में बीजेपी ने शानदार वापसी की और पार्टी 2010 तक 4 विधानसभा चुनावों में लगातार जीत के साथ अपने कब्जे में रखने में कामयाब रही. रेनू देवी ने लगातार 4 बार चुनाव में जीत हासिल की. वह बिहार सरकार में मंत्री भी रहीं. हालांकि 2015 के चुनाव में रेनू देवी को हार का सामना करना पड़ा.
2015 में रोमांचक रहा मुकाबला
2015 में हुए विधानसभा चुनाव में बेतिया विधानसभा सीट की बात की जाए तो इस सीट पर कुल 2,48,311 मतदाता थे जिसमें 1,34,199 पुरुष और 1,14,112 महिला मतदाता शामिल थे. कुल 2,48,311 में से 1,47,563 मतदाताओं ने वोट डाले जिसमें 1,45,645 वोट वैध माने गए. इस सीट पर 59.4% मतदान हुआ था. जबकि नोटा के पक्ष में 1,918 लोगों ने वोट किया था.
बेतिया विधानसभा सीट पर 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मदन मोहन तिवारी ने जीत हासिल की थी. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की रेनू देवी को कांटेदार मुकाबले में महज 2,320 मतों के अंतर से हराया था. मदन मोहन तिवारी को 45.3% वोट मिले जबकि रेनू देवली को 43.7% वोट हासिल हुए.
जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस महागठबंधन के रूप में चुनाव लड़ रहे थे और यह सीट कांग्रेस को दी गई थी जिसमें उसे कड़े मुकाबले के बाद जीत मिली थी. इस सीट पर 16 उम्मीदवार मैदान में थे. इनमें से 4 उम्मीदवार निर्दलीय थे.
विधायक मदन मोहन तिवारी की शिक्षा के बारे में बात करें तो वह पोस्ट ग्रेजुएट हैं और 2015 में दाखिल हलफनामे के अनुसार उन पर कोई आपराधिक केस दर्ज नहीं है. उनके पास 2,34,32,709 रुपये की संपत्ति है, जबकि उन पर 1,00,000 रुपये की लाइबिलिटीज है.