भोजपुर में इस बार का विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प दिखाई दे रहा है. जहां कई सीटों पर मुकाबला कांटे का है. इस कारण खास कर बीजेपी और जेडीयू के लिए यह चुनाव काफी टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. जिले के 7 विधानसभा क्षेत्र में 6 सीटों पर बीजेपी और जेडीयू उम्मीदवारों के लिए निर्दलीय और एलजेपी कैंडिडेट मुसीबत बन कर सामने आ रहे हैं.
संदेश : यहां स्वेता सिंह की है अच्छी पकड़
संदेश विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू ने बिजेन्द्र यादव पर अपना भरोसा करते हुए प्रत्याशी के रूप में खड़ा किया है. बिजेन्द्र यादव इसके पहले इस विधानसभा से दो बार विधायक भी रह चुके हैं. जबकि आरजेडी ने उनके सामने किरण देवी को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया है. लेकिन इन दोनों के बीच खेल बिगाड़ने में एलजेपी की उम्मीदवार स्वेता सिंह काफी सशक्त दिखाई दे रही हैं. स्वेता सिंह कुछ वर्ग विशेष में अपनी अच्छी पकड़ रखती हैं, जिस कारण जेडीयू उम्मीदवार के लिए वो फिलहाल मुसीबत बन गई हैं.
बड़हरा : बीजेपी से बागी आशा देवी लड़ रहीं निर्दलीय चुनाव
इस विधानसभा से दो बार विधायक रह चुकीं व चुनाव से पहले बीजेपी की सक्रिय कार्यकर्ता आशा देवी अब बीजेपी के लिए ही बागी बन गई हैं. टिकट नहीं मिलने से नाराज आशा देवी निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं. वह बीजेपी उम्मीदवार राघवेंद्र प्रताप सिंह के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं. यह क्षेत्र राजपूत बहुल इलाका माना जाता है. जिसकी वजह से यह मिनी चितौड़ गढ़ भी कहा जाता है. यहां बीजेपी ने पूर्व मंत्री राघवेंद्र प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया है. वहीं आरजेडी ने यहां से सिटिंग विधायक सरोज यादव को अपना उम्मीदवार फिर से बनाया है.
माना जा रहा है कि इन दो लोगों के बीच ही मुकाबला है. लेकिन आशा के कारण बीजेपी के जीत पर ग्रहण लगते हुए दिखाई दे रहा है. जबकि आरजेडी के लिए भी इस चुनावी दरिया को पार करना उतना आसान नहीं है, जितना 2015 के समीकरण में बना था. इस बार आरजेडी प्रत्याशी के सामने जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी रघुपति यादव आरजेडी उम्मीदवार सरोज यादव के लिए राह में रोड़ा अटका सकते हैं.
आरा : बीजेपी के ही कार्यकर्ता निर्दलीय मैदान में कूदे
आरा विधानसभा में बीजेपी ने अमरेन्द्र प्रताप सिंह को टिकट दिया है. अमरेन्द्र प्रताप सिंह यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं. आरजेडी ने इनके सामने अपने सिटिंग विधायक अनवर आलम का टिकट काटकर महागठबंधन को जिंदा रखने के लिए कुर्बानी दी है और भाकपा माले के हार्डकोर सदस्य क्यामुद्दीन अंसारी को टिकट देकर चुनावी समर में नैया पार कराने की कोशिश कर रही है. जबकि बीजेपी उम्मीदवार के लिए जीत काफी हद तक आसान थी. लेकिन ऐन मौके पर बीजेपी के ही कार्यकर्ता हाकिम प्रसाद सेठ निर्दलीय नामांकन करके मैदान में कूद गए हैं. आरा सीट पर हाकिम प्रसाद सेठ के कारण बीजेपी की चुनावी तिकड़ी सेट नहीं हो पा रही है.
तरारी : जातीय समीकरण में भारी पड़ सकते हैं सुनील पांडेय
तरारी की बात करें तो बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिए कौशल कुमार विद्यार्थी को सिंबल देकर चुनाव लड़ने को हरी झंडी दी है. इनके विरोध में महागठबंधन समर्थित माले के वर्तमान विधायक सुदामा प्रसाद चुनाव लड़ रहे हैं. इन दो लोगों के बीच निर्दलीय उम्मीदवार बाहुबली सुनील की एंट्री से जनता के बीच उहापोह की स्थिति बनी हुई है. जातीय समीकरण में सुनील पांडेय बीजेपी उम्मीदवार पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं.
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शाहपुर : बीजेपी की पहले अपनों से लड़ाई
ब्राह्मण बहुल शाहपुर विधानसभा में भी बीजेपी प्रत्याशी मुन्नी देवी को पहले अपनों को मात देनी होगी फिर वो विरोधियों को करारा जवाब दे सकती हैं. क्योंकि यहां भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में शोभा देवी मुन्नी देवी को पटखनी देने के लिए जनता के बीच काफी जोरशोर से जन संपर्क कर रही हैं. रिश्तेदारी के हिसाब से बीजेपी प्रत्याशी मुन्नी देवी की जेठानी है शोभा देवी और वो भी बीजेपी के दिवंगत पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष विश्वेश्वर ओझा की पत्नी हैं. जबकि आरजेडी ने अपने शाहपुर विधायक राहुल तिवारी उर्फ मंटू तिवारी को टिकट देकर चुनाव लड़ने के लिए भेजा है.
जगदीशपुर : जेडीयू प्रत्याशी पर भारी भगवान सिंह!
जगदीशपुर विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवार पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा जेडीयू प्रत्याशी सुषुम्लता कुशवाहा पर इन दिनों भारी पड़ते नजर आ रहे हैं. जगदीशपुर में जातीय समीकरण के हिसाब से कुशवाहा वोट निर्णायक माना जाता है. जहां कुशवाहा समाज से ही दो उम्मीदवारों के लड़ने से आरजेडी प्रत्याशी राम बिशुन सिंह लोहिया जीत का ख्याली पुलाव पका रहे हैं. उनका मानना है कि उनकी किसी से लड़ाई ही नहीं है. राम बिशुन लोहिया फिलहाल जगदीशपुर के विधायक भी हैं.
अगिआंव : जेडीयू और माले के बीच सीधी टक्कर
आरक्षित विधानसभा अगिआंव से जेडीयू और माले के बीच सीधी टक्कर है. जेडीयू ने अपने विधायक प्रभुनाथ राम को उम्मीदवार बनाया है. जबकि पिछली बार भाकपा माले से चुनाव हार चुके मनोज मंजिल पर माले ने दूसरी बार दांव आजमाते हुए मैदान में फिर से खड़ा किया है. बहरहाल भोजपुर के सातों विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ एक अगिआंव विधानसभा इलाका ही है, जहां यूपीए और एनडीए गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है.
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