बिहार की सियासत के दिग्गज नेता माने जाने वाले शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. सुभाषिनी अपने पिता शरद यादव के संसदीय क्षेत्र रहे मधेपुरा इलाके की बिहारीगंज विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रही हैं. इस सीट पर पिछले दो चुनाव से जेडीयू का कब्जा है, लेकिन सुभाषिनी यादव के उतरने से यहां का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है.
मधेपुरा से शरद यादव का कनेक्शन
शरद यादव का जन्म भले ही मध्य प्रदेश में हुआ हो, लेकिन उन्होंने अपनी कर्मभूमि हमेशा बिहार को ही बनाकर रखा. आपातकाल आंदोलन से निकले शरद यादव को राजनीतिक तौर पर पहचान नब्बे के दशक में मंडल की राजनीति से मिली. इसी के बाद उन्होंने 1991 में बिहार के कोसी क्षेत्र के मधेपुरा को अपनी संसदीय क्षेत्र के तौर पर बनाया. इसके बाद 1991 से लेकर 2009 तक शरद यादव चार बार मधेपुरा सीट से सांसद चुने गए. इस इलाके में उनकी पकड़ इस कदर मजबूत थी कि 2009 के चुनाव में लालू यादव को मात दे दिया था.
हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में शरद यादव यहां से जीत नहीं सके, लेकिन अभी भी इस इलाके में अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखना चाहते हैं. यही वजह है कि मधेपुरा संसदीय सीट से तहत आने वाली बिहारीगंज सीट से अपनी बेटी सुभाषिनी यादव को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया. मधेपुरा जिले से 41 किमी दूर स्थिति बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र यादव बहुल माना जाता है.
2010 में बनी बिहारीगंज सीट
बिहारीगंज विधानसभा सीट साल 2010 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. पूर्णिया जिले से सटी इस विधानसभा सीट पर सत्ताधारी जेडीयू का दो बार से लगातार कब्जा है और निरंजन कुमार मेहता यहां से मौजूदा विधायक हैं. 2000 से लेकर 2005 तक लगातार आरजेडी के जय नंदन प्रसाद यादव विधायक रह चुके हैं. 2015 में महागठबंधन के तहते जेडीयू ने अपने मौजूदा विधायक रेणु कुमार का टिकट काटकर निरंजन कुमार मेहता को उतारा था. वो बीजेपी के रविंद्र को करीब 29 हजार मतों से मात देकर विधायक बने थे. हालांकि, इस बार समीकरण बदले हैं और बीजेपी के बजाय अब उनका मुकाबला कांग्रेस की सुभाषिनी यादव से है.
सुभाषिनी यादव पूर्व मंत्री शरद यादव की बेटी होने के अलावा हरियाणा के एक राजनीतिक परिवार की बहू भी हैं. सुभाषिनी ने पिछले साल लोकसभा चुनावों के दौरान मधेपुरा का दौरा किया था. यहां उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बयान देते हुए कहा कि पूरा बिहार छोड़कर मधेपुरा में डेरा जमाए बैठे हैं. मतलब डरे हुए हैं. हालांकि, अब खुद अपने पिता की रानीतिक विरासत को संभालने के लिए मैदान में उतर रही हैं और जेडीयू से ही उनका चुनावी मुकाबला है.
विकास के लिहाज से काफी पिछड़े बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र में बाढ़ के प्रकोप से हर साल यहां के लोगों को जूझना पड़ता है. बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र के बिहारीगंज, उदाकिशुनगंज, ग्वालपाड़ा, मुरलीगंज में बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती होती है. यह इलाका मनी क्रॉप के लिए भी चर्चित था. पहले यहां चीनी की मिलें भी हुआ करती थीं जो बंद हो गईं. मक्का आधरित उद्योग लगाने के वादे कई बार चुनाव में किए गए हैं, लेकिन पूरे नहीं हो सके हैं.