बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान गुरुवार शाम पांच बजे ठम गया है. प्रदेश की 243 सीटों में से 165 पर चुनाव हो चुके हैं जबकि 78 विधानसभा क्षेत्रों में शनिवार को वोट डाले जाएंगे. जाति की राजनीति का गढ़ माने जाने वाले बिहार में सुशासन बनाम जंगलराज जैसे मुद्दों के बीच पहली बार रोजगार का मुद्दा सबसे ज्यादा छाया रहा है. इसके अलावा चुनावी रैलियों में राम मंदिर, धारा 370, आरक्षण, पुलवामा, पाकिस्तान, सीएए-एनआरसी और घुसपैठ जैसे राष्ट्रवादी मुद्दे भी जोरशोर से उठाए गए.
पीएम मोदी ने चार दिन में 12 रैली
बिहार चुनाव में एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार दिन में अलग-अलग स्थानों पर 12 जनसभाएं की हैं. जेडीयू की ओर से नीतीश कुमार ने चुनावी कमान संभाल रखी थी और एक दिन में तीन से चार रैलियां कर रहे थे. नीतीश ने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत 14 अक्टूबर से की थी, जिसके लिहाज से उन्होंने करीब 80 रैलियां को संबोधित किया. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की दो दर्जन सभाएं हुई हैं, जिनमें आधा दर्जन रोड-शो भी शामिल थे. उत्तर प्रदेश के सीएम योगी 20 अक्टूबर को बिहार के चुनाव प्रचार में उतरे और उन्होंने करीब दो दर्जन जनसभाएं संबोधित की हैं. इसके अलावा एनडीए की ओर से तमाम केंद्रीय मंत्री और सांसद चुनावी प्रचार करते नजर आए.
तेजस्वी ने संभाली चुनावी कमान
महागठबंधन की ओर से चुनावी कमान अकेले तेजस्वी यादव ने संभाल रखी थी. तेजस्वी अपने चुनाव प्रचार की शुरूआत 13 अक्टूबर को समस्तीपुर के रोसड़ा से की थी और औसतन एक दिन में 12 से 14 रैलियों को संबोधित कर रहे थे. इस तरह से देखें तो तेजस्वी ने करीब ढाई सौ से ज्यादा जनसभाएं संबोधित की हैं. उन्होंने आरजेडी के साथ-साथ कांग्रेस और वामपंथी प्रत्याशियों की सीट पर भी प्रचार किया. वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने महज चार दिनों में 8 रैलियां ही संबोधित की हैं. इसके अलावा कांग्रेस के दूसरे अन्य नेता प्रचार करते दिखे. इसके अलावा एलजेपी की ओर से चिराग पासवान अकेले चुनावी प्रचार का मोर्च संभाले थे. उन्होंने 21 अक्टूबर अपने चुनाव प्रचार अभियान का आगाज किया था.
रोजगार का मुद्दा छाया रहा
बिहार के पहले चरण में रोजगार का मुद्दा छाया रहा है. सत्तापक्ष एनडीए हो या फिर आरजेडी की अगुवाई में विपक्षी महागठबंधन या कुशवाहा-ओवैसी की अगुवाई वाला गठबंधन, सभी दल जोरशोर से रोजगार के मुद्दे उठाते रहे और रोजगार के वादे करते नजर आए. हालांकि, रोजगार को चुनावी मुद्दा बनाने में तेजस्वी की अहम भूमिका रही, उन्होंने अपनी हर रैली में 10 लाख नौकरी देने के वादे का जिक्र किया. तेजस्वी मतदाताओं से कहते कि हमारा एजेंडा कमाई, पढ़ाई, दवाई और सिंचाई है. इस पर नीतीश कुमार से लेकर एनडीए के तमाम नेताओं ने सवाल किया कि नौकरी के नाम पर तेजस्वी युवाओं को छल रहे हैं. हालांकि, बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में 19 लाख रोजगार सृजन का वादा किया, जिसे बीजेपी नेता अपनी हर एक रैली में उठाते दिखे.
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आत्म निर्भर बिहार बनाने का वादा
आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर पीएम मोदी अपनी चुनावी सभाओं में आत्म निर्भर बिहार बनाने का वादा भी करते नजर आए. पीएम ने कहा कि कहा कि बिहार के लोग आत्मनिर्भर भारत-आत्मनिर्भर बिहार के लिए प्रतिबद्ध हैं, कटिबद्ध हैं, बीते साल में एक नए उदीयमान, आत्मनिर्भर और गौरवशाली अतीत से प्रेरित बिहार की नींव रखी जा चुकी है. अब इस मजबूत नींव पर एक भव्य और आधुनिक बिहार के निर्माण का समय है. आत्मनिर्भर बिहार के लिए हर जिले के ऐसे उत्पादों को निखारने, संवारने के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. बिहार के हर जिले में कम से कम एक ऐसा उत्पाद है, जो देश-विदेश के बाजारों में धूम मचा सकता है. उन्होंने खादी, मखाने, मधुबनी पेंटिंग, जूट उद्योग आदि का जिक्र किया. साथ ही धनतेरस, दिवाली और छठ पर लोकल सामान को खरीदने की अपील की.
सात निश्चय से लालू के जंगलराज
नीतीश कुमार अपने चुनावी कैंपेन में अपनी 7 निश्चय योजनाओं की जिक्र करने के साथ-साथ जंगलराज का डर दिखाते नजर आए. नीतीश ने लालू राज के बहाने आरजेडी पर जमकर निशाना साधा. इतना ही नहीं लालू यादव के परिवार पर निजी हमले बोलते हुए 8-8, 9-9 बच्चे पैदा करने जैसी बातें कहीं. साथ ही नीतीश ने अपने 15 साल के राज में बिहार में क्या-क्या विकास कार्य किए हैं उनका भी जिक्र करते रहे. दोबारा सत्ता में आने पर रोजगार देने का वादा भी नीतीश की ओर से किया गया. हालांकि, उन्होंने अपनी आखिरी रैली में अपने अंतिम चुनाव की घोषणा भी कर दी है.
राष्ट्रवाद के मुद्दे छाए रहे
बिहार चुनाव में मोदी सरकार की उपलब्धियों के साथ बीजेपी ने राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का मुद्दा भी लगतार रैलियों में गिनाया. गठबंधन के जीतने पर बिहार के आतंकियों के ठिकाना बन जाने का डर भी दिखाया गया. इतना ही नहीं पीएम मोदी ने पुलवामा और पाकिस्तान के बहाने कांग्रेस पर जमकर हमले किए. प्रधानमंत्री ने अपनी अंतिम सभा में कहा था कि बिहार की अनेक वीर माताएं अपने लाल, अपनी लाडलियों को राष्ट्ररक्षा के लिए समर्पित करती हैं जो देश की रक्षा के लिए बलिदान देते हैं, लेकिन बिहार को जंगलराज बनाने वाले चाहते हैं कि आप भारत माता की जय के नारे न लगाएं. ऐसे लोग चाहते हैं कि लोग जय श्री राम भी न बोलें. छठी मैया को पूजने वाली इस धरती पर, कैसे भारत माता और जय श्री राम के नारे न लगने दूं. इस तरह से नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रवाद के मुद्दे का खूब जिक्र किया.
सीएए-एनआरसी और घुसपैठ का मुद्दा
बिहार चनाव के आखिरी चरण में सीएए-एनआरसी का मुद्दा भी चुनावी चर्चा में ही गया. सीमांचल में मुस्लिम मतदाताओं को साधने के लिए AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी अपनी हर एक रैली में सीएए और एनआरसी मुद्दे का जिक्र करते हुए बीजेपी के साथ-साथ जेडीयू और आरजेडी पर भी निशाना साध रहे थे. वह कहते कि सीएए ऐसा कानून है जो संविधान के खिलाफ हैं, जो हमारे संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.
वहीं, सीएम योगी ने अपनी रैली में कहा था, 'प्रधानमंत्री मोदी ने घुसपैठ के मसले का हल तलाश लिया है. सीएए के साथ, उन्होंने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में यातना का सामना करने वाले अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की है. देश की सुरक्षा को भंग करने की कोशिश करने वाले किसी भी घुसपैठिए को बाहर निकाला जाएगा. ऐसे में नीतीश कुमार ने कहा था, 'कुछ लोग दुष्प्रचार और ऐसी फालतू बातें कर रहे हैं कि लोगों को देश के बाहर कर दिया जाएगा. यहां से, देश से कौन किसको बाहर करेगा. किसी में दम नहीं है कि हमारे लोगों को देश से बाहर कर दे.' वहीं, तेजस्वी यादव इस मुद्दे पर खुलकर तो नहीं बोले, लेकिन इशारे में इसका जिक्र जरूर किया.
राम मंदिर से धारा 370 तक
एनडीए के पक्ष में माहौल बनाने के लिए चुनाव प्रचार में उतरे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जैसे अन्य भाजपा स्टार प्रचारकों ने सभाएं कीं और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का बार-बार हवाला दिया. केंद्र में सरकार की उपलब्धियों में तीन तलाक के खिलाफ कानून, धारा 370 को खत्म करने जैसे मुद्दे उठाए. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के चलते देश के तमाम मुद्दे हल हो सके हैं, जिन्हें कांग्रेस लंबे समय से अटकाए हुए थी. यही नहीं, बीजेपी नेताओं ने कहा कि कांग्रेस 370 को हटाने के खिलाफ थी. पीएम मोदी ने भी अपनी रैली में कहा था कि क्या देश अनुच्छेद 370 के खत्म होने का इंतजार नहीं कर रहा था?
डबल इंजन और डबल युवराज
पीएम मोदी ने बिहार में एक तरफ 'डबल इंजन' की सरकार का जिक्र किया तो दूसरी तरफ 'डबल-डबल युवराज' का जिक्र कर कांग्रेस-आरजेडी पर निशाना भी साधा. पीएम ने तेजस्वी को जंगलराज का युवराज तक बता दिया. उन्होंने कहा, 'डबल इंजन वाली एनडीए सरकार, बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, तो ये 'डबल-डबल युवराज' अपने-अपने सिंहासन को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.' मोदी ने कहा कि तीन-चार साल पहले यूपी में भी 'डबल-डबल युवराज' बस के ऊपर चढ़कर लोगों के सामने हाथ हिला रहे थे और उत्तर प्रदेश की जनता ने उन्हें घर लौटा दिया था. वहां के एक युवराज अब जंगलराज के युवराज से मिल गए हैं. उत्तर प्रदेश में जो हाल ‘डबल-डबल’ युवराज का हुआ, वही बिहार में होगा.' डबल-डबल युवराज कहकर मोदी परोक्ष रूप से यूपी चुनाव के दौरान साथ रहे राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर हमला बोल रहे थे. वहीं, बिहार में डबल-डबल युवराज के जरिए तेजस्वी यादव और राहुल गांधी पर निशाना साधा.
आरक्षण का मुद्दा की चर्चा
बिहार की राजनीति में आरक्षण ऐसा मुद्दा रहा है, जिसने 2015 के चुनाव की सियासी तस्वीर ही बदल दी थी. ऐसे में एक बार फिर दूसरे चरण के चुनाव में नीतीश कुमार ने वाल्मिकी नगर की रैली में आरक्षण का दांव खेला. नीतीश ने यहां कहा कि जिसकी जितनी आबादी हो, उसे उसी अनुपात में आरक्षण मिलना चाहिए. इसमें हम लोगों की कहीं से कोई दो राय नहीं है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा था कि किसकी कितनी आबादी है यह जनगणना से ही तय हो पाएगा और आरक्षण वाला फैसला अभी उनके हाथ में नहीं है.
वहीं, पीएम मोदी ने दूसरे चरण में दरभंगा से छपरा तक की रैली में आरक्षण के मुद्दे को उठाया. पीएम ने कहा कि हमारी सरकार ने सवर्ण गरीबों के लिए जो 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है, उसका लाभ समाज के युवाओं को मिलना तय है. इसके साथ ही सरकार ने दलित, पिछड़े, अति-पिछड़े भाई बहनों के लिए आरक्षण को जो अगले 10 साल तक के लिए बढ़ा दिया है, वो भी यहां के नौजवानों के लिए लाभकारी है जबकि लोगों ने झूठ फैलाने का काम किया था कि एनडीए एससी/एसटी आरक्षण को खत्म कर देगी.