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बिहार के इस जिले की आधा दर्जन सीटों पर है 'नेताजी एंड फैमिली' का कब्‍जा

बिहार की राजनीति में परिवारवाद कोई नई चीज नहीं. लगभग सभी जिलों में ऐसी सीटें मिल जाएंगी, जहां किसी नेता या उसके फैमिली मेम्‍बर्स का वर्चस्‍व रहा है. इन्‍हीं में से एक जिला ऐसा भी है, जहां 60 फीसदी विधानसभा सीटों पर नेताजी एंड फैमिली 20 से 30 सालों से काबिज है.

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Lalu Yadav, Rabri Devi and Tejashwi Yadav
Lalu Yadav, Rabri Devi and Tejashwi Yadav
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का बजा बिगुल
  • 'नेताजी एंड फैमिली' का सीटों पर कब्‍जा
  • बिहार की राजनीति में परिवारवाद नई बात नहीं

बिहार की राजनीति में परिवारवाद कोई नई चीज नहीं. लगभग सभी जिलों में ऐसी सीटें मिल जाएंगी, जहां किसी नेता या उसके फैमिली मेम्‍बर्स का वर्चस्‍व रहा है. इन्‍हीं में से एक जिला ऐसा भी है, जहां 60 फीसदी विधानसभा सीटों पर नेताजी एंड फैमिली 20 से 30 सालों से काबिज है. ये जिला है गया, जहां कुल 10 विधानसभा सीटें हैं और इनमें से छह पर किसी एक नेता या उसकी फैमिली का लम्‍बे समय से प्रभाव है.

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सात बार से विधायक हैं प्रेम कुमार 

गया सदर: इस विधानसभा सीट पर प्रेम कुमार सात बार जीत कर विधायक बन चुके हैं. इसकी शुरुआत साल 1990 से हुई, जब वह भाजपा के टिकट पर पहली बार विजयी हुए. इसके बाद से उन्‍होंने कभी इस सीट पर पराजय का मुंह नहीं देखा और एक बार फ‍िर से चुनाव मैदान में हैं. 

सुरेंद्र यादव भी जीत चुके हैं सात बार 


बेलागंज: इस विधानसभा सीट से सुरेंद्र यादव भी सात बार से विधायक हैं. उन्होंने पहली बार 1990 में अभिराम शर्मा को हरा कर जीत हासिल की थी. बीच में 1998-2000 में ही उनके पास ये कुर्सी नहीं थी. अन्‍यथा वह लगातार ही विधायक रहे हैं. एक बार फ‍िर राजद के टिकट पर वह मैदान में हैं.

राजेंद्र यादव नहीं तो उनकी फैमिली का दबदबा

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अतरी: सीट पर राजेंद्र यादव नहीं तो उनके परिवार का ही वर्चस्‍व रहा है. राजेंद्र यादव और उनका परिवार पांच बार से यहां विधायक के तौर पर निर्वाचित हो चुका है. 1995 से 2005 तक राजेंद्र यादव यहां से विधायक रहे. अक्टूबर 2005 से 2015 तक  तीन बार उनकी पत्नी कुंती देवी विधायक रहीं. इस बार राजेंद्र यादव के बेटे अजय यादव को राजद से टिकट मिला है.

अवधेश सिंह के 20 साल, अब बेटा मैदान में 

वजीरगंज: पूर्व में वजीरगंज मुफस्सिल विधानसभा क्षेत्र में आता था. यहां से अवधेश सिंह 1985, 1990 और फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 के चुनाव में जीते. इसके बाद अवधेश सिंह ने 2015 का चुनाव जीता था. कुल मिला कर वह 20 साल तक विधायक रहे.  इस बार उनके बेटे डॉ. शशि शेखर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं. 


पांच बार विधायक रहे हैं उदय नारायण

इमामगंज: इस विधानसभा सीट से उदय नारायण चौधरी पांच बार विधायक रह चुके हैं. वह पहली बार 1990 में जीते थे. इसके बाद 2000, फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 और 2010 में इन्होंने यहां से चुनाव जीता. एक बार फ‍िर से वह राजद के टिकट से मैदान में हैं. 

मां के बाद एक बार फ‍िर बेटी हैं मैदान में 

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बाराचट्टी: इस सीट पर भगवती देवी और उनके परिवार के सदस्य लंबे समय से चुनाव जीतते आ रहे हैं. भगवती देवी तीन बार विधायक रहीं. उनके निधन के बाद 2015 में उनकी बेटी समता देवी ने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. एक बार फ‍िर समता देवी राजद के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रही हैं. भगवती देवी के पुत्र विजय कुमार भी जदयू के सांसद हैं.

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