बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के 17 जिलों की 94 सीटों पर चुनाव प्रचार का शोर रविवार की शाम को थम गया. दूसरे चरण की 94 सीटों पर कुल 1463 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 1316 पुरुष, 146 महिला और एक थर्ड जेंडर की प्रत्याशी शामिल हैं. पहले चरण में सत्तापक्ष की ओर से नीतीश सरकार की उपलब्धियों के साथ राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के साथ-साथ आतंकवाद की चर्चा रही तो दूसरे चरण में आरक्षण, पुलवामा और पाकिस्तान जैसे राष्ट्रवादी मुद्दों की एंट्री हुई. वहीं, महागठबंधन पहले चरण की तरह ही 10 लाख सरकारी नौकरी के वादे और नीतीश सरकार की 15 साल की खामियों पर एनडीए को घेरता नजर आया.
पहले चरण की तुलना में किसकी कितनी रैलियां
बिहार के पहले चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 रैलियां की थीं जबकि दूसरे चरण में 7 जनसभाएं संबोधित कीं. वहीं, बीजेपी के कई स्टार प्रचारकों के कोरोना संक्रमित हो जाने से उन्होंने दूसरे चरण के प्रचार से दूरी बनाए रखी, जिनमें सुशील मोदी, स्मृति ईरानी, देवेंद्र फडणवीस, शाहनवाज हुसैन और राजीव प्रताप रूडी जैसे नेता शामिल हैं. नीतीश कुमार ने दूसरे चरण में चुनावी प्रचार को तेज कर दिया था और एक दिन में तीन रैली के बजाय चार से पांच रैलियां कर रहे थे. हालांकि, एनडीए की सहयोगी वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने भी कोरोना संक्रमित हो जाने से चुनावी प्रचार से दूरी बनाए रखा जबकि यह चरण उनके लिए काफी अहम है.
महागठबंधन की चुनावी कमान अकेले तेजस्वी यादव ने संभाल रखी है जबकि राहुल गांधी ने महज तीन रैलियां ही संबोधित की है. तेजस्वी दूसरे चरण में औसतन 14 से 16 रैलियों के जरिए महागठबंधन के प्रचार अभियान को धार दे रहे हैं जबकि पहले चरण में 12 से 14 रैली कर रहे थे.तेजस्वी आरजेडी ही नहीं बल्कि कांग्रेस प्रत्याशी की सीटों पर भी प्रचार कर रहे हैं. दूसरे चरण की वोटिंग से पहले तेजस्वी यादव ने शनिवार को 17 रैलियां और दो रोड शो कर अपने पिता लालू यादव का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिनके नाम एक दिन में 16 रैली करने का रिकॉर्ड था.
पहले चरण के चुनाव प्रचार के मुद्दे
बता दें कि बिहार के पहले चरण के चुनाव प्रचार में बेरोजगारी और लालू के जंगलराज का मुद्दा सबसे ज्यादा हावी रहा. तेजस्वी यादव अपनी हर रैली में 10 लाख रोजगार देने के वादे का जिक्र करते नजर आए तो नीतीश कुमार ने अपने 7 निश्चय से चुनाव कैंपेन शुरू किया था और लालू राज के बहाने आरजेडी पर जमकर निशाना साधा था. इतना ही नहीं लालू यादव के परिवार पर निजी हमले बोलते हुई 8-8, 9-9 बच्चे पैदा करने जैसी बातें कही थी. वहीं, बीजेपी ने मोदी सरकार की उपलब्धियों के साथ राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर से धारा 370 भुनाने की कवायद के साथ महागठबंधन के जीतने पर बिहार के आतंकियों के ठिकाना बन जाने का डर भी दिखाया गया.
दूसरे चरण में इन मुद्दों पर जोर रहा
वहीं, बिहार चुनाव के दूसरे चरण के चुनाव प्रचार में आरक्षण, पुलवामा और पाकिस्तान की चर्चा जोरों पर रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी के तमाम नेताओं ने अपनी-अपनी जनसभाओं में पुलवामा के बहाने कांग्रेस पर जमकर हमले किए. पीएम ने कहा था कि पुलवामा हमले पर पाकिस्तान के कबूलनामे के बाद अफवाह फैलाने वाले चेहरे बेनकाब हो गए हैं. सत्ता एवं स्वार्थ की राजनीति करने वालों ने खूब भ्रम फैलाने की कोशिश की, लेकिन आज सच्चाई सबके सामने हैं. ऐसे ही पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद विरोधियों की तमाम आशंकाएं बेकार साबित हुईं है और आज जम्मू कश्मीर और लद्दाख शांति से विकास के नए पथ पर अग्रसर हैं.
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राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की जोड़ी पर भी दूसरे चरण के चुनावी प्रचार में पीएम मोदी ने जमकर तंज कसा. मोदी ने कहा कि बिहार में एक तरफ 'डबल इंजन' की सरकार है, तो दूसरी तरफ 'डबल-डबल युवराज' भी हैं. उनमें से एक तो जंगलराज के युवराज भी हैं. डबल इंजन वाली एनडीए सरकार, बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, तो ये 'डबल-डबल युवराज' अपने-अपने सिंहासन को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.' मोदी ने कहा कि तीन-चार साल पहले यूपी में भी 'डबल-डबल युवराज' बस के ऊपर चढ़कर लोगों के सामने हाथ हिला रहे थे और उत्तर प्रदेश की जनता ने उन्हें घर लौटा दिया था. वहां के एक युवराज अब जंगलराज के युवराज से मिल गए हैं. उत्तर प्रदेश में जो हाल ‘डबल-डबल’ युवराज का हुआ, वही बिहार में होगा.' वहीं, केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे ने कहा कि बिहार में एक तरफ डबल इंजन की सरकार है तो दूसरी ओर जंगलराज के दो युवराज हैं, जो बिहार का विनाश चाहते हैं.
दूसरे चरण में आरक्षण की हुई एंट्री
बिहार चुनाव के दूसरे चरण के प्रचार में आरक्षण का मुद्दा भी हावी रहा. नीतीश कुमार ने वाल्मिकी नगर की रैली में कहा था कि जिसकी जितनी आबादी हो, उसे उसी अनुपात में आरक्षण मिलना चाहिए. इसमें हम लोगों की कहीं से कोई दो राय नहीं है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा था कि किसकी कितनी आबादी है यह जनगणना से ही तय हो पाएगा और आरक्षण वाला फैसला अभी उनके हाथ में नहीं है. वहीं, पीएम मोदी ने सवर्ण गरीब को दिए गए 10 फीसदी आरक्षण का जिक्र अपनी हर एक रैली में किया. इतना ही नहीं उन्होंने एससी/एसटी आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाए जाने की बात को दोहराते नजर आए.
सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट की उम्र सीमा
तेजस्वी यादव पहले चरण की तर्ज पर ही दूसरे चरण में चुनावी प्रचार करते नजर आए. वो लाख सरकारी नौकरी के वादे का जिक्र हर रैली में करने के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट की तय उम्र सीमा को समाप्त करने का वादा किया है. तेजस्वी ने कहा कि नीतीश और बीजेपी की सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को 50 साल में रिटायरमेंट देने का फरमान जारी किया है, लेकिन वो खुद 70 साल से अधिक हैं. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बनेगी तो 50 साल में रिटायरमेंट के फैसले को समाप्त कर देंगे.
वहीं, राहुल गांधी ने दूसरे चरण में महज तीन रैलियां संबोधित की है. उन्होंने कृषि कानून के बहाने पीएम मोदी पर जमकर हमले किए. राहुल ने कहा कि आमतौर पर दशहरे पर रावण का पुतला जलाया जाता है, लेकिन पंजाब में इस बार दशहरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अंबानी और अडाणी का पुतला जलाया गया. ये दुख की बात है, लेकिन किसान परेशान हैं इसलिए ऐसा हो रहा है. साथ ही राहुल गांधी ने नोटबंदी और तालाबंदी का मकसद एक ही था कि कैसे छोटे किसानों, छोटे व्यवसायों, व्यापारियों और मजदूरों को नष्ट करना है.