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बिहार विधानसभा की वो सीटें जहां कभी आईपीएल से भी ज्‍यादा रोमांचक था चुनावी मुकाबला

इन दिनों आईपीएल का बुखार पूरे देश पर चढ़ा हुआ है. अक्‍सर इस लीग के कुछ मुकाबले इतने रोमांचक हो जाते हैं कि देखने वालों की सांस अटक जाती है. आखिरी ओवर के हर एक बाल के साथ धड़कनें बढ़ जाती हैं. आईपीएल सरीखे कुछ ऐसे ही रोमांचक चुनावी मुकाबलों का इतिहास बिहार में भी है.

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बिहार विधानसभा चुनाव (फोटो आजतक)
बिहार विधानसभा चुनाव (फोटो आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिहार में हो रहे हैं विधानसभा चुनाव
  • नेताओं की साख दांव पर लगी है
  • रोमांचक मुकाबला होने की उम्मीद

इन दिनों आईपीएल का बुखार पूरे देश पर चढ़ा हुआ है. अक्‍सर इस लीग के कुछ मुकाबले इतने रोमांचक हो जाते हैं कि देखने वालों की सांस अटक जाती है. आखिरी ओवर के हर एक बाल के साथ धड़कनें बढ़ जाती हैं. आईपीएल सरीखे कुछ ऐसे ही रोमांचक चुनावी मुकाबलों का इतिहास बिहार में भी है. बिहार के विधानसभा चुनावों के इतिहास में कई ऐसे मौके आए हैं जबकि जीत-हार के बीच का अंतर 50 वोटों से भी कम था. इन सीटों पर विजेता प्रत्‍याशी की घोषणा तक हर किसी की सांस अटकी रही. 

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जब मात्र 24 वोट से हुआ था फैसला

बिहार में दो बार ऐसे मौके आए हैं जब जीत और हार के बीच 24 मतों का ही अतंर था. इसमें पहला केस 1980 के विधानसभा चुनाव में जामतारा सीट का है. यहां भाकपा प्रत्‍याशी अरुण कुमार बोस ने कांग्रेस के फुरकन अंसारी को 24 मतों से हराया था. अरुण को 13336 तो फुरकन को 13312 वोट मिले. खास ये रहा कि तीसरे नंबर पर रहे झामुमो प्रत्‍याशी परमानंद मिश्रा फुरकन से मात्र 27 वोट ही पीछे रहे और उन्‍हें 13285 वोट मिले थे.

कुछ ऐसा ही दिलचस्‍प और रोमांचक मुकाबला 1985 विधानसभा चुनाव में टुंडी सीट पर हुआ. यहां भाजपा के सत्‍यनारायण दुदानी ने 24 वोट से कांग्रेस प्रत्‍याशी उदय कुमार सिंह को हराया था. सत्‍यनारायण को 11446 और उदय को 11422 वोट मिले थे. 

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29 मतों से हुई थी जहां जीत और हार 

ये मुकाबला 2010 के विधानसभा चुनाव में केवती सीट पर हुआ था. यहां भाजपा के प्रत्‍याशी अशोक कुमार यादव ने राजद प्रत्‍याशी फराज फातमी को 29 मतों से हराया था. अशोक को 45791 और फराज को 45762 वोट मिले थे.

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30 वोट से जीते थे मांगन इंसान 

ये वाकया है 1980 के विधानसभा चुनाव का जब कदवा सीट पर न‍िर्दलीय प्रत्‍याशी मांगन इंसान ने कांग्रेस के उस्‍मान गनी को मात्र 30 वोट के अंतर से धूल चटाई थी. मांगन को 28149 और उस्‍मान को 28119 वोट मिले थे. 

31 मतों से जीते थे करमचंद 

1977 में हुए विधानसभा चुनाव में मंदर सीट पर सांस अटकाने वाली चुनावी जंग देखने को मिली. कांग्रेस प्रत्‍याशी करमचंद भगत ने जनता पार्टी के कैलाश को 31 वोट से हराया. करमचंद को 18157 और कैलाश को 18126 वोट मिले थे. 

39 वोट से हुआ था फैसला

तोरपा सीट पर 1985 के विधानसभा चुनाव में न‍िर्दल उम्‍मीदवार न‍िरल एनम होरो ने कांटे की लड़ाई में कांग्रेस के लेयांद्र तिरु पर 39 वोटों से जीत हासिल की थी. न‍िरल को 19159 और लेयांद्र को 19120 वोट मिले थे. 

35 वोट ने शहीद को दिलाई थी जीत 

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वर्ष 2000 के चुनाव में सीतामढ़ी सीट पर राजद प्रत्‍याशी शहीद अली खान क्‍लोज फाइट में जीते थे. शहीद ने 58740 और उनके नजदीकी प्रतिद्वंद्वी भाजपा के हरिशंकर प्रसाद ने 58705 वोट हासिल किए. इस तरह से महज 35 मतों के अंतर से शहीद को जीत नसीब हुई थी. 

37 वोट ने दिखाया विदेश को पराजय का मुंह

ये किस्‍सा भी 2000 के विधानसभा चुनाव का है. पांकी सीट पर समता पार्टी की मधु सिंह ने न‍िर्दलीय उम्‍मीदवार विदेश सिंह को 37 मतों से हराया था. मधु सिंह को 17095 और विदेश को 17058 वोट मिले थे.

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