बिहार विधानसभा चुनाव का औपचारिक ऐलान अभी तक नहीं हुआ है, लेकिन सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन जारी होते ही राजनीतिक दल चुनाव से पहले गठबंधन के मसलों को सुलझाने और सीट शेयरिंग को लेकर भी फॉर्मूला बनाने में जुट गए हैं. नीतीश कुमार की अगुवाई में भले ही एनडीए के सभी दल एकमत हों, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर सहयोगी दलों के बीच रस्साकसी जारी है. ऐसे में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा अगस्त के आखिरी सप्ताह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मुलाकात कर सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को अंतिम रूप दे सकते हैं.
नड्डा सीट शेयरिंग पर बनाएंगे सहमति
बिहार में बढ़ती चुनावी सरगर्मियों के बीच बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा 30 अगस्त को पटना के किसी बूथ से प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम सुनेंगे. इस दौरान नड्डा बिहार के मुख्यमंत्री व जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि इस दौरान एनडीए के सीट बंटवारे को लेकर अंतिम रूप देंगे. हालांकि, दोनों पार्टियों के बीच अबतक कई दौर की बातचीत हो चुकी है. बताया जा रहा है कि बिहार में राज्यपाल कोटे से खाली 12 एमएलसी के पद पर भी फाइनल मुहर लगाई जाएगी.
दरअसल, एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर हैं. एलजेपी और जेडीयू के बीच जारी सियासी संग्राम के बीच बीजेपी फिलहाल साइलेंट मोड में है. बीजेपी की खामोशी के पीछे एक सोची समझी रणनीति मानी जा रही है. बिहार में बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन 1996 से चल रहा है, लेकिन 2013 में दोनों के बीच गठबंधन टूटने के बाद और 2017 में जेडीयू के फिर एनडीए में शामिल होने के बाद भी स्थितियां अब पहले जैसी नहीं रही.
2010 का फॉर्मूला पर सीट बंटवारा संभव नहीं
नीतीश कुमार के अलग होने के बाद ही एनडीए में एलजेपी की एंट्री हुई है. बिहार में बीजेपी नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2005 और 2010 में सरकार बना चुकी है, लेकिन 2015 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और सरकार बनाई है. हांलाकि, सियासत ने ऐसी करवट ली कि जेडीयू 2017 में फिर महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हो गई, लेकिन अब असली समस्या सीट बंटवारे को लेकर है.
बीजेपी के साथ 2010 तक जेडीयू बिहार में 142 सीटों पर चुनाव लड़ती थी, लेकिन महागठबंधन में जेडीयू ने 2015 में 101 सीटों पर ही चुनाव लडी थी. इस बार के चुनाव में जेडीयू चाहता है कि वो फिर से 2010 कि स्थिति में चुनाव लड़े, जो संभव नही हैं. एलजेपी के एनडीए में आने के बाद से अब एनडीए में दो नहीं बल्कि तीन सहयोगी हो गए हैं. बीजेपी ऐसे में जेडीयू पर दबाव बनाने के लिए एलजेपी का सहारा ले रही है ताकि जेडीयू समझौते की स्थिति में आए.
एलजेपी और जेडीयू में तकरार जारी
वहीं, एनडीए 2015 के महागठबंधन के फार्मूले में चुनाव लड़ती है तो सीटों का बंटवारा कुछ इस तरह से हो सकता है. बीजेपी 101, जेडीयू 101 और एलजेपी 41. लेकिन इस फार्मूले पर जेडीयू 2020 के चुनाव में कभी नहीं मानेगी. जेडीयू हमेशा से चाहती है कि वो सबसे अधिक सीटों पर लड़े यानी 120 सीटों से कम पर समझौता मुश्किल हो सकता है.
जेडीयू और एलजेपी के बीच हो रहे तकरार के जरिए बीजेपी खुद निर्णायक भूमिका में देखना चाहती है. अंत में अगर स्थितियां नहीं सुधरीं तो एलजेपी से किनारा करने में भी उसे देर नहीं लगेगी, क्योंकि एलजेपी के नहीं रहने से एनडीए की सरकार पर कोई प्रभाव पड़ने वाला नही हैं. नीतीश कुमार ने एलजेपी की काट के लिए जीतनराम मांझी को साध लिया है. माना जा रहा है कि मांझी जल्द ही एनडीए के साथ हाथ मिला सकते हैं. ऐसे में एलजेपी को बैकफुट पर आना होगा.
30 अगस्त को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के पटना आने से बहुत चीजें स्पष्ट हो जाएंगी. नड्डा पटना के किसी बूथ पर प्रधानमंत्री की मन की बात सुनेंगे. माना जा रहा है कि बिहार चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री कोई बड़ा ऐलान भी कर सकते हैं. इससे पहले 25 अगस्त को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार बीजेपी के प्रभारी देवेन्द्र फडणवीस भी पटना आ रहे हैं. ऐसे में एनडीए अब सीट बंटवारे के लेकर बहुत ज्यादा देर नहीं करना चाहती है.
जमीनी हकीकत को समझने के लिए बीजेपी की बैठक
वहीं, बिहार की जमीनी हकीकत को समझने के लिए बीजेपी आज से दो दिवसीय वर्चुअल बैठक कर रही है, जिसमें बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर भूपेंद्र यादव और हाल ही में बने बिहार चुनाव प्रभारी बने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल होंगे. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश कार्यसमिति की बैठक काफी अहम मानी जा रही है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने बताया कि इस बैठक में प्रदेश के राजनीतिक हालात पर सभी कार्यकर्ताओं से लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा फीडबैक भी लिया जाएगा. इसके बाद भविष्य की रणनीति भी तय की जाएगी.