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बिहार में क्या होंगी चुनावी सभाएं? गृह मंत्रालय के नए गाइडलाइंस से जगी उम्मीद

नई गाइडलाइंस के मुताबिक खुली जगहों पर अब धार्मिक, सामाजिक या फिर राजनीतिक कार्यक्रम हो सकेंगे. इसमें कितने लोग शामिल होंगे, इसके नियम क्या होंगे इसके बारे में राज्य और केंद्र शासित प्रदेश विस्तृत एसओपी जारी करेंगे और इनका सख्ती से पालन करना अनिवार्य होगा.

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चुनाव आयोग ने बिहार में रैलियों पर रोक लगा रखी है (फोटो-पीटीआई)
चुनाव आयोग ने बिहार में रैलियों पर रोक लगा रखी है (फोटो-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिहार में चुनावी रैलियों की उम्मीद जगी
  • MHA ने जारी की नई गाइंडलाइंस
  • चुनावी रैलियों के बिना सूना-सूना बिहार चुनाव

कोविड-19 महामारी के बीच हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने जो दिशा-निर्देश जारी किए थे उसके अनुसार चुनाव के दौरान कोई भी राजनीतिक दल बड़ी बड़ी रैलियां नहीं कर पाएगा. हालांकि बुधवार को जारी किए गए केंद्रीय गृह मंत्रालय के नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक कुछ शर्तों के अनुसार राजनीतिक सभाएं की जा सकती हैं. 

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नई गाइडलाइंस के मुताबिक खुली जगहों पर अब धार्मिक, सामाजिक या फिर राजनीतिक कार्यक्रम हो सकेंगे. इसमें कितने लोग शामिल होंगे, इसके नियम क्या होंगे इसके बारे में राज्य और केंद्र शासित प्रदेश विस्तृत एसओपी जारी करेंगे और इनका सख्ती से पालन करना अनिवार्य होगा. 

सभाओं को लेकर MHA की गाइडलाइन

अनलॉक-5 के लिए दिशा-निर्देश जारी करते हुए गृह मंत्रालय ने कहा कि कंटेनमेंट जोन के बाहर वाले क्षेत्रों में किसी भी सामाजिक, अकादमिक, खेल, मनोरंजन, सांस्कृतिक, धार्मिक या राजनीतिक गतिविधियों के आयोजनों के लिए 100 व्यक्तियों के साथ आयोजन की अनुमति पहले ही दी जा चुकी है. अब राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को कंटेनमेंट जोन के बाहर 15 अक्टूबर के बाद से 100 व्यक्तियों से ज्यादा संख्या के साथ ऐसे आयोजनों की अनुमति दी जा रही है. इसके लिए निम्न शर्तों का पालन करना होगा.  

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1- बंद परिसरों में 100 व्यक्तियों के साथ कार्यक्रम का आयोजन किया जा सकता है बशर्ते हॉल में उपस्थित लोगों की संख्या कुल क्षमता से 50 प्रतिशत से अधिक न हो, चेहरे पर मास्क पहनना और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना, थर्मल स्कैनिंग और हाथ धोने के लिए हैंड वॉश या सैनिटाइजर का प्रबंध अनिवार्य रूप से किया जाए. ऐसे आयोजनों में अधिकतम 200 व्यक्ति मौजूद रह सकते हैं. 

2- खुले स्थानों में मैदान या परिसर के आकार को ध्यान में रखते हुए सामाजिक दूरी, चेहरे पर मास्क, थर्मल स्कैनिंग और हैंडवाश और सैनिटाइजर की उपलब्धता के साथ कड़ी निगरानी के बीच आयोजन की अनुमति दी जा सकती है. 

3- यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे आयोजनों से कोविड-19 का संक्रमण नहीं फैले. राज्य और केंद्र शासित सरकारों को भीड़-भाड़ या सामाजिक आयोजनों के नियमन और नियंत्रण हेतु विस्तृत एसओपी जारी करनी होगी और उसका सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करना होगा.

चुनावी रैलियों की उम्मीद जगी

केंद्रीय गृह मंत्रालय के इस नए गाइडलाइंस के बाद अब इस बात के कयास लग रहे हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियां ज्यादा नहीं तो कुछ संख्या में चुनावी सभाएं कर सकती हैं.

जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि 'केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से संक्रमण काल में कुछ रियायत का ऐलान किया गया है जिसके मुताबिक खुले स्थानों में राजनीतिक या धार्मिक कार्यक्रम आयोजन करने पर संख्या की कोई पाबंदी नहीं होगी. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार जब तक चुनाव आयोग बिहार चुनाव के लिए जारी दिशा-निर्देश में परिवर्तन नहीं करता है, उससे पहले कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. हमें चुनाव आयोग के नए दिशा-निर्देशों का इंतजार करना चाहिए.' 

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दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल जो कि लगातार मांग कर रहा है कि चुनाव परंपरागत तरीके से होना चाहिए, ने कहा है कि चुनाव आयोग को गृह मंत्रालय के दिशा निर्देश के मद्देनजर बिहार के लिए जारी दिशानिर्देश में संशोधन करना चाहिए. राष्ट्रीय जनता दल प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश में महामारी को देखते हुए बहुत सारे प्रतिबंध हैं. गृह मंत्रालय के गाइडलाइंस के मुताबिक अब चुनाव आयोग को भी विचार करना चाहिए और अपने दिशा-निर्देशों में संशोधन करना चाहिए ताकि जो राजनीतिक दल हैं वह जनता के बीच जाकर उनसे संवाद कर सकें.'

 

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