बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है. चुनाव आयोग ने बिहार में तीन चरणों में चुनाव कराने का ऐलान किया है. जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार एनडीए की अगुवाई कर रहे हैं तो सत्ता को बरकरार रखने की भी जद्दोजहद में जुटे हुए हैं. वहीं, लालू यादव की सियासी विरासत संभालने वाले तेजस्वी यादव सत्ता में वापसी के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. राजनीति में कुछ भुलाया नहीं जाता है बल्कि समय आने पर उसका सही इस्तेमाल होता है. बिहार के सियासी रणभूमि में इन दिनों यही देखा जा रहा है. तेजस्वी यादव बिहार की सियासी जंग फतह करने के लिए नीतीश कुमार के तीर से नीतीश पर ही वार कर रहे हैं.
दरअसल, 2015 के विधानसभा चुनाव से इस बार चुनाव पूरी तरह से बदला हुआ है और गठबंधन का स्वरूप भी अलग है. पांच साल पहले जेडीयू और बीजेपी एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे थे. जेडीयू महागठबंधन के साथ खड़ी थी और ऐसे में नीतीश कुमार ने जमकर बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ तल्ख हमले किए थे तो दूसरी ओर भी जमकर बयानबाजी हुई थी. इस बार के चुनाव में जेडीयू-बीजेपी एक साथ हैं तो आरजेडी ने नीतीश कुमार के पुराने बयानों को आधार बनाकर सियासी हमले शुरू कर दिए हैं. एक तरह से नीतीश के तीर से नीतीश पर ही निशाना तेजस्वी यादव साध रहे हैं.
'बीजेपी मतलब बड़का झूठा पार्टी'
बिहार में पटना समेत कई जगहों पर पोस्टर लगाए गए हैं, जिन पर नारे व भाषण तो 2015 वाले हैं. इनमें उन बातों को जिक्र किया गया है, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले चुनाव में जेडीयू के लिए इस्तेमाल किया था. वहीं, नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ रहते हुए नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर खास हमलावर थे. नीतीश कुमार ने एक रैली को संबोधित करते हुए बीजेपी का फुलफॉर्मू बताया था, जिनमें उन्होंने बीजेपी को 'बड़का झूठा पार्टी' बताया था. नीतीश की इसी बात को अब आरजेडी अपने चुनावी हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है. पोस्टरों में इन बातों का जिक्र किया गया है.
डीएनए की चर्चा फिर तेज
वहीं, जेडीयू के बीजेपी से अलग होकर महागठबंधन के जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नीतीश कुमार पर जमकर हमले किए थे. मोदी ने एक रैली में नीतीश के डीएनए पर सवाल उठाया था, जिसे नीतीश ने बिहार की अस्मिता से जोड़ दिया था. जेडीयू ने बिहार के लोगों के बाल और नाखून को इकट्ठा कर लिफाफे में बंद करके केंद्र सरकार को भेजा था. अब इस चुनाव में भी डीएनए का मुद्दा चर्चा का केंद्र बन रहा है. हालांकि, इस बार जेडीयू के बजाय आरजेडी के द्वारा कहा जा रहा है. पोस्टरों में डीएनए का किसी पार्टी का जिक्र नहीं है, लेकिन इसमें आरजेडी का हाथ बताया जा रहा है.
बिहार को विशेष राज्य की मांग
नीतीश कुमार केंद्र सरकार से विशेष राज्य की मांग करते रहे हैं. 2010 से 2017 तक वे इस मांग पर जोर देते रहे. इसके लिए जेडीयू ने हस्ताक्षर अभियान चलाया था और पटना से लेकर दिल्ली तक में रैलियां की थीं. 2015 के विधानसभा चुनाव में यह महागठबंधन का मुद्दा था, लेकिन जेडीयू के 2017 में महागठबंधन से अलग होने के साथ ही यह मुद्दा धीरे-धीरे नीतीश के एजेंडे से गायब हो गया. हालांकि, इस बार के चुनाव में आरजेडी बिहार को विशेष राज्य की मांग को लेकर एनडीए पर सवाल खड़े कर रही है. तेजस्वी लगातार इस बात को उछाल रहे हैं.
सोशल मीडिया पर घेरने का प्लान
महागठबंधन ने नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी को घेरने लिए उन्हीं के अस्त्र का इस्तेमाल करने की रणनीति बनाई है. 2015 में नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार द्वारा एक दूसरे पर किए गए हमलों को ऑडियो और वीडियो और पोस्टरों के शक्ल में सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाने की कवायद में है. इसमें पिछली रैलियों में दिए गए भाषणों के वीडियो तलाशे जा रहे हैं. इनमें वो भी वीडियो हैं जिनमें नीतीश आरजेपी प्रमुख लालू यादव की जमकर तारीफ कर रहे हैं. इन्हें सोशल मीडिया के जरिए माहौल बनाने की रणनीति है.