scorecardresearch
 

लालू का जेल जाना- RJD में बदला निजाम, इन 5 कारणों से रघुवंश होते गए दूर

रघुवंश प्रसाद सिंह आरजेडी के उन चुनिंदा नेताओं में से रहे हैं जिन्होंने पार्टी को बुलंदियों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन 32 साल के बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. लालू के जेल जाने के बाद आरजेडी का सियासी निजाम बदल गया है, जिसमें रघुवंश प्रसाद फिट नहीं बैठ रहे थे. तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली आरजेडी के साथ उन्होंने अपना सियासी सफर खत्म कर लिया है.

Advertisement
X
तेजस्वी यादव, लालू यादव, रघुवंश प्रसाद सिंह
तेजस्वी यादव, लालू यादव, रघुवंश प्रसाद सिंह
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रघुवंश प्रसाद सिंह ने आरजेडी से इस्तीफा दे दिया
  • तेजस्वी की सियासत में रघुवंश फिट नहीं हो रहे थे
  • लालू यादव के जेल जाने के बाद आरजेडी बदल गई

बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मियों के बीच आरजेडी को तगड़ा झटका लगा है. लालू यादव के सबसे पुराने सारथी रहे रघुवंश प्रसाद सिंह ने आरजेडी से इस्तीफा दे दिया है. रघुवंश बाबू ने आरजेडी व लालू यादव के संग 32 साल का साथ छोड़ने का फैसला ऐसे ही नहीं किया बल्कि इसके पीछे पांच प्रमुख कारण हैं. लालू के जेल जाने के बाद आरजेडी का सियासी निजाम बदल गया है, जिसमें रघुवंश प्रसाद फिट नहीं बैठ रहे थे. ऐसे में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली आरजेडी को उन्होंने गुडबाय बोल दिया है. 
 

Advertisement

1. लालू यादव का जेल जाना
आरजेडी के गठन करने वाले नेताओं में रघुवंश प्रसाद सिंह का नाम शामिल है. वो आरजेडी के कद्दावर नेता और लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी नेताओं में रहे हैं. लालू यादव के जेल जाने के बाद रघुवंश प्रसाद को आरजेडी में खास तवज्जो नहीं मिल रही थी और पार्टी में पूरी तरह से साइडलाइन हो गए थे. इसके चलते रघुवंश प्रसाद सिंह पिछले काफी दिनों से पार्टी और आरजेडी नेतृत्व से नाराज चल रहे थे. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें मना लेगी, लेकिन लालू यादव के जेल में रहने और रघुवंश प्रसाद के बीमार होने के चलते सुलह-समझौते के रास्ते नहीं बन सके और आखिरकार 32 साल का साथ छूट गया. 
 

Advertisement

2. रामा सिंह की आरजेडी में एंट्री
रघुवंश प्रसाद सिंह की आरजेडी में नाराजगी का सबसे बड़ा कारण रामा सिंह को माना जा रहा है. बिहार के वैशाली की राजनीति आरजेडी में रघुवंश प्रसाद सिंह करते आ रहे हैं. अब वहीं से पूर्व सांसद रहे रामा सिंह को आरजेडी में शामिल कराने का रास्ता बनाया जा रहा है. रघुवंश को रामा सिंह का आरजेडी में आना नहीं भा रहा है, क्योंकि रामा सिंह एलजेपी उम्मीदवार के तौर पर 2014 में वैशाली से रघुवंश प्रसाद सिंह को हराकर सांसद बने थे. इस हार से रघुवंश को गहरा राजनीतिक झटका लगा है और ऐसे में रामा सिंह के पार्टी में शामिल कराने को लेकर वो विरोध कर रहे थे. तेजस्वी यादव आरजेडी में रामा सिंह को शामिल कराने के पक्ष में हैं. इसी के चलते रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी को अलविदा बोल दिया है. 
 

3.आरजेडी का बदला निजाम
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद से ही उनकी राजनीतिक विरासत तेजस्वी यादव के हाथों में है. ऐसे में तेजस्वी यादव आरजेडी को अपने ढंग से चला रहे हैं, जिसमें रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे खाटी नेता फिट नहीं बैठ रहे हैं. इसी के चलते रघुवंश प्रसाद सिंह धीरे-धीरे पार्टी में हाशिए पर चले गए. तेजस्वी यादव पार्टी के पुराने और वरिष्ठ नेताओं की जगह अब नए और जिताऊ चेहरों पर दांव खेल रहे हैं, जिसमें न तो उनके सियासी बैकग्राउंड देख रहे हैं और न ही विचाराधारा. बिहार में आरजेडी की हालत ऐसी है कि पुराने और वरिष्ठ नेता लालू के करीबी माने जाते हैं तो नए नेताओं ने तेजस्वी को अहमियत देना शुरू कर दिया है. आरजेडी ओल्ड वर्सेस न्यू में बंट गई है. 
 

Advertisement

4.जगदानंद को प्रदेश अध्यक्ष बनाना
2019 लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद आरजेडी संगठन में बदलाव को लेकर बैठक की गई. इसमें रघुवंश प्रसाद इस बात पर तैयार नहीं थे कि बिहार प्रदेश की कमान कमान जगदानंद सिंह को सौंपी जाए. रघवुंश के विरोध के बाद भी तेजस्वी यादव ने जगदानंद सिंह को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. इसकी वजह से रघुवंश प्रसाद सिंह नाराज चल रहे थे. जगदानंद सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद रघुवंश प्रसाद ने उनकी कार्यशैली को लेकर सवाल खड़े किए थे. इतना ही नहीं उन्होंने तेज प्रताप और तेजस्वी की राजनीतिक तौर तरीके पर भी सवाल खड़े किए, जिसके चलते लालू परिवार को यह बात नगावार गुजरी. 
 

5. राज्यसभा चुनाव में अरबपति को भेजना
बिहार में इसी साल राज्यसभा की पांच सीटों पर हुए चुनाव में आरजेडी ने प्रेम गुप्ता और अमरेन्द्र धारी सिंह को भेजा है. आरजेडी ने जमीनी और पार्टी नेताओं को तवज्जो देने के बजाय अरबपति कैंडिडेट को भेजना का फैसला किया. यह बात रघुवंश प्रसाद सिंह को रास नहीं आई, क्योंकि वो एक सीट पर खुद को प्रत्याशी मानकर चल रहे थे, लेकिन तेजस्वी ने उनकी जगह इन दोनों के नामों पर मुहर लगा दी. इसे लेकर रघुवंश प्रसाद खासा नाराज चल रहे थे और अब आखिरकार उन्होंने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर अपनी मंशा जाहिर कर दी है. 

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement