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बिहार: BJP सांसदों की मांग, 50-50 के फार्मूले पर JDU के साथ हो सीटों का बंटवारा

बीजेपी के कुछ सांसदों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को बताया कि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपनी परंपरागत सीटें जैसे सीवान, गया, गोपालगंज और बाल्मीकि नगर को जनता दल यूनाइटेड को देनी पड़ी थी.

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बिहार बीजेपी की बैठक में जेपी नड्डा (फाइल फोटो-पीटीआई)
बिहार बीजेपी की बैठक में जेपी नड्डा (फाइल फोटो-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • BJP-JDU के बीच सीटों के बंटवारे की मुश्किल
  • बीजेपी सांसदों ने कहा, 50-50 के फार्मूले पर हो बात
  • अक्टूबर-नवंबर में प्रस्तावित है बिहार विधानसभा चुनाव

आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से बीजेपी और जदयू के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर मामला फंस सकता है. जानकारी के मुताबिक 29 अगस्त को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बिहार से बीजेपी के सभी सांसदों की हुई बैठक में कुछ सांसदों ने इस मांग को उठाया कि बिहार विधानसभा में जनता दल यूनाइटेड के साथ सीटों का बंटवारा 50-50 के फार्मूला पर होना चाहिए. यानी कि दोनों पार्टियां बराबर सीटों पर चुनाव लड़े.

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बीजेपी के सांसदों ने बिहार एनडीए में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए. बैठक में सांसदों ने कहा कि जिस तरीके से 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा और जेडीयू ने बराबर 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, इसी फार्मूले को 2020 विधानसभा चुनाव में दोहराना चाहिए.

बराबर नहीं होगा बंटवारा तो मनोबल पर असर

बीजेपी के कुछ सांसदों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को बताया कि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपनी परंपरागत सीटें जैसे सीवान, गया, गोपालगंज और बाल्मीकि नगर को जनता दल यूनाइटेड को देनी पड़ी थी.

सांसदों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों मुख्य दलों के बीच बराबर सीटों का बंटवारा नहीं होता है तो इससे बीजेपी के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटेगा.

RJD से आए विधायकों ने खड़ी की मुश्किलें

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भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के बीच सीटों के बंटवारे का मामला इसलिए भी फंस सकता है क्योंकि पिछले दिनों राष्ट्रीय जनता दल के 6 मौजूदा विधायक पार्टी छोड़ कर जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए हैं.

2015 विधानसभा चुनाव में इन सभी आरजेडी विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी या लोक जनशक्ति पार्टी को हराकर जीत हासिल की थी. अब जेडीयू के सामने इन विधायकों को चुनावी दंगल में उतारने के लिए सीटें मुहैया कराने की चुनौती है. सूत्रों के मुताबिक आरजेडी से जेडीयू में आए ये विधायक टिकट के दावेदार हो चुके हैं.

मांझी को चाहिए सीटें 

ऐसे में बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों को लेकर किचकिच होना तय है क्योंकि बीजेपी इन सभी सीटों पर 2015 में चुनाव लड़ी थी और दूसरे नंबर पर आई थी और पार्टी चाहेगी कि इस बार भी वह इन सीटों पर चुनाव लड़े. मगर नीतीश कुमार यह सीट जेडीयू के लिए चाहेंगे ताकि आरजेडी से आए विधायकों को टिकट दिया जा सके.

दूसरी तरफ महागठबंधन छोड़ने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) भी एनडीए में शामिल हो रही है.

बताया जा रहा है कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा जनता दल यूनाइटेड के साथ गठबंधन करेगी और मांझी को जितनी भी सीटें मिलेंगी जनता दल यूनाइटेड अपने कोटे में से ये सीटें HAM को देगी.

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बता दें कि 2005 विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड 139 और बीजेपी ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से जेडीयू ने 88 और बीजेपी ने 55 सीटें जीती थी.

2010 में जनता दल यूनाइटेड 141 और भाजपा 102 सीट पर चुनाव लड़े थे जिसमें से जदयू 115 और भाजपा ने 91 सीटों पर जीत हासिल की थी.

2015 विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ गठबंधन कर लिया था जिसके बाद एनडीए में बीजेपी ने 157 सीटों पर, लोक जनशक्ति पार्टी 42, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी 23 और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था.

2010 में बीजेपी केवल 53 सीटें ही जीत पाई थी. लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने दो-दो सीटें और हिंदुस्तान एवं मोर्चा ने एक सीट पर जीत हासिल की थी.


 

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