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तारिक अनवर: कभी सोनिया के विरोध में छोड़ी थी कांग्रेस, अब पार्टी में बड़ा चेहरा

तारिक अनवर ने छात्र नेता के तौर पर 1972 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी. इसके 5 साल बाद 1977 में उन्होंने कटिहार से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वह भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. 

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कांग्रेस नेता तारिक अनवर (PTI फोटो)
कांग्रेस नेता तारिक अनवर (PTI फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पांच बार कटिहार से सांसद रहे तारिक अनवर
  • साल 1999 में कांग्रेस छोड़ बनाई थी एनसीपी
  • 2019 के आम चुनाव से पहले ज्वाइन की कांग्रेस

तारिक अनवर बिहार के ऐसे नेता हैं जिन्होंने कभी सोनिया गांधी के विरोध में कांग्रेस को अलविदा कहा था और शरद पवार के साथ जाकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) बनाई थी. लेकिन इस बार के चुनाव से पहले वह फिर से कांग्रेस की नाव पर सवार हो चुके हैं. अनवर के पास करीब तीन दशक का संसदीय अनुभव है और वह बिहार में कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं.

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कैसा रहा शुरुआती सफर

तारिक अनवर ने छात्र नेता के तौर पर 1972 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी. इसके 5 साल बाद 1977 में उन्होंने कटिहार से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वह भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. 

पहली बार कब बने सांसद

साल 1980 के लोकसभा चुनाव में बिहार की कटिहार सीट से उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर पहला चुनाव जीता था. इसके बाद लगातार 1984 में भी वह इस सीट से चुनाव जीतकर दूसरी बार लोकसभा पहुंचे. इसके बाद वह कांग्रेस सेवा दल और कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे.

साल 1989 में जनता दल के उम्मीदवार युवराज सिंह ने तारिक अनवर को कटिहार में चुनाव हरा दिया था. इसके बाद 1991 में भी जनता दल के ही युनूस सलीम से अनवर को शिकस्त झेलनी पड़ी थी. साल 1996 के लोकसभा चुनाव में तारिक अनवर फिर से कटिहार सीट से चुनाव जीतकर तीसरी बार लोकसभा पहुंचे. इसके बाद उन्होंने 1998 के चुनाव में चौथी बार इसी सीट से जीत हासिल की. 

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क्यों छोड़ी कांग्रेस

साल 1999 में तारिक अनवर ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर कांग्रेस से बगावत कर शरद पवार और पीए संगमा के साथ एनसीपी बनाई थी. उन्होंने पार्टी छोड़ने के साथ-साथ लोकसभा से भी इस्तीफा दे दिया था. लेकिन कांग्रेस छोड़ने का तारिक अनवर को भारी नुकसान हुआ क्योंकि कटिहार से 4 बार के सांसद रहे अनवर को बीजेपी के निखिल कुमार चौधरी से लगातार तीन लोकसभा चुनावों में शिकस्त मिली.

लोकसभा के रास्ते भले ही न सही लेकिन एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र से तारिक अनवर को दो बार 2004 और 2010 में राज्यसभा के रास्ते संसद भेजा. साल 2012 में मनमोहन सिंह कैबिनेट में एनसीपी सांसद तारिक अनवर को कृषि राज्य मंत्री बनाया गया था. 

कांग्रेस में घर वापसी

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच भी तारिक अनवर ने कटिहार से लोकसभा चुनाव जीता था. वह इस सीट से पहली बार एनसीपी उम्मीदवार के तौर पर और कुल पांचवीं बार सांसद चुने गए थे. हालांकि, साल 2018 में उन्होंने राफेल पर शरद पवार के बयान से नाराज होकर एनसीपी को अलविदा कर दिया और फिर से अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में आ गए. कांग्रेस पार्टी के टिकट पर तारिक अनवर ने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था हालांकि इस चुनाव में उन्हें जेडीयू प्रत्याशी से हार झेलनी पड़ी थी.

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बिहार में कांग्रेस अपने आधार को मजबूत करने की कोशिश में जुटी है, लेकिन पार्टी के पास राज्य में कोई बड़ा चेहरा नहीं है. ऐसे में तारिक अनवर उस जगह को पूरी कर सकते हैं. 

 

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