बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के पहले चरण की वोटिंग में दो दिन बचे हैं. बिहार की पंचायतों पर भले 50 फीसदी से ज्यादा सीटों पर महिलाएं काबिज हों, लेकिन विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व बहुत ही कम है. इस बार के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा, लेकिन आधी आबादी यानी महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारने में बड़ा दिल नहीं दिखा सके, जबकि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा वोटिंग करती हैं.
एनडीए से 37 महिला प्रत्याशी
बिहार चुनाव में नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए से 37 महिलाएं मैदान में किस्मत आजमा रही हैं. जेडीयू ने सबसे ज्यादा महिलाओं पर भरोसा जताया है. 115 सीटों में से 22 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. बीजेपी ने 13 महिला प्रत्याशियों को मौका दिया है. इसके अलावा एनडीए की सहयोगी वीआईपी ने 11 में से एक सीट पर महिला प्रत्याशी हैं तो जीतनराम मांझी ने अपने कोटे की 7 सीटों में से एक सीट पर महिला कैंडिडेट पर भरोसा जताया है.
महागठबंधन से 24 महिला प्रत्याशी
वहीं, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन से 24 महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. आरजेडी के कोटे की 144 सीटों में से 16 पर महिला उम्मीदवार हैं. कांग्रेस ने 70 सीटों में 7 पर महिलाओं को टिकट दिया है जबकि वामपंथी दलों ने अपने कोटे की 29 सीटों में से सिर्फ एक महिला उम्मीदवार को उतारा है. वहीं, चिराग पासवान की एलजेपी 18 महिला प्रत्याशियों पर ही भरोसा जता सकी है.
पांच सीटों पर महिला बनाम महिला
मौजूदा बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में देखें तो एनडीए और महागठबंधन ने जिन-जिन महिलाओं को टिकट दिया है, उसमें केवल पांच ही सीटें ऐसी हैं, जहां दोनों ही गठबंधनों में महिलाएं आमने-सामने हैं. ये सीटें हैं- कटोरिया (सु), मसौढ़ी (सु), बाराचट्टी (सु), कोढ़ा (सु) और परिहार. इसमें चार सीटें आरक्षित हैं, बाकी सभी सीटों पर महिलाएं पुरुषों को टक्कर दे रही हैं.
बिहार में महिला मतदाता
चुनाव आयोग के मुताबिक बिहार में कुल मतदाताओं की संख्या 7 करोड़ 18 लाख 22 हजार 450 है. इनमें से 3 करोड़ 79 लाख 12 हजार 127 पुरुष मतदाता हैं जबकि 3 करोड़ 39 लाख 7 हजार 979 महिला मतदाताओं की संख्या है. इसके अलावा 2344 थर्ड जेंडर मतदाता भी हैं. हालांकि, महिला वोटरों की संख्या भले ही पुरुषों से कम हो, लेकिन मतदान में महिलाएं पुरुषों से आगे रहती हैं. 2015 में कुल पुरुष मतदाताओं में से 54 फीसदी ने मतदान किया था तो कुल महिला मतदाताओं में 59 फीसदी ने मतदान किया था. इसके बावजूद राजनीतिक दलों ने महिला प्रत्याशियों पर ज्यादा भरोसा नहीं दिखाया है.
बिहार विधानसभा चुनाव में अभी तक महिलाओं की भागीदारी प्रति विधानसभा की सीट औसतन करीब एक प्रत्याशी से थोड़ी अधिक रही है. हालांकि, प्रति विधानसभा औसतन 13 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई है. दिलचस्प है कि सामान्य और अनुसूचित जाति की सीटों की तुलना में अनुसूचित जनजाति की सीटों पर पांच गुना अधिक महिला प्रत्याशी मैदान में उतरीं.
2015 में महिलाओं को प्रतिनिधित्व
बता दें कि 2015 के विधानसभा चुनाव में 28 महिला विधायक जीतकर आई थीं. बीजेपी ने 15 महिलाओं को टिकट दिया था जिनमें से चार को जीत मिली थी. आरजेडी ने 10 महिलाओं को मैदान में उतारा था और सभी 10 ने जीत दर्ज की थी. जेडीयू ने भी 10 महिलाओं को मौका दिया था, जिनमें 9 को जीत मिली थी जबकि कांग्रेस ने 5 महिलाओं को टिकट दिया था, जिनमें से चार ने जीत दर्ज की थी. हालांकि, 2010 में 34 महिलाएं चुनकर विधानसभा पहुंची थीं.