बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव प्रचार के लिए बांका जिले के अमरपुर विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे थे. रैली में भीड़ भी अच्छी खासी थी. लोगों को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने सबसे पहले कोरोना संकट के बीच उठाए गए कदमों को गिनाया. उन्होंने कहा कि करीब 22 लाख लोग लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से बिहार लौटे. लोग ऐसे शहरों से आ रहे थे, जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मामले थे, सबके लिए क्वारनटीन सेंटर बनाए और सबको 1-1 हजार रुपये नकद दिए.
चौतरफा विकास का दावा
इसके बाद नीतीश ने कहा कि बिहार में उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बदलाव के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसे आप अनुभव कर सकते हैं. हर जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज बनाए जा रहे हैं. रोजगार से जुड़े तकनीकी शिक्षा पर सरकार का फोकस है. नीतीश कुमार ने इस सभा में बताया कि अभी तक सरकार लड़कियों के 12वीं पास करने पर 10 हजार और ग्रेजुएशन करने पर 25 हजार रुपये देती थी, जिसे बढ़ाकर अब 12वीं पास करने पर 25 हजार और ग्रेजुएशन करने पर 50 हजार रुपये कर दिया गया है.
बिना नाम लिए लालू परिवार पर तंज
नीतीश कुमार मझे हुए राजनेता हैं, इसलिए अपने विरोधियों पर सीधा वार करने से बचते हैं. उन्होंने लालू परिवार पर तंज कसते हुए कहा कि आप एक पार्टी को जिताएंगे तो एक परिवार का भला होगा, और हमें जिताएंगे तो बिहार का भला होगा. नीतीश बोले, 'हम जीते तो फिर सेवा करेंगे, और इतने दिनों से सेवा करते आए हैं. लेकिन एक परिवार को सेवा से नहीं, केवल मेवा से मतलब है. उनके लिए पति-पत्नी, बेटा-बेटी के हित को साधना ही सेवा है. उन्हें जनता से कोई मतलब नहीं है.'
युवा वोटर्स को पाले में लाने के लिए नीतीश का दांव
इन सबके बीच नीतीश कुमार अपनी इस पहली रैली में जनता से एक खास अपील कर गए. दरअसल, पिछले करीब 15 सालों से बिहार की सत्ता नीतीश कुमार के पास है. उन्हें भी इस बात का आभाष है कि इस बार बड़े पैमाने पर पहली बार ऐसे युवा वोट करेंगे, जो बचपन से ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के तौर पर देख रहे हैं. खासकर 18 से 22 साल के युवा वोटर को लालू राज के बारे में बहुत कुछ पता नहीं है? क्योंकि जब से होश संभाला है, नीतीश कुमार को ही सत्ता में देखा है.
अब ऐसे युवा वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए नीतीश ने एक दांव चला है. उन्होंने कहा, 'घर के बड़े-बुजुर्ग युवा वोटरों को बताएं कि पुराना बिहार किस तरह था, पिछले 15 सलों में कितना बदलाव आया है. उनको बताइए किस तरह सड़कें टूटी थीं, बिजली की व्यवस्था नहीं थी.' एक तरह से नीतीश कुमार को भी पता है कि सोशल मीडिया के इस दौर में युवा बदलाव चाहते हैं, इसलिए उन्हें 15 साल पहले के बिहार के बारे में बताना होगा. इसकी जिम्मेदारी उन्होंने गांव-घर के बड़े बुजुर्गों पर छोड़ दी.