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बिहार का वो चुनाव जब 318 सीटों में से कहीं नहीं जीतीं महिला कैंडिडेट

बिहार में करीब पांच दशक पहले ऐसा विधानसभा चुनाव हुआ था, जिसमें एक भी महिला कैंडिडेट विधायक नहीं बन सकी थी. यह 1972 का विधानसभा चुनाव था, जिनमें 318 सीटें पर 45 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं. इसके बावजूद एक भी महिला प्रत्याशी चुनाव बाजी नहीं जीत सकी थी और बिहार विधानसभा के इतिहास में यह पहली बार था जब महिलाओं का प्रतिनिधित्व सदन में शून्य हो गया था.

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बिहार चुनाव महिला मतदाता (फाइल फोटो)
बिहार चुनाव महिला मतदाता (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिहार की 318 सीटों पर 45 महिला प्रत्याशी थीं
  • 1972 मे 17 महिला प्रत्याशियों की जमानत बची
  • कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी

बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. कोरोना संक्रमण के चलते राजनीतिक दल वर्चुअल रैली के जरिए सियासी माहौल बनाने में जुटे हैं. लेकिन करीब पांच दशक पहले बिहार में ऐसा विधानसभा चुनाव हुआ था, जिसमें एक भी महिला कैंडिडेट विधायक नहीं बन सकी थी. यह 1972 का विधानसभा चुनाव था, जिनमें 318 सीटें पर 45 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं. इसके बावजूद एक भी महिला प्रत्याशी चुनाव बाजी नहीं जीत सकी थी और बिहार विधानसभा के इतिहास में यह पहली था बार जब महिलाओं का प्रतिनिधित्व सदन में शून्य हो गया था. 

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बता दें कि बिहार में आजादी के बाद पहले विधानसभा चुनाव 1952 से लेकर, 1957, 1962, 1967 और 1969 के चुनाव में महिलाएं विधानसभा पहुंचती रही थीं, लेकिन 1972 में एक भी महिला प्रत्याशी चुनाव नहीं जीती थी. कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही थी और केदार पांडेय मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे थे. बिहार की जनता को पांच सालों में तीसरी बार विधानसभा चुनाव का सामना करना पड़ा था. इसके पहले साल 1967 और साल 1969 में चुनाव हुए थे और इन दोनों ही चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला. 

1972 के बिहार (संयुक्त) विधानसभा में कुल 318 विधानसभा सीटें थीं, जिनमें से सामान्य सीटें 244 थीं जबकि 45 सीटें एससी और 29 सीटें एसटी समुदाय के लिए आरक्षित थीं. इन 318 सीटों पर 55 महिला प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था, जिनमें से 40 ने सामान्य सीटों पर, 9 ने एससी की सीटों पर और 6 ने एसटी सीटों पर किस्मत आजमाई थी. हालांकि, बाद में सामान्य सीटों की 8 महिला और 2 एसटी महिला प्रत्याशियों ने अपने नाम वापस ले लिए थे. इस तरह से 318 सीटों पर 45 महिला प्रत्याशी बची थीं. 

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विधानसभा चुनाव में 45 महिला प्रत्याशियो में से 28 महिलाओं की जमानत जब्त हो गई थी. इनमें 20 सामान्य सीटों की महिला प्रत्याशी थी जबकि 7 एससी और एक एससी सीट की महिला कैंडिडेट शामिल थी. इस तरह से महज 17 महिला कैंडिडेट अपनी जमानत बचाने में सफल रहीं, लेकिन विधानसभा कोई नहीं पहुंच सका. हालांकि, कांग्रेस से लेकर संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी तक ने महिलाओं को टिकट दिया था. इसके बावजूद बिहार की छठी विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व शून्य हो गया था. 

बता दें कि बिहार की कुल 318 सीटों में कांग्रेस को 167 पर जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस उस समय 259 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. सीपीआई 55 सीटों पर लड़कर 35 पर जीतने में सफल हुई थी. सीपीएम के 51 उम्मीदवार मैदान में थे, पर किसी को सफलता नहीं मिली. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी/सोशलिस्ट पार्टी 256 सीटों पर लड़ी और उनके 33 उम्मीदवार जीते. वहीं, कांग्रेस से अलग होकर बनी इंडियन नेशनल कांग्रेस (ओ) को 30 सीटें प्राप्त हुई थीं. वहीं, भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार 270 सीटों पर लड़े और उनमें से 25 को ही सफलता मिली. 17 निर्दलीय उम्मीदवार जीतने में सफल रहे थे. वहीं, अन्य पार्टियों के 11 उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.
 

 

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