बिहार में अपराध की दुनिया से निकलकर सियासी पारी खेलने वाले नेताओं की लंबी फेहरिस्त है. कुछ ऐसे भी नेता हैं जो उत्तर प्रदेश में खूंखार अपराधी थे लेकिन बिहार में राजनीति के खिलाड़ी बन गए. इन्हीं में से एक नाम है राजन तिवारी.
एक वक्त में उत्तर प्रदेश के मोस्ट वॉन्टेड राजन तिवारी दो बार बतौर विधायक बिहार विधानसभा में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुके हैं. राजन तिवारी के अपराध से सियासत तक का सफर बेहद दिलचस्प है.
उत्तर प्रदेश से बिहार तक रहा अपराधों से नाता
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के सोहगौरा गांव के रहने वाले राजन तिवारी की प्रारम्भिक शिक्षा भी इसी जिले में हुई. युवा अवस्था में राजन तिवारी ने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया.
यूपी में 90 के दशक के माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला के संपर्क में आने के बाद राजन तिवारी का नाम कई अपराधों में सामने आया. श्रीप्रकाश शुक्ला के साथ जुड़े मामलों में भी राजन तिवारी शामिल रहे जिससे उनकी गिनती बाहुबलियों में होने लगी.
यूपी के महराजगंज की लक्ष्मीपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही पर हमले में भी राजन तिवारी का नाम आया था. इस घटना में माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला और राजन तिवारी समेत चार लोगों को आरोपी बनाया गया था.
इस आपराधिक कृत्य की वजह से राजन तिवारी यूपी पुलिस के लिए वॉन्टेड बन चुका थे. यही वो वक्त था जब राजन तिवारी ने बिहार का रुख किया और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए राजनीतिक जमीन तलाशने लगे. आपको यहां बता दें कि 2014 में राजन तिवारी इस मामले से बरी हो चुके हैं.
इसके बाद राजन तिवारी ने बिहार में रहकर अपना गैंग बनाया. राजन तिवारी के गैंग ने पूरे बिहार में ऐसा उत्पात मचाया कि यूपी के बाद वो बिहार में भी सुर्खियों में रहने लगे. राजन तिवारी का नाम आरजेडी के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या में भी सामने आया.
पुलिस ने इस हत्या के आरोप में राजन तिवारी को गिरफ्तार कर लिया. हालांकि पटना हाईकोर्ट ने करीब 15 साल बाद जुलाई 2014 में राजन तिवारी को इस हत्याकांड से बरी कर दिया.
राजन तिवारी बहुचर्चित माकपा विधायक अजीत सरकार के हत्याकांड में भी आरोपी रह चुके हैं. राजन तिवारी के अलावा इस मामले में पप्पू यादव भी सजा काट चुके हैं. हालांकि इस मामले में भी पटना हाईकोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया था.
अपराध से नेतागिरी तक का सफर
मंत्री हत्याकांड में जेल जाने से पहले ही राजन तिवारी ने बिहार में सियासी जमीन तलाश ली थी. राजन तिवारी दो बार विधानसभा के लिए चुने गए. वह पूर्वी चंपारण के गोबिदगंज से लोजपा से विधायक रह चुके हैं. इसके अलावा राजन तिवारी 2004 में लोकसभा पहुंचने के लिए भी भाग्य आजमा चुके हैं.
बीजेपी की सदस्यता लेने पर मचा था बवाल
राजन तिवारी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लखनऊ में बीजेपी की सदस्यता ली थी. इसपर काफी विवाद हुआ जिसके बाद उन्हें साइडलाइन कर दिया गया. इससे पहले 2016 में बीएसपी ज्वाइन किया था, लेकिन वहां से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बीजेपी का रुख किया.
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