कोरोना वायरस की महामारी के बीच होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार के साधन भी अलग तरीके के रहने वाले हैं. चुनाव आयोग की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस में प्रचार के परंपरागत तरीकों को लेकर लगाए गए तमाम कड़े नियमों को देखते हुए अब सियासी दलों ने नए तरीकों पर काम करना शुरू कर दिया है.
बिहार की नीतीश कुमार सरकार में गठबंधन सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चुनाव प्रचार के दौरान वोटरों तक पहुंचने के लिए 'कमल कनेक्ट' ऐप का इस्तेमाल करेगी. बताया जा रहा है कि कमल कनेक्ट एक लो इंटरनेट ऐप है, जो इंटरनेट की कम स्पीड में भी बेहतर तरीके से काम कर सकता है. इस ऐप का बिहार जैसे राज्य में बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है. इस ऐप के माध्यम से बीजेपी केंद्र की मोदी सरकार के कामकाज, खास तौर पर बिहार राज्य के लिए किए कार्यों और योजनाओं को इस ऐप के जरिए वोटरों तक पहुंचाने की तैयारी में है. इसके अलावा बिहार सरकार के पिछले पांच साल का कामकाज भी ऐप के माध्यम से लोगों तक पहुचांने की रणनीति है.
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इस बार के विधानसभा चुनाव प्रचार का स्वरूप पूरी तरह से बदला हुआ रहेगा, ऐसे में बड़े-बड़े नेताओं की जनसभाओं और उनके अभिभाषणों को ऐप के जरिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाए जाने की कोशिश की जाएगी. इस ऐप के जरिए बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं और वोटरों को पार्टी के कार्यक्रमों, रैलियों और सभाओं से भी लोगों को लगातार जोड़ा जाएगा और इसकी जानकारी दी जाएगी.
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इस ऐप के माध्यम से आम जनता भी अपनी समस्या, कार्यक्रमों को नेताओं तक पहुंचा सकते हैं. फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म केवल इस ऐप के माध्यम से जुड़ जाएंगे. बीजेपी कमल कनेक्ट एप को चुनाव प्रचार की डिजिटल लड़ाई में मुख्य हथियार की तरह इस्तेमाल करेगी. गौरतलब है कि बिहार देश के अन्य राज्यों के मुकाबले लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल तेजी से कर रहे हैं. इसका ध्यान रखते हुए ही बीजेपी इस ऐप को ज्यादा तरजीह दे रही है.
गौरतलब है कि बिहार में सोशल मीडिया और इंटरनेट के इस्तेमाल को देखते हुए राजनैतिक पार्टियों के सामने डिजिटल माध्यम से चुनाव प्रचार में कई चुनौतियां हैं. ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की रफ्तार हर दल का सिरदर्द बढ़ा रही है. ऐसे में बीजेपी लगातार इस मसले पर काम कर रही है कि डिजिटल माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इंटरनेट की धीमी रफ्तार के बावजूद कैसे पहुंच बनाई जा सके.