नक्सल कमांडर विनोद मरांडी का नाम तो आपने सुना ही होगा. कभी जिस मरांडी पर 25 हजार का इनाम हुआ करता था, वो इन दिनों फिर चर्चा में है. इस बार मरांडी बिहार विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनकर लोगों के बीच जनसंपर्क कर रहे हैं. गुरुआ विधानसभा सीट से मरांडी ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. पूर्व नक्सल कमांडर का लोग स्वागत भी कर रहे हैं.
बनाया अपना संगठन
चुनाव का जो बहिष्कार करते थे, आज वे ही चुनाव मैदान में दिखाई दे रहे हैं, हम बात कर रहे हैं नक्सल प्रभावित गया की. इस बार पूर्व नक्सल कमांडर विनोद मरांडी ने भाकपा माओवादी संगठन से जुड़ने के बाद चुनाव मैदान में खुद को उतार दिया है. दो सालों बाद ही प्रतिबंधित संगठन को छोड़कर अपना आरसीसी (रिवाल्यूशनरी कम्युनिस्ट सेंटर) संगठन बनाया. विनोद मरांडी ने कहा कि भाकपा माओवादी का चुनाव बहिष्कार रास नहीं आता था. इसलिए वहां रहकर इस बहिष्कार का विरोध किया.
मिल रहा जनसमर्थन
पूर्व नक्सल कमांडर विनोद मरांडी ने कहा कि मुझे लोगों से अपार जनसमर्थन मिल रहा है. उनकी पत्नी मुखिया है और एक पंचायत के लोगों की सेवा कर रही है. अब मरांडी भी चाहते हैं, कि गुरुआ विधानसभा की जनता की सेवा करें. यही कारण है कि इस बार वे यहां से चुनाव मैदान में हैं.
सरकार से मांगी सुरक्षा
जिस विनोद मरांडी का नाम सुनकर लोग क्या पुलिस भी कांपती थी, आज वही सरकार से सुरक्षा मांग रहे हैं. विनोद मरांडी ने कहा कि भाकपा माओवादी से बगावत कर लोकतांत्रिक व्यवस्था में आया हूं. माओवादियों से जान का खतरा है. जिला प्रशासन को मेरी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, ताकि बेफिक्र होकर चुनाव लड़ सकूं.
ऐसे बना विनोद मरांडी नक्सली
विनोद मरांडी ने 1997 में एमसीसी का दामन थामा जिसके तीन वर्ष बाद उसे चाल्हो का जोनल कमांडर बना दिया गया. 2005 में उसने आरसीसी की स्थापना की और विनोद मरांडी आरसीसी का मुखिया बन गया. 2009 में चेरकी थाने की पुलिस ने मरांडी को गिरफ्तार किया लेकिन साक्ष्य व गवाहों के मौजूद नहीं होने के कारण 2012 में मरांडी को कोर्ट ने मुक्त कर दिया गया. विनोद मरांडी पर करीब 25 मामले दर्ज हो चुके हैं. 25 हजार रुपए का इनाम भी घोषित था.
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