औरंगाबाद जिले की नबीनगर विधानसभा सीट को जेडीयू का गढ़ माना जाता है. इस सीट से मौजूदा समय में जेडीयू के वीरेंद्र कुमार सिंह लगातार दूसरी बार विधायक हैं. इस बार वीरेंद्र कुमार सिंह के सामने जीत की हैट्रिक लगाने की चुनौती है, जबकि आरजेडी वीरेंद्र के विजय रथ को रोकने की कोशिश में जुटी है. इस बार आरजेडी से पूर्व विधायक विजय कुमार सिंह अलियास उर्फ डब्लू सिंह मैदान में उतरे हैं.
बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है, अब 10 नवंबर को नतीजों का इंतजार है. बिहार की नबीनगर विधानसभा सीट पर इस बार 28 अक्टूबर को वोट डाले गए, यहां कुल 57.84% मतदान हुआ.
कब हुई वोटिंग?
नबीनगर विधानसभा सीट पर पहले चरण में 28 अक्टूबर को मतदान हुआ. बता दें कि इस साल बिहार विधानसभा चुनाव 3 चरणों में संपन्न हुए. पहले चरण के लिए 28 अक्टूबर, दूसरे चरण के लिए 3 नवंबर को वोट डाले गए. जबकि तीसरे यानी आखिरी चरण का चुनाव 7 नवंबर को हुआ. बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.
इस बार के मुख्य उम्मीदवार
नबीनगर सीट का राजनीतिक इतिहास
इस सीट पर पहला चुनाव 1951 में हुआ था और कांग्रेस के टिकट पर अनुग्रह नारायण सिंह जीतने में कामयाब हुए. 1957 में कांग्रेस के ही टिकट पर देवधारी राम जीते. 1962 और 1967 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर ही सत्येंद्र नारायण सिन्हा जीते. 1969 में सीपीआई के महाबीर प्रसाद अकेला जीते. 1972 और 1977 के चुनाव में युगल सिंह जीतने में कामयाब हुए. इसके बाद कांग्रेस के टिकट पर रधुबंश प्रसाद सिंह जीत की हैट्रिक लगाने में कामयाब हुए. वह 1980, 1985 और 1990 के चुनाव में जीते.
1995 में इस सीट पर जनता दल का खाता खुला और वीरेंद्र कुमार सिंह जीते. साल 1996 के उप-चुनाव में फिर पासा पलटा और समता पार्टी की लवली आनंद ने जीत हासिल की. 2000 में इस सीट से आरजेडी के भीम कुमार यादव जीतने में कामयाब हुए. 2005 में एलजेपी के टिकट पर विजय कुमार सिंह जीते. 2010 और 2015 के चुनाव में जेडीयू के टिकट पर वीरेंद्र कुमार सिंह जीते.
सामाजिक तानाबाना
इस विधानसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या 2,65,883 है, जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 1,44,576 है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1,21,307 है. इस सीट के 94 फीसदी आबादी गांव में रहती है, जबकि 6 फीसदी आबादी ही शहर में रहती है. इस सीट पर अनुसूचित जाति की संख्या करीब 25 फीसदी है और 2015 के चुनाव में करीब 54 फीसदी मतदान हुआ था.
2015 के नतीजे
2010 के बाद 2015 के चुनाव में वीरेंद्र कुमार सिंह ने एक बार फिर बाजी मारी. जेडीयू के वीरेंद्र कुमार सिंह ने बीजेपी के गोपाल नारायण सिंह को करीब 6 हजार वोटों से शिकस्त दी. वीरेंद्र कुमार सिंह को 42035 वोट मिले थे तो गोपाल नारायण सिंह को 36774 वोट पर ही संतोष करना पड़ा था.
विधायक वीरेंद्र कुमार सिंह के बारे में
विधायक वीरेंद्र कुमार सिंह ने अपनी राजनीति की शुरुआत जेपी आंदोलन से की थी. वह जेपी आंदोलन के दौरान तीन बार जेल गए थे. 1995 में वह पहली बार नबीनगर विधानसभा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे. हालांकि, 1996 में वह औरंगाबाद लोकसभा सीट से सांसद बने. इस वजह से उन्हें विधायकी छोड़नी पड़ी.
इसके बाद वीरेंद्र कुमार सिंह 2010 और 2015 के चुनाव में जेडीयू के टिकट पर विधानसभा पहुंचे. वीरेंद्र कुमार सिंह ने एमए अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है. 2015 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक, उनपर दो आपराधिक केस है. उनके पास 2 करोड़ 55 लाख से अधिक की संपत्ति है.