बिहार विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ-साथ राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेतृत्व वाले महागठबंधन के लिए भी बेहद अहम है. 3 नवंबर को मध्य बिहार में चुनाव होंगे, जिसमें तिरहुत, मिथिलांचल और कोसी क्षेत्र शामिल हैं. दूसरे चरण में 17 जिलों की 94 सीटों पर वोटिंग होगी. इसमें पटना और नालंदा जिले के कुछ बाकी बचे क्षेत्र भी शामिल हैं.
राजग के साथ नीतीश, बदले समीकरण
2015 में जब राजद, कांग्रेस और जनता दल (यूनाइटेड) ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा था और इन 94 सीटों में से 70 सीटें हासिल की थीं. तब आरजेडी ने 33, जेडीयू ने 30 और कांग्रेस ने 7 सीटें हासिल की थीं. इस बार नीतीश कुमार के महागठबंधन से बाहर होने के चलते समीकरण बदल गए हैं. नीतीश कुमार के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही बीजेपी के लिए दूसरा चरण बेहद अहम है क्योंकि जिन क्षेत्रों में दूसरे चरण की वोटिंग होनी है, वहां बीजेपी की पकड़ मजबूत मानी जा रही है.
जिन क्षेत्रों में पहले चरण का चुनाव हो चुका है, वे महागठबंधन के प्रभाव वाले क्षेत्र हैं. इन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में वाम दलों, सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई (एमएल) ने महागठबंधन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
2015 में BJP ने जमाया था 20 सीटों पर कब्जा
दूसरे चरण में जिन 94 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है, 2015 में बीजेपी ने इनमें से 20 सीटें जीती थीं. पहले चरण की 71 सीटों में से बीजेपी ने 29 पर चुनाव लड़ा है, जबकि जेडीयू 35 पर. ये स्पष्ट संकेत है कि पहले चरण का चुनाव बीजेपी से ज्यादा नीतीश कुमार के लिए अहम था. बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के लिए दूसरा चरण क्यों महत्वपूर्ण है? दूसरे चरण की 94 सीटों में से 46 पर बीजेपी चुनाव लड़ रही है. तीनों चरणों में से इसी चरण में बीजेपी के पास सबसे ज्यादा सीटें हैं.
बीजेपी की गठबंधन सहयोगी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) भी दूसरे चरण की पांच सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इसके अलावा 94 सीटों में से 51 पर बीजेपी और वीआईपी मिलकर चुनाव लड़ रही हैं. इस चरण में जेडीयू 43 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. शायद यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे चरण के लिए सात जनसभाओं को संबोधित किया, जो कि राज्य के तीनों चरण के चुनावों में सबसे ज्यादा है.
दूसरे चरण में जिन जिलों में वोटिंग होनी है उनमें पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सीवान, छपरा, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, भागलपुर, नालंदा और पटना शामिल हैं.2019 के लोकसभा चुनाव में बेगूसराय, दरभंगा, मधुबनी, महराजगंज, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, पटना, पूर्वी चंपारण, छपरा, शिवहर सीटों पर एकमात्र विजेता साबित हुई थी. जिन 17 जिलों में दूसरे चरण का मतदान होना है, उनमें से ये दस जिले हैं जहां बीजेपी लोकसभा जीत चुकी है. चंपारण क्षेत्र बीजेपी के लिए हमेशा एक मजबूत गढ़ रहा है. 2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी और जदयू के खिलाफ होने के बावजूद, बीजेपी ने पूर्वी और पश्चिमी चंपारण की 21 में से 13 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की थी.
बीजेपी के लिए अहम हैं ये दो कारण
जिन क्षेत्रों में दूसरे चरण का चुनाव हो रहा है वहां उच्च जाति और अति पिछड़ी जाति (ईबीसी) के वोटों की अच्छी खासी संख्या है. भागलपुर, खगड़िया और वैशाली जैसे जिलों में ईबीसी वोटरों की आबादी निर्णायक स्थिति में है. ईबीसी जातियां बिहार में 'पचपनिया' (55 जातियों/उप-जातियों का समूह) के रूप में जानी जाती हैं. इनमें मल्लाह (निषाद), लोहार, कुम्हार, सुनार, तेली, कहार और केवट जैसी जातियां शामिल हैं. इन जातियों में मल्लाह/निषाद की दरभंगा, मधुबनी, खगड़िया और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में बहुत महत्वपूर्ण संख्या है, जिनमें भाजपा और जदयू की पकड़ है.
यह भी देखा जाना चाहिए कि चुनावों के पहले एनडीए में शामिल हुए विकासशील इंसान पार्टी के ‘मल्लाह पुत्र’ मुकेश सहनी क्या एनडीए के पक्ष में मल्लाह वोटों को ट्रांसफर करा पाएंगे? मुकेश सहनी इस बार कुल 11 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. मिथिलांचल और तिरहुत क्षेत्र में ब्राह्मण जातियां स्थानीय राजनीति पर हावी रही हैं.
इसी तरह छपरा और तिरहुत क्षेत्र में राजपूतों का दबदबा रहा है. बिहार में पिछले दो दशकों से सवर्ण जातियां बीजेपी का जोरदार समर्थन करती आई हैं. दूसरे चरण के चुनाव में वीआईपी पांच सीटों पर लड़ रही है जो स्पष्ट रूप से इस चरण में ईबीसी वोटों के महत्व को दर्शाता है.
महागठबंधन के लिए भी अहम लड़ाई
दूसरे चरण में आरजेडी 56, कांग्रेस 24, सीपीआई-एमएल (लिबरेशन) 6, सीपीआई और सीपीएम चार-चार सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं. दूसरे चरण के चुनावों में जिन प्रमुख उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होना है, उनमें आरजेडी से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव राघोपुर से, पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव हसनपुर से और राज्य सरकार के कई मंत्री शामिल हैं.
आरजेडी के पास सारण और मिथिलांचल क्षेत्रों की सीटों पर मुस्लिम-यादव गठजोड़ का मजबूत आधार है. पहले चरण की तुलना में, दूसरे चरण के निर्वाचन क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी बहुत अधिक है. इसलिए आजेडी को इस मजबूत एम-वाई समीकरण से लाभ होगा, लेकिन यह पार्टी के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता. आरजेडी को ईबीसी और उच्च जातियों के एक वर्ग से अतिरिक्त समर्थन हासिल करने की जरूरत होगी.
प्रवासी आबादी का एक बड़ा हिस्सा दरभंगा, मधुबनी, खगड़िया और चंपारण जैसी सीटों से आता है जहां दूसरे चरण में मतदान होना है. ये देखना दिलचस्प होगा कि ये वोटबैंक किधर जाता है. दूसरे चरण में कुल मिलाकर 1,463 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 1,316 पुरुष, 146 महिलाएं हैं और एक उम्मीदवार ट्रांसजेंडर समुदाय से है.