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Bhojpur: 6 बार विधायक रहे राघवेंद्र प्रताप ने बड़हरा से भरा नामांकन

राघवेंद्र प्रताप सिंह 6 बार और उनके पिता स्व. अम्बिका शरण सिंह 5 बार बड़हरा विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं. इसलिए राघवेंद्र प्रताप सिंह के लिए यह सीट विरासत की सीट मानी जाती है.

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पूर्व मंत्री राघवेंद्र प्रताप सिंह ने अपना नामांकन दाखिल किया
पूर्व मंत्री राघवेंद्र प्रताप सिंह ने अपना नामांकन दाखिल किया
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चुनाव के प्रथम चरण के नामांकन का आखिरी दिन
  • 6 बार बिहार के कैबिनेट मंत्री रह चुके राघवेंद्र प्रताप
  • बड़हरा से भरा नामांकन, विरासत की सीट मानी जाती है

बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के नामांकन का आज आखिरी दिन है. जहां भोजपुर में कई प्रत्याशियों ने निर्वाचन कार्यालय पहुंचकर नामांकन दाखिल किया है. वहीं बड़हरा विधानसभा सभा सीट से बिहार सरकार के पूर्व मंत्री राघवेंद्र प्रताप सिंह ने अपना नामांकन दाखिल किया है. बता दें कि राघवेंद्र प्रताप सिंह 6 बार और उनके पिता स्व. अम्बिका शरण सिंह 5 बार बड़हरा विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं. इसलिए राघवेंद्र प्रताप सिंह के लिए यह सीट विरासत की सीट मानी जाती है.

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नामांकन दाखिल करने के बाद पूर्व मंत्री राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हमारा एक ही उद्देश्य है कि आम जनता की जो भावना है उस इच्छा और विकास के अनुरूप हमको काम करना है. इस बार भी जनता मालिक है और हमें पूरा विश्वास है कि जनता हमें जरूर चुनेगी, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से जनता की आकांक्षाओं को यहां जनप्रतिनिधि द्वारा पूरा नहीं किया गया है. बहरहाल, अब देखने वाली दिलचस्प बात ये होगी कि विरासत के तौर पर जाने जाना वाला बड़हरा सीट पर राघवेंद्र प्रताप सिंह का कब्जा बरकरार रहेगा या जनता इस बार भी किसी और को जीत का अपना ताज पहनाएंगी.

राघवेंद्र प्रताप सिंह का जन्म 1952 में भोजपुर जिले के त्रिकौल गांव में हुआ था. जन्म से ही राजनीतिक माहौल में पले बढ़े राघवेंद्र 10वीं पास हैं और वो एक अच्छे पॉलिटीशियन के साथ किसान भी है. राजनीति में उनकी एंट्री सबसे पहले 1977 में हुई थी जब वो बड़हरा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. उसके बाद 1980 में चे कम अंतराल से चुनाव हार गए थे. फिर उन्होंने दोबारा चुनावी मैदान में कूद कर बड़हरा सीट से लगातार 6 बार विधायक बने. इस दौरान वे बिहार सरकार में गन्ना एवं विकास मंत्री के अलावा कारा मंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन 2005 के बाद से बड़हरा में उनका राजनितिक समिकरण गड़बड़ा गया और वो जदयू की प्रत्याशी आशा देवी से चुनाव हार गए.

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2015 में आरजेडी जेडीयू के गठजोड़ में बने महागठबंधन के प्रत्याशी सरोज यादव ने यहां के राजनीतिक समीकरण के साथ-साथ चुनाव के नतीजे को भी बदल कर रख दिया था. हालांकि राघवेंद्र प्रताप सिंह ने आरजेडी से पाला बदलक साइकिल की सवारी कर बड़हरा से सपा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था. जहां उनकी हार हुई थी. हार के बाद से राघवेंद्र प्रताप सिंह ने भाजपा पार्टी ज्वाइन कर ली और इस बार के बड़हरा विधानसभा 2020 के चुनाव में भाजपा के टिकट लेकर बड़हरा सीट से फिर नामांकन दाखिल किया है.
(रिपोर्ट-सोनू सिंह)

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