बिहार के मधुबनी जिले की फूलपरास विधानसभा सीट पर जेडीयू को लगातार दूसरा झटका लगा है. इस सीट पर पार्टी की सीटिंग विधायक गुलजार देवी टिकट कटने के बाद पहले से बागी हो चुकीं हैं. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल कर दिया है. अब पार्टी के जिला महासचिव ज्योति झा ने कुछ अन्य पदाधिकारियों के साथ पार्टी छोड़ दिया है. उन्होंने प्रेसवार्ता में अपने इस्तीफे की जानकारी देते हुए अपनी पार्टी पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं. आरोप है कि इस चुनाव में रुपये लेकर टिकट बेचे गए. जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी है.
नये प्रत्याशी को मिला है टिकट
दरअसल, फूलपरास सीट पर सीटिंग विधायक गुलजार देवी यहां के पूर्व बाहुबली विधायक देवनाथ यादव की पत्नी हैं. इस सीट पर देवनाथ यादव और उनकी पत्नी का लगातार कब्जा रहा है. 2015 के चुनाव में गुलजार देवी ने भाजपा प्रत्याशी राम सुंदर यादव को करीब 14 हजार मतों से हराया था. माना जाता है कि देवनाथ यादव और उनके परिवार को यहां के यादव और अति पिछड़े मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है. चूंकि देवनाथ हत्या के एक मामले में सजायाफ्ता है इसलिए वह खुद चुनाव नहीं लड़ सकते. लिहाजा उनकी पत्नी पिछले चुनाव में लड़ी और जीतीं. जब कि इस बार जेडीयू ने गुलजार देवी का टिकट काट कर शीला देवी के रूप में नये चेहरे का प्रत्याशी बनाया है. तब से पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में नाराजगी है.
इन्होंने भी छोड़ दी पार्टी
गुरुवार को जिला महासचिव ज्योति झा ने बताया कि उनके साथ पार्टी के युवा प्रकोष्ठ के जिला सचिव संजय कुमार झा, शिक्षा प्रकोष्ठ मधेपुर प्रखंड के अध्यक्ष भोगेन्द्र झा उर्फ बोलबम एवं जिला सचिव श्रीराम मंडल तथा जिला सचिव वकील सदाय ने भी त्यागपत्र दिया है. इस तरह से पांच पदाधिकारियों का ये इस्तीफा जदयू के लिए भारी पड़ सकता है क्योंकि फूलपरास सीट पर यादवों के बाद दूसरे नंबर पर ब्राह्मण मतदाता हैं. जबकि पार्टी पर गंभीर आरोप लगाकर त्यागपत्र देने वालों में इसी वर्ग के लोग शामिल है. इसका सीधा असर ब्राह्मण मतदाताओं पर पड़ सकता है. जबकि गुलजार देवी के बागी होने से यादव मतदाताओं का जदयू से कटना तय माना जा रहा है.
चतुष्कोणीय मुकाबले के आसार
इस सीट पर अब चतुष्कोणीय मुकाबले के आसार नजर आ रहे हैं. जेडीयू के बाद निर्दल प्रत्याशी बनी गुलजार देवी हैं. जबकि महागठबंधन से यहां कांग्रेस प्रत्याशी कृपानाथ पाठक मैदान में उतरे हैं. कृपानाथ ब्राह्मण वर्ग से आते हैं और इस क्षेत्र से मजबूत नेता माने जाते हैं. इस लड़ाई में लोजपा प्रत्याशी विनोद कुमार सिंह भी गेम चेंजर साबित हो सकते हैं. विनोद जदयू से एमएलसी रह चुके हैं और पिछली बार के विधानसभा चुनाव में लोजपा के टिकट पर बबूवरही सीट से चुनाव लड़े थे. भले ही उस चुनाव में उन्हें हार मिली लेकिन 42 हजार वोट पाकर उन्होंने मजबूत दावेदारी पेश की थी. फूलपरास को वैसे भी विनोद कुमार सिंह का गृह विधानसभा माना जाता था है क्योंकि उनके पिता सीताराम सिंह यहां के लोकप्रिय नेताओं में एक थे. राजपूत समुदाय में पिता और पुत्र की मजबूत पकड़ माना जाता है.
(रिपोर्ट- अभिषेक कुमार झा)
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