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Begusarai: 'तस्कर सम्राट' कामदेव सिंह के बेटे राजकुमार को एलजेपी ने दिया टिकट

मटिहानी विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. यहां से राजकुमार सिंह ने टिकट के लिए दावेदारी की थी, लेकिन इस बार महागठबंधन के तहत यह सीट सीपीएम के खाते में चली गई, जिसकी वजह से राजकुमार सिंह ने एलजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया है.

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राजकुमार सिंह को एलजेपी ने मैदान में उतार दिया
राजकुमार सिंह को एलजेपी ने मैदान में उतार दिया
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एलजेपी ने कामदेव सिंह के बेटे को दिया टिकट
  • कामदेव को मसीहा मानते थे लोग, विरोधी माफिया
  • राजकुमार ने कांग्रेस छोड़ ज्वाइन की एलजेपी

तस्कर सम्राट कामदेव सिंह जिनकी बिहार के बेगूसराय में तूती बोलती थी. गरीब उन्हें मसीहा मानते थे तो विरोधी माफिया. उनके बेटे राजकुमार सिंह को एलजेपी ने मटिहानी विधानसभा से चुनाव मैदान में उतार दिया है. नामांकन करने के बाद राजकुमार सिंह उत्साहित नजर आए. उन्होंने कहा कि जनता की सेवा करना ही उनका धर्म है.

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दरअसल, बिहार के तस्कर सम्राट कहे जाने वाले कामदेव सिंह के बेटे राजकुमार सिंह बेगूसराय जिले की मटिहानी विधानसभा क्षेत्र से एलजेपी उम्मीदवार के रूप में नामांकन कर चुनावी समर में कूद गए हैं. कामदेव सिंह गरीबों के मसीहा कहे जाते थे, तो पुलिस की नजर में वह तस्कर सम्राट थे. कहा जाता है कि कामदेव सिंह हमेशा कांग्रेस के समर्थन में रहे. अब उनके बेटे राजकुमार सिंह ने कांग्रेस का दामन छोड़कर एलजेपी का हाथ थाम लिया है.

मटिहानी विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. यहां से राजकुमार सिंह ने टिकट के लिए दावेदारी की थी, लेकिन इस बार महागठबंधन के तहत यह सीट सीपीएम के खाते में चली गई, जिसकी वजह से राजकुमार सिंह ने एलजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया है.  

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नामांकन में पावर शो

एलजेपी से टिकट मिलने के बाद राजकुमार सिंह ने गुरुवार को नामांकन के दौरान पावर शो किया. राजकुमार सिंह अपने पैतृक गांव से एक जुलूस के रूप में एडीओ कार्यालय पहुंचे. नामांकन में उनके साथ एलजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद सूरजभान सिंह भी मौजूद रहे. नामांकन के बाद राजकुमार सिंह ने अपनी जीत का दावा किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि विकास के मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में उतरा हूं. पिछले 15 साल में मटिहानी की जनता के साथ धोखाधड़ी की गई है. शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क रोजगार समाप्त है. मटिहानी जहां सदियों पहले था आज भी वहीं है.

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जानें कौन हैं कामदेव सिंंह 

कामदेव सिंह के बारे में बताया जाता है कि वे गरीबों के मसीहा थे और तस्करी कर अवैध तरीके से धन कमाने के बाद उसे गरीबों में बांटने का काम करते थे. तस्करी का ऐसा जाल उन्होंने बिहार से लेकर नेपाल तक फैला रखा था, कि उनकी तूती बोलती थी. कामदेव सिंह कांग्रेस के समर्थक रहे और उनके उम्मीदवार के लिए काम करते थे.

साल 1980 में मटिहानी दियारा इलाके में उनका एनकाउंटर हुआ. हालांकि चर्चा यह भी है कि पुलिस ने जब उन्हें घेर लिया तो खुद को गोली मारने की जगह हीरे की अंगूठी चाटकर गंगा में कूद गए. कहा जाता है कि कामदेव सिंह कहते थे कि वह कभी भी पुलिस के हाथ जिंदा नहीं लगेंगे.

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(रिपोर्ट- सौरभ कुमार)

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