बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले दोस्ती टूटने और नए रिश्ते बनने का सिलसिला जारी है. अब जीतन राम मांझी की पार्टी हम, महागठबंधन से अलग हो गई है. मांझी की पार्टी की कोर कमेटी ने फैसला लिया है कि वह अब महागठबंधन का हिस्सा नहीं रहेंगे. माना जा रहा है कि जीतन राम मांझी जेडीयू के साथ जा सकते हैं.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के पुत्र और हम पार्टी के एमएलसी संतोष सुमन ने कहा, “कोर समिति की बैठक में फैसला लिया गया है के महागठबंधन से हमारा दल बाहर हो जाएगा. हम लोग लगातार मांग कर रहे थे कि महागठबंधन को सही तरीके से चलाने के लिए कोआर्डिनेशन कमेटी बनाई जाए मगर तेजस्वी यादव तानाशाह की तरह महागठबंधन पर अपने फैसले थोप रहे थे"
संतोष सुमन ने कहा कि महागठबंधन को लेकर तेजस्वी यादव एक तरफा फैसले ले रहे थे और छोटे दलों को तवज्जो नहीं दी जा रही थी. इस बात से उनके पिता जीतन राम माझी काफी आहत हैं.
हिंदुस्तानी और मोर्चा के भविष्य के बारे में बात करते हुए संतोष कुमार ने कहा कि पार्टी के सभी विकल्प खुले हुए हैं.
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बताया जा रहा है कि जीतनराम मांझी की घर वापसी को लेकर जेडीयू की तरफ से पिछले कई महीनों से कवायद हो रही है. जेडीयू चाहती है कि मांझी की पार्टी हम का पूरी तरह से जेडीयू में विलय हो जाए, लेकिन ऐसा नहीं होने की सूरत में मांझी की पार्टी के साथ कुछ सीटों पर समझौते का फॉर्मूला तय किया जा रहा है.
पिछले दिनों ही श्याम रजक, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू छोड़कर आरजेडी में आए हैं. इस दौरान श्याम रजक ने नीतीश सरकार दलित विरोधी कहा था. उन्होंने कहा था कि बिहार का कोई ऐसा थाना नहीं है जहां दलितों के साथ हत्या, बलात्कार और छेड़खानी नहीं होती.
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श्याम रजक के बयान पर जीतनराम मंझी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि श्याम रजक मंत्रिमंडल में इतने दिनों तक लाभ लेने के बाद चुनाव के समय में नीतीश कुमार को दलित विरोधी कह रहें हैं, जिसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है. मांझी के इस बयान को उनकी घर वापसी से जोड़कर देखा जा रहा था.