बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. वहीं टिकट बंटवारे को लेकर प्रत्याशियों का विरोध तेज हो गया है. ओबरा विधानसभा से वर्तमान विधायक का टिकट कटने से आरजेडी कार्यकर्ता नाराज हैं. वहीं स्थानीय नेता को टिकट नहीं मिलने से भी विरोध बढ़ता जा रहा है. इस बार ओबरा विधानसभा सीट से कई दिग्गज उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे हैं. अब देखना है कि जनता किसके सिर पर ताज रखकर विधानसभा भेजेगी.
ओबरा विधानसभा सीट से इस बार कई दिग्गज उम्मीदवार मैदान में हैं. ओबरा विधानसभा से आरजेडी के प्रत्याशी के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह के पुत्र ऋषि कुमार हैं, तो जेडीयू के टिकट पर इस बार पूर्व विधायक नारायण सिंह के भतीजे सुनील कुमार हैं. वहीं वर्तमान प्रत्याशी का टिकट काटने से आरजेडी खेमे में भी बड़ी फुट है. जेडीयू ने इस बार प्रमोद चंद्रवंशी का टिकट काट दिया है तो इस बार वे निर्दलीय मैदान में हैं. जबकि जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुन्नू यादव हैं. पूर्व विधायक सोमप्रकाश भी इस बार मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में लगे हैं.
आरजेडी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी
इस बार आरजेडी ने ओबरा विधानसभा सीट से वर्तमान विधायक वीरेंद्र कुमार सिन्हा का टिकट काट दिया है. आरजेडी ने इनकी जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह के बेटे ऋषि कुमार को प्रत्याशी बनाया है. वीरेंद्र कुमार सिन्हा का टिकट कटने से आरजेडी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. वहीं कांति सिंह के लड़के ऋषि कुमार स्थानीय नहीं हैं इस कारण उन्हें अच्छा खासा विरोध में झेलना पड़ रहा है.
क्या आरजेडी अपनी साख बचा पायेगी
2015 की तुलना में इस बार के हालात थोड़े अलग हैं. एनडीए एक बार फिर से एलजेपी को छोड़कर एकजुट है. ऐसी परिस्थिति में क्या आरजेडी अपनी शाख बचा पायेगी, यह तो समय ही बताएगा. ओबरा विधानसभा के लिए की आरजेडी के पुराने नेता रहे डॉ. प्रकाश चंद्र ने आरजेडी का दामन छोड़ दिया क्योंकि पिछले 5 सालों में उन्हें भी आश्वासन मिला था. उन्हें ओबरा विधानसभा से टिकट मिलेगा, लेकिन जब टिकट देने की बारी आई तो राजद ने पूर्व मंत्री कांति सिंह के बेटे ऋषि कुमार को अपना टिकट देकर चुनाव लड़ने भेज दिया. इससे डॉ. प्रकाश चंद्रा नाराज हुए और उन्होंने एलजेपी का दामन थामा लिया.
(रिपोर्ट- अभिनेश कुमार सिंह)
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