बिहार विधानसभा चुनाव में 2020 में नोटा (नन ऑफ द एवब) विकल्प सभी राजनैतिक दलों के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आए तो हैरानी की बात नहीं. पिछले यानि 2015 के विधानसभा चुनाव में बिहार के मतदाताओं ने नोटा विकल्प का जमकर इस्तेमाल किया था. नतीजा, राज्य में कोई भी विधानसभा सीट ऐसी नहीं थी जहां नोट को मिले वोट की संख्या वहां के सबसे कम वोट पाने वाले प्रत्याशी से कम रही हो.
कुछ सीटों पर तो नोटा को जीत-हार के अंतर से ज्यादा वोट मिले. यानि यदि नोटा को मिले वोट वहां के दूसरे नंबर पर रहे प्रत्याशी के वोट में जुड़ जाते तो जीत का सेहरा उसके ही सिर पर बंधता. आइये देखते हैं कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नोटा को मिले वोटों ने किस तरह से प्रभाव डाला था.
नौ लाख से ज्यादा वोटर्स थे नोटा के साथ : बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव में कुल 913561 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया था. किसी एक विधानसभा सीट पर नोटा को मिले सर्वाधिक मतों की बात करें तो ये सीट थी वारिसगंज. यहां 9951 मतदाओं ने नोटा का विकल्प चुना था. इस बार के ओपीनियन पोल से साफ हो चुका है कि बिहार में एक बड़ा वर्ग सरकार से खुश नहीं. ऐसे में इस बात की संभावना प्रबल हो जाती है कि इस बार भी बहुत से मतदाता नोटा के साथ होंगे. यदि ऐसा हुआ तो बहुत सी सीटों पर नोटा जीत-हार में बड़ा उलट फेर पैदा कर सकता है.
35 सीटें जहां तीसरे नंबर पर थे नोटा के वोट:
वारिसनगर, सरायरंजन, अमारपुर, तारापुर, अस्थावन, नालंदा, हरनौत, मनेर, संदेश, चेनारी, इमामगंज, टिकारा, वजीरगंज, रजौली, वारसलीगंज, हरसिद्धि, गोविंदगंज, बथनाहा, मधुबनी, राजनगर, नरपतगंज, रानीगंज, कोरहा, सोनबरसा, कुशेश्वर स्थान, गौराबोराम, अलीनगर, हयाघाट, केवटी, बरूराज, पारू, कोचायकोट, गरखा, परसा, सोनपुर.
64 सीटें जहां चौथे स्थान पर था नोटा:
बेगूसराय, बखरी, खगड़िया, परबत्ता, बिहपुर, गोपालपुर, पिपला, भागलपुर, सुल्तानगंज, जमालपुर, बेलहर, बिहार शरीफ, बांकीपुर, दानापुर, आरा, नोखा, डेहरी, जहानाबाद, मखदुमपुर, गौरुआ, शेरघाटी, बाराचट्टी, बेलागंज, अटारी, हिसुआ, नवादा, रामनगर और बगहा, वाल्मीकि नगर, ढाका, रुन्नी सैदपुर, बाबूबरही, निर्मली, पिपरा, त्रिवेणीगंज, छत्तापुर, जोकिहाट, सिकटी, कोचहाधमन, अमौर, धमदाहा, शिंगेश्वर, सहरसा, सिमरी बख्तियारपुर, दरभंगा देहात, बहादुरपुर, सकरा, बैकुंठपुर, भोरे, सीवान, रघुनाथपुर, ऐकमा, बैनियापुर, तरैया, उजियारपुर, बिभूतिनगर, रोसड़ा, हसनपुर, चेरिया बरियारपुर, मटिहानी, साहेबपुर कमाल.
35 सीटें जहां नोटा था पांचवें स्थान पर:
हाजीपुर, रामगढ़, शिवहर, अररिया, ठाकुरगंज, आलमनगर, चिराला, परिहार, बाजपट्टी, फुलपरास, लौकहा, सुपौल, फारबिसगंज, महिषी, बेनीपुर, जाले, दरौली, मरहौरा, अमनौर, कल्याणपुर, तगेरा, अलौली, नाथनगर, बख्तियारपुर, पालीगंज, बरहरा, तरारी, शाहपुर, सासाराम, घोसी, कुतुंबा, गोबिंदपुर, सिकंदरा, चकारी, नरकटिया.
सीटें जहां जीत के अंतर से ज्यादा थे नोटा के वोट
(सीट -- जीत हार का अंतर -- नोटा के वोट)
चंपतिया ------ 464 ------ 4506
सिकटा ------- 2835 ----- 5579
रक्सौल ------- 3169 ----- 3310
शिवहर ------- 461 ------ 4383
झंझारपुर ----- 834 -------1044
कसबा ------- 1666 ----- 2058
बनमनखी ---- 1252 ----- 1859
बरौली -------- 504 ------ 988
कोचायकोट --- 3562 ----- 7512
सीवान -------- 3534 ----- 5119
अमनौर ------- 5251 ----- 6447
गोपालपुर ----- 5019 ----- 5042
बिहारशरीफ -- 2340 ----- 5191
नालंदा -------- 2996 ----- 6531
तरारी --------- 272 ------ 3858
चैनपुर -------- 371 ------- 3074
डेहरी --------- 3898 ------ 4458
शेरघाटी------- 4834 ------ 6482
रजौली -------- 4615 ------ 5541
यहां जीत के वोट के अंतर से थोड़ा ही कम था नोटा
(सीट -- जीत हार का अंतर -- नोटा के वोट)
नाथनगर ----- 7250 -------- 7112
चेनारी -------- 9774 -------- 8876
बेतिया -------- 2340-------- 1918
परिहार ------- 4017 -------- 3618
नोटा फैक्ट फाइल
- नोटा का अंग्रेजी में फुल फार्म है नन ऑफ द एवब
- नोटा का विकल्प चुनने में छत्तीसगढ़ के बाद दूसरे नंबर पर है बिहार
- 2013 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मतदाताओं को मिल रहा है नोटा का विकल्प
- 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार नोटा का इस्तेमाल हुआ
- ईवीएम में सबसे आखिरी गुलाबी रंग का बटन नोटा का होता है
- रूस, ग्रीस, यूक्रेन, स्पेन, कोलंबिया सहित कई देशों में लागू है नोटा
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